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BJP के आरोप पर कांग्रेस का जवाब, 'कर्ज में नहीं है प्रदेश, मोदी ने अर्थव्यवस्था को डुबोया'

कांग्रेस ने बीजेपी के आरोप पर जवाब देते हुए बताया कि कर्ज माफी के बाद भी नहीं बिगड़ी प्रदेश की आर्थिक स्थिति.

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Published : May 3, 2019, 8:11 PM IST

शैलेश नितिन त्रिवेदी

रायपुर: भारतीय जनता पार्टी के कर्ज के आरोपों का सरकार ने जवाब दिया है. बीजेपी लगातार प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर कर्ज लेने का आरोप लगा रही है. कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश में किसी तरह का आर्थिक संकट नहीं है. उन्होंने विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है.

शैलेष नितिन त्रिवेदी

छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थिति को लेकर भाजपा के बयान पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थित को लेकर भाजपा झूठा प्रचार कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था बिगाड़ी है.

कांग्रेस ने कहा कि मार्च 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार आने के पहले देश पर कुल 53 लाख 11 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था. 5 साल के मोदी सरकार के कार्यकाल में देश पर कर्ज बढ़कर 83 लाख 40 हजार करोड़ रुपए हो गया है. कांग्रेस ने बीजेपी पर बेरोजगारी बढ़ाने का आरोप लगाया है.


सरकार की तरफ से सामने आया विवरण

बीजेपी ने कांग्रेस पर राज्य सरकार के खजाने को खाली करने और ज्यादा कर्ज लेने का आरोप लगाया था. इतना ही नहीं कांग्रेस की ओर से राज्य की आर्थिक स्थिति का एक विवरण भी प्रस्तुत किया गया है, जिसमें बताया गया है कि राज्य में कितना ऋण लिया जा सकता है और सरकार ने कितना लिया है. साथ ही अन्य कई आर्थिक जानकारियां भी दी गई हैं.

सरकार की तरफ से क्या कहा गया-

  • राज्य में किसी भी प्रकार का आर्थिक संकट नहीं है. सभी भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है.
  • माह अप्रैल 2018 की तुलना में माह अप्रैल 2019 में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा भुगतान शासकीय खजाने से किया गया है.
  • सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सहायता एवं अनुदान, निर्माण कार्यो तथा वेतन भत्ते हेतु पर्याप्त राशि उपलब्ध है और उनका भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है.
  • छत्तीसगढ़ द्वारा प्रतिवर्ष भारत सरकार द्वारा निर्धारित सीमा का नियम से पालन किया जा रहा है.
  • वर्ष 2018-19 के लिये भारत सरकार द्वारा राज्य को 12979 करोड़ का ऋण लेने की अनुमति दी गई थी जिसके विरूद्ध 12,900 करोड़ का ऋण वित्त वर्ष के दौरान लिया गया था.
  • वर्ष 2019-20 के दौरान बजट में 10,926 करोड़ का ऋण लेने का प्रावधान किया गया है.
  • माह अप्रैल 2019 में ऋण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी है.
  • माह अप्रैल 2019 में पिछले वर्ष अप्रैल की तुलना में जीएसटी एवं वैट से प्राप्त राजस्व में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
  • मई, 2019 में भी ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होगी.
  • वर्ष 2018-19 तथा 2019-20 में निर्माण कार्यो के भुगतान पर कोई रोक नहीं लगाई गई है. सभी निर्माण कार्यो का भुगतान नियमानुसार एवं निरंतर किया जा रहा है.

रायपुर: भारतीय जनता पार्टी के कर्ज के आरोपों का सरकार ने जवाब दिया है. बीजेपी लगातार प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर कर्ज लेने का आरोप लगा रही है. कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश में किसी तरह का आर्थिक संकट नहीं है. उन्होंने विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है.

शैलेष नितिन त्रिवेदी

छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थिति को लेकर भाजपा के बयान पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थित को लेकर भाजपा झूठा प्रचार कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था बिगाड़ी है.

