रायपुर: छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों ने रुपये दोगुना करने का झांसा देकर आम लोगों से करोड़ों रुपये जमा कराए. इसके बाद निवेशकों के जमा किये गए मेहनत की गाढ़ी कमाई को संचालकों ने गटक लिया और कंपनी बंद कर फरार हो गए. ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिटफंड कंपनी के संचालकों पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए थे. जिसके बाद कंपनियों के संचालकों को गिरफ्तार कर उनकी संपत्ति का पता लगाकर कुछ निवेशकों के डूबे रकम की वापसी कराई जा रही है. चिटफंड कंपनियों ने अकेले राजधानी रायपुर के लोगों से करीब 800 करोड़ रुपये हड़प लिए हैं. फरार डायरेक्टरों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अलग-अलग राज्यों में जाकर छापेमारी की कार्रवाई कर रही है.
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चिटफंड संचालाकों के खिलाफ पुलिस ऐसे कर रही कार्रवाई
जानकारी के मुताबिक, चिटफंड कंपनी के कई संचालक दिल्ली, हरियाणा, ओडिशा, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में फरार चल रहे हैं. रायपुर पुलिस की टीम ने अलग-अलग राज्यों में जाकर छापेमार कारवाई शुरू कर दी है. पुलिस ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में भी लिया है. पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि कुछ डायरेक्टर अलग-अलग राज्यों की जेलों में बंद हैं. उनके बारे में भी पता लगाया जा रहा है. उसके बाद उन्हें प्रोडक्शन वारंट में लाकर यहां गिरफ्तार कर प्रॉपर्टी की जानकारी ली जाएगी. इसके बाद उनकी संपत्ति को कुर्क कर निवेशकों के पैसे लौटाए जाएंगे. इसके अलावा कुछ चिटफंड कंपनियों की प्रॉपर्टी को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है.
110 करोड़ की ठगी करने वाला चिटफंड कंपनी का डायरेक्टर तिहाड़ में बंद
पुलिस के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के अलग-अलग शहरों में 110 करोड़ की ठगी करने वाले पीएसीएल कंपनी के तीन डायरेक्टर इस वक्त दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं. इनकी कंपनी ने 6 साल में दोगुनी रकम देने का लुभावना ऑफर देकर लोगों से करोड़ों रुपए इन्वेस्ट करवाए. उसके बाद जब पैसे वापस करने की बारी आई तो कंपनी बंद कर फरार हो गए थे. इस कंपनी के कुछ डायरेक्टर अब भी फरार चल रहे हैं. इसके अलावा एक दर्जन से अधिक डायरेक्टर अलग-अलग राज्यों के जेलों में बंद हैं. पुलिस अब इन ठगों को रायपुर लाने की तैयारी कर रही है.
दो कंपनियों की संपत्ति को कुर्क करने के आदेश
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पहली बार चिटफंड कंपनी की संपत्ति कुर्क की जा रही है. जानकारी के मुताबिक रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार ने दो कंपनी की संपत्ति के कुर्की के आदेश दिए हैं. जिसमें से दिव्यानी कंपनी की तीन प्रॉपर्टी को 6 जनवरी को नीलाम किया गया है. जिसमें प्रशासन को 4 करोड़ से अधिक रुपए मिले हैं. पीड़ितों के खाते में पैसे ट्रांसफर करने की प्रक्रिया भी प्रशासन की ओर से शुरू कर दी गई है. वहीं, एक और कंपनी बीएन गोल्ड की भी प्रॉपर्टी की नीलामी होनी है. जिसके बाद पीड़ित निवेशकों के खाते में पैसे डाले जाएंगे.
