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राम का ननिहाल छत्तीसगढ़, दक्षिण कोसल और दंडकारण्य का नाता - श्रृंगी धाम

Lord Shri Ram, Dandkaranya, Dakshin Kosal: छत्तीसगढ़ पूरे विश्व में अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता है.लेकिन प्रदेश का इतिहास भगवान श्रीराम से भी जुड़ा है. अयोध्या में राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा जनवरी में होगी.जिसके लिए छत्तीसगढ़ भी तैयार