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दिवाली पर सीएम भूपेश बघेल ने घर में लगाई धान की बाली, झालर बांधने की रस्म की पूरी - भूपेश बघेल ने घर में लगाई धान की बाली

प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास पर धान की झालर बांधने की रस्म पूरी की. ऐसी मान्यता है कि इन धान की बालियों से धन और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी आती हैं.

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सीएम भूपेश बघेल ने घर में लगाई धान की बाली
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Published : Nov 14, 2020, 2:05 AM IST

Updated : Nov 15, 2020, 9:29 AM IST

रायपुर: दिवाली पर्व के रंग में हर आम और खास रंगे हुए नजर आ रहे हैं. इस शुभ अवसर पर सभी प्रदेश की अपनी अलग-अलग परंपराएं होती है. छत्तीसगढ़ में भी दिवाली के मौके पर अपने घर पर लोग धान की झालर बांधने की रस्म पूरी करते हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने निवास पर धान का झालर बांधने की रस्म पूरी की. रायपुर से दुर्ग, बिलासपुर से कोरबा, बस्तर से सरगुजा समेत पूरे राज्य में इस परंपरा को निभाया जाता है. इस तरह झालर आंगन में दरवाजे पर लटकाए जाने की परंपरा को पहटा और पिंजरा भी कहा जाता है.

हर साल निभाई जाती है परंपरा

दिवाली पर्व पर खेतों में जब नई फसल पककर तैयार हो जाती है, तब ग्रामीण धान की नर्म बालियों से इस तरह के कलात्मक झालर तैयार करते हैं. इनसे घरों की सजावट कर वह अपने सुख और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें पूजन के लिए आमंत्रित करते हैं.

झालरों से मां लक्ष्मी को आमंत्रण

इस परंपरा को लेकर ऐसा कहा जाता है कि इन झालरों से उनका यह आमंत्रण चिड़ियों के माध्यम से माता लक्ष्मी तक पहुंचता है. ऐसी मान्यता है कि इन धान की बालियों से धन और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी आती हैं और घरों में सुख समृद्धि व्याप्त रहता है.

रायपुर: दिवाली पर्व के रंग में हर आम और खास रंगे हुए नजर आ रहे हैं. इस शुभ अवसर पर सभी प्रदेश की अपनी अलग-अलग परंपराएं होती है. छत्तीसगढ़ में भी दिवाली के मौके पर अपने घर पर लोग धान की झालर बांधने की रस्म पूरी करते हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने निवास पर धान का झालर बांधने की रस्म पूरी की. रायपुर से दुर्ग, बिलासपुर से कोरबा, बस्तर से सरगुजा समेत पूरे राज्य में इस परंपरा को निभाया जाता है. इस तरह झालर आंगन में दरवाजे पर लटकाए जाने की परंपरा को पहटा और पिंजरा भी कहा जाता है.

हर साल निभाई जाती है परंपरा

दिवाली पर्व पर खेतों में जब नई फसल पककर तैयार हो जाती है, तब ग्रामीण धान की नर्म बालियों से इस तरह के कलात्मक झालर तैयार करते हैं. इनसे घरों की सजावट कर वह अपने सुख और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें पूजन के लिए आमंत्रित करते हैं.

झालरों से मां लक्ष्मी को आमंत्रण

इस परंपरा को लेकर ऐसा कहा जाता है कि इन झालरों से उनका यह आमंत्रण चिड़ियों के माध्यम से माता लक्ष्मी तक पहुंचता है. ऐसी मान्यता है कि इन धान की बालियों से धन और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी आती हैं और घरों में सुख समृद्धि व्याप्त रहता है.

Last Updated : Nov 15, 2020, 9:29 AM IST
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