कांग्रेस ने कहा कि मार्च 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार आने के पहले देश पर कुल 53 लाख 11 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था. 5 साल के मोदी सरकार के कार्यकाल में देश पर कर्ज बढ़कर 83 लाख 40 हजार करोड़ रुपए हो गया है. कांग्रेस ने बीजेपी पर बेरोजगारी बढ़ाने का आरोप लगाया है.


सरकार की तरफ से सामने आया विवरण

बीजेपी ने कांग्रेस पर राज्य सरकार के खजाने को खाली करने और ज्यादा कर्ज लेने का आरोप लगाया था. इतना ही नहीं कांग्रेस की ओर से राज्य की आर्थिक स्थिति का एक विवरण भी प्रस्तुत किया गया है, जिसमें बताया गया है कि राज्य में कितना ऋण लिया जा सकता है और सरकार ने कितना लिया है. साथ ही अन्य कई आर्थिक जानकारियां भी दी गई हैं.

सरकार की तरफ से क्या कहा गया-

  • राज्य में किसी भी प्रकार का आर्थिक संकट नहीं है. सभी भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है.
  • माह अप्रैल 2018 की तुलना में माह अप्रैल 2019 में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा भुगतान शासकीय खजाने से किया गया है.
  • सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सहायता एवं अनुदान, निर्माण कार्यो तथा वेतन भत्ते हेतु पर्याप्त राशि उपलब्ध है और उनका भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है.
  • छत्तीसगढ़ द्वारा प्रतिवर्ष भारत सरकार द्वारा निर्धारित सीमा का नियम से पालन किया जा रहा है.
  • वर्ष 2018-19 के लिये भारत सरकार द्वारा राज्य को 12979 करोड़ का ऋण लेने की अनुमति दी गई थी जिसके विरूद्ध 12,900 करोड़ का ऋण वित्त वर्ष के दौरान लिया गया था.
  • वर्ष 2019-20 के दौरान बजट में 10,926 करोड़ का ऋण लेने का प्रावधान किया गया है.
  • माह अप्रैल 2019 में ऋण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी है.
  • माह अप्रैल 2019 में पिछले वर्ष अप्रैल की तुलना में जीएसटी एवं वैट से प्राप्त राजस्व में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
  • मई, 2019 में भी ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होगी.
  • वर्ष 2018-19 तथा 2019-20 में निर्माण कार्यो के भुगतान पर कोई रोक नहीं लगाई गई है. सभी निर्माण कार्यो का भुगतान नियमानुसार एवं निरंतर किया जा रहा है.
Intro:किसान कर्ज माफी के बाद भी नहीं बिगड़ी प्रदेश की आर्थिक स्थिति

रायपुर । प्रदेश में सत्ता में आते ही कांग्रेस ने सबसे पहले किसानों की कर्ज माफी की जिसके बाद से ही विपक्ष द्वारा यह आरोप लगाया जाता रहा है कि प्रदेश आर्थिक संकट से गुजर रहा है प्रदेश की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है और कांग्रेस सरकार के द्वारा खजाने को खाली कर दिया गया है इतना ही नहीं आज सरकार कर्जे में डूब चुकी है

जिसके जवाब में कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि प्रदेश में किसी तरीकेका आर्थिक संकट नहीं है और यह विपक्ष के द्वारा जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए फैलाया जा रहा है
बाइट शैलेश नितिन त्रिवेदी प्रदेश अध्यक्ष मीडिया विभाग कांग्रेस

इतना ही नहीं कांग्रेस की ओर से राज्य की आर्थिक स्थिति का एक विवरण भी प्रस्तुत किया गया है जिसमें बताया गया है कि राज्य में कितना ऋण लिया जा सकता है और सरकार ने कितना रन लिया है साथ ही अन्य कई आर्थिक जानकारी भी दी गई है