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रायपुर में 103 अपराध दर्ज , चिटफंड कंपनियों के 58 डायरेक्टर गिरफ्तार
चिटफंड मामले के राज्य नोडल अधिकारी एसपी कीर्तन राठौड़ ने बताया कि रायपुर में सभी थानों को मिलाकर चिटफंड संबंधित कुल 103 अपराध दर्ज किए गए थे. राज्य में 15 जुलाई को छत्तीसगढ़ निवेशक अधिनियम बना. उसके बाद पंजीबद्ध 47 प्रकरण दर्ज हुए हैं. जिसमें करीब 28 कंपनियों की संपत्ति के संबंध में जानकारी लेकर उसकी कुर्की के संबंध में कलेक्टर कार्यालय को भेजा गया है. जिसमें 2 प्रकरण में न्यायालय द्वारा आदेश भी जारी हो गया है. इसमें दिव्यानी कंपनी की संपत्ति की कुर्की भी हो गई है. इसी प्रकार कुल 58 ऐसे आरोपी हैं, जो डायरेक्टर हैं. जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है.
अभी 74 डायरेक्टर बचे हैं. जिसमें से लगभग 15 डायरेक्टर अलग-अलग प्रकरणों में दूसरे जेल में हैं. जिन्हें न्यायिक रिमांड के लिए प्रोडक्शन वारंट न्यायाल से जारी करके उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. पिछले 2 महीने में लगातार एसएसपी प्रशांत अग्रवाल के दिशा निर्देशों में विशेष अभियान चलाकर 10 डायरेक्टरों को गिरफ्तार किया गया है. बाकी जितने भी फरार डायरेक्टर हैं. उसके लिए अलग-अलग विशेष टीम बनाकर गिरफ्तारी की कार्रवाई की जा रही है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने चिटफंड कंपनियों में डूबे धन वापसी के लिए निवेशकों से आवेदन मंगवाए थे. जिसके बाद 1 से 20 अगस्त तक 25 लाख से अधिक निवेशकों ने आवेदन जमा किए. यह आवेदन तहसील कार्यालयों में निवेशकों ने जमा किये थे. ये वे लोग हैं, जिन्होंने 5 हजार से 50 लाख तक का निवेश किए हैं. इन आवेदनों में 110 से ज्यादा चिटफंड कंपनियों के ठगने की बात सामने आई है. निवेशकों द्वारा किए गए आवेदनों के आधार पर तहसील में निवेशकों के नाम, पता, मोबाइल नंबर, जमा की गई राशि, कंपनी का नाम, जमा करने की तारीख और मैच्योरिटी की तारीख की एंट्री की गई है. उसी के आधार पर प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जाएगी.
ऐसे होगी धन वापसी की प्रक्रिया
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, तहसील कार्यालयों से कलेक्टरों के माध्यम से जिले के पुलिस अधीक्षकों को जानकारी भेजी गई है. उसके बाद आवेदकों के बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज किए गए. फिर कंपनियों की चल-अचल संपत्तियों की जानकारी जुटाने के बाद धन वापसी की प्रक्रिया कंपनियों की संपत्ति कुर्क करके की जा रही है. इसके बाद न्यायालय के आदेश के बाद नीलामी हो रही है. तब जाकर धन वापसी की जा रही है.
इस तरह आए थे आवेदन
जिला | आवेदन |
रायपुर | 3,66,330 |
बलौदा बाजार | 1,68,435 |
जांजगीर चांपा | 1,90,465 |
गरियाबंद | 40,658 |
कांकेर | 1,80,000 |
सूरजपुर | 49,270 |
राजनांदगांव | 1,10,240 |
बलरामपुर | 31,943 |
धमतरी | 89,920 |
जिला | आवेदन |
अंबिकापुर | 47,265 |
महासमुंद | 1,22,343 |
नारायणपुर | 6,452 |
कोंडागांव | 31,279 |
कोरबा | 77, 320 |
सुकमा | 4,454 |
बिलासपुर | 1,50,000 |
बस्तर | 3,000 |
बीजापुर | 18,324 |
जिला | आवेदन |
दंतेवाड़ा | 2,100 |
जशपुर | 22,033 |
दुर्ग | 1,65,328 |