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छत्तीसगढ़ के हाथियों ने मध्यप्रदेश में मचाया आतंक

सीधी जिले के संजय गांधी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के आसपास के एरिया में छत्तीसगढ़ से आए हाथियों के झुंड ने उत्पात मचा रखा है. इन हाथियों के झुंड से बस्तियों के साथ टाइगर रिजर्व कैंप को भी नुकसान पहुंचा रहा है.

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छत्तीसगढ़ के हाथियों का मध्यप्रदेश में आतंक
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Published : Jan 8, 2021, 5:09 PM IST

सीधी: इन दिनों छत्तीसगढ़ के उत्पात मचाने वाले हाथी अब मध्य प्रदेश में बेखौफ होकर लोगों में दहशत मचा रहे हैं. ऐसे में सीधी के संजय गांधी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पूरा दल डेरा डाले हुए हैं. जिसके चलते गांव वाले अपनी जान माल बचाने के लिए परेशान है, जिस इलाके में हाथी घूम रहे हैं उसमें करीब 20 गांव आते हैं, और ये यहां की बस्तियों के साथ टाइगर रिजर्व कैंप को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में उत्पात मचाने के बाद हाथी फिर से मध्यप्रदेश में आ धमके हैं. सीधी जिले के 20 से अधिक आदिवासी गांव के लोग इन हाथियों की दहशत में जीने को मजबूर हैं. यह सभी इलाके संजय गांधी टाइगर रिजर्व इलाके के आसपास के है, टाइगर रिजर्व के पौडी क्षेत्र में पिछले पांच साल से लगातार नए साल में यह हाथी यहां आ जाते हैं और उनके आते ही पूरा इलाका थर-थर कांपने लगता है. वन विभाग का अमला हो या आम जनता, सब के लिए सिरदर्द हाथी बन जाते हैं.

9 हाथियों के दल ने मैनपाट में मचाया तांडव

सात से आठ हाथियों का झुंड

इस झुंड में सात से आठ हाथी हैं, यह छत्तीसगढ़ से चलकर जंगल के रास्ते टाइगर रिजर्व पहुंचते हैं. हाथियों का दल जंगल में कच्चे बने मकानों और फसलों को तहस-नहस कर देता है. अगर इंसान सामने आ जाए तो उसे भी नहीं छोड़ते, इतना ही नहीं ये घर में रखा अनाज, कच्चा लहान सब कुछ नष्ट कर देते हैं. हाथी टाइगर रिजर्व को भी उजाड़ देते हैं.

चार से पांच महीने रुकते है ये हाथी

वहीं अधिकारियों का कहना है कि टाइगर रिजर्व इलाके में बांस और पानी की व्यवस्था है इसलिए यह हाथी के रुकने के लिए अच्छी जगह मानी जाती है. हर साल हाथी यहां दिसंबर जनवरी के महीने में आते हैं और चार-पांच महीने रुकने के बाद फिर वापस छत्तीसगढ़ चले जाते हैं. इस पर बीजेपी विधायक कुंवर सिंह टेकाम का कहना है कि इलाके में हाथियों की दहशत है, वन विभाग हाथियों को छत्तीसगढ़ वापस भेजता है लेकिन अब प्रदेश सरकार को कोई ठोस कार्य योजना बनाना चाहिए ताकि हाथियों का यहां आना रोका जा सके.

22 हाथियों के दल ने मचाया उत्पात

बहरहाल पिछले पांच साल में हाथी अब तक सैकड़ों आदिवासियों के कच्चे मकानों को नुकसान पहुंचा चुके हैं, टाइगर रिजर्व की तीन कैंपों को उजाड़ चुके हैं. साथ ही दर्जन भर से अधिक लोगों को जख्मी कर दिया है इतना ही नहीं अनेक आदिवासिओं की मौत भी हो चुकी है, लेकिन इतना सब होने के बाद भी इन हाथियों को कंट्रोल करने का कोई उपाय नहीं हो पाया है. बल्कि वन विभाग इन्हें यही रोकने की फिराक में नजर आ रहे हैं.

सीधी: इन दिनों छत्तीसगढ़ के उत्पात मचाने वाले हाथी अब मध्य प्रदेश में बेखौफ होकर लोगों में दहशत मचा रहे हैं. ऐसे में सीधी के संजय गांधी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पूरा दल डेरा डाले हुए हैं. जिसके चलते गांव वाले अपनी जान माल बचाने के लिए परेशान है, जिस इलाके में हाथी घूम रहे हैं उसमें करीब 20 गांव आते हैं, और ये यहां की बस्तियों के साथ टाइगर रिजर्व कैंप को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में उत्पात मचाने के बाद हाथी फिर से मध्यप्रदेश में आ धमके हैं. सीधी जिले के 20 से अधिक आदिवासी गांव के लोग इन हाथियों की दहशत में जीने को मजबूर हैं. यह सभी इलाके संजय गांधी टाइगर रिजर्व इलाके के आसपास के है, टाइगर रिजर्व के पौडी क्षेत्र में पिछले पांच साल से लगातार नए साल में यह हाथी यहां आ जाते हैं और उनके आते ही पूरा इलाका थर-थर कांपने लगता है. वन विभाग का अमला हो या आम जनता, सब के लिए सिरदर्द हाथी बन जाते हैं.

9 हाथियों के दल ने मैनपाट में मचाया तांडव

सात से आठ हाथियों का झुंड

इस झुंड में सात से आठ हाथी हैं, यह छत्तीसगढ़ से चलकर जंगल के रास्ते टाइगर रिजर्व पहुंचते हैं. हाथियों का दल जंगल में कच्चे बने मकानों और फसलों को तहस-नहस कर देता है. अगर इंसान सामने आ जाए तो उसे भी नहीं छोड़ते, इतना ही नहीं ये घर में रखा अनाज, कच्चा लहान सब कुछ नष्ट कर देते हैं. हाथी टाइगर रिजर्व को भी उजाड़ देते हैं.

चार से पांच महीने रुकते है ये हाथी

वहीं अधिकारियों का कहना है कि टाइगर रिजर्व इलाके में बांस और पानी की व्यवस्था है इसलिए यह हाथी के रुकने के लिए अच्छी जगह मानी जाती है. हर साल हाथी यहां दिसंबर जनवरी के महीने में आते हैं और चार-पांच महीने रुकने के बाद फिर वापस छत्तीसगढ़ चले जाते हैं. इस पर बीजेपी विधायक कुंवर सिंह टेकाम का कहना है कि इलाके में हाथियों की दहशत है, वन विभाग हाथियों को छत्तीसगढ़ वापस भेजता है लेकिन अब प्रदेश सरकार को कोई ठोस कार्य योजना बनाना चाहिए ताकि हाथियों का यहां आना रोका जा सके.

22 हाथियों के दल ने मचाया उत्पात

बहरहाल पिछले पांच साल में हाथी अब तक सैकड़ों आदिवासियों के कच्चे मकानों को नुकसान पहुंचा चुके हैं, टाइगर रिजर्व की तीन कैंपों को उजाड़ चुके हैं. साथ ही दर्जन भर से अधिक लोगों को जख्मी कर दिया है इतना ही नहीं अनेक आदिवासिओं की मौत भी हो चुकी है, लेकिन इतना सब होने के बाद भी इन हाथियों को कंट्रोल करने का कोई उपाय नहीं हो पाया है. बल्कि वन विभाग इन्हें यही रोकने की फिराक में नजर आ रहे हैं.

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