ऽ         राज्य में किसी भी प्रकार का आर्थिक संकट नहीं है। सभी भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है।
ऽ         माह अप्रैल 2018 की तुलना में माह अप्रैल 2019 में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा भुगतान शासकीय खजाने से किया गया है।
ऽ         सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सहायता एवं अनुदान, निर्माण कार्यो तथा वेतन भत्ते हेतु पर्याप्त राशि उपलब्ध है एवं उनका भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है।
ऽ         राज्य में विकास कार्यो के क्रियान्वयन के लिये राज्य की राजस्व प्राप्तियों के साथ-साथ ऋण के माध्यम से राशि की व्यवस्था सामान्य प्रक्रिया है।
ऽ         संविधान के अनुच्छेद 293(3) में स्वयं भारत सरकार द्वारा राज्यों को विकास कार्यो हेतु ऋण लेने की वार्षिक सीमा प्रतिवर्ष जारी की जाती है।
ऽ         छत्तीसगढ़ द्वारा प्रतिवर्ष भारत सरकार द्वारा निर्धारित सीमा का नियम से पालन किया जा रहा है।
ऽ         वर्ष 2018-19 के लिये भारत सरकार द्वारा राज्य को 12979 करोड़ का ऋण लेने की अनुमति दी गई थी जिसके विरूद्ध 12,900 करोड़ का ऋण वित्त वर्ष के दौरान लिया गया था।
ऽ         वर्ष 2019-20 के दौरान बजट में 10,926 करोड़ का ऋण लेने का प्रावधान किया गया है।
ऽ         माह अप्रैल 2019 में ऋण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी है।
ऽ         माह अप्रैल 2019 में पिछले वर्ष अप्रैल की तुलना में जीएसटी एवं वैट से प्राप्त राजस्व में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ऽ         मई, 2019 में भी ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
ऽ         वर्ष 2018-19 तथा 2019-20 में निर्माण कार्यो के भुगतान पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। सभी निर्माण कार्यो का भुगतान नियमानुसार एवं निरंतर किया जा रहा है।
ऽ         दिसंबर 2018 की स्थिति में अप्रारंभ निर्माण कार्यो के लागत की उपयुक्तता एवं जन उपयोगिता की दृष्टि से समीक्षा उपरांत प्रारंभ करने की अनुमति देने का निर्णय किया गया था।
ऽ         सड़क, भवन, सिंचाई एवं अन्य निर्माण कार्यो को मिलाकर लगभग 700 कार्यो को प्रारंभ करने की अनुमति दी गई है।
ऽ         आचार संहिता समाप्त होने के उपरांत शेष अप्रारंभ कार्यो पर शीघ्र निर्णय लिया जायेगा।
ऽ         राज्य शासन द्वारा भर्ती पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है अपितु भर्ती के पूर्व वित्त विभाग की अनुमति लेने का निर्णय को एक वर्ष के लिये बढ़ाया गया है। यह निर्देश वर्ष 2014 (वित्त निर्देश क्रमांक 27/2014) से प्रचलित है और वर्ष 2015, 2016, 2017 एवं 2018 में एक-एक वर्ष के लिये बढ़ाया गया था।
ऽ         वर्तमान में शिक्षा विभाग के लगभग 15,000 शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी गई है एवं आवश्यकतानुसार भर्ती की अनुमति सतत् रूप से दी जाती है। पूर्व वर्षो में दी गई भर्ती की अनुमतियों को रोकने का निर्देश भी नहीं है।
ऽ         रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट 2018 अनुसार राज्य का कुल ऋण दायित्व जीडीपी का 17.4 प्रतिशत है, जो अन्य राज्यों के औसत 24.3 प्रतिशत से कम है।
ऽ         इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा लिये गये ऋण पर ब्याज भुगतान का दायित्व कुल राजस्व प्राप्तियों का 4.6 प्रतिशत है, जो कि अन्य राज्यों के औसत 11.6 प्रतिशत से काफी कम है।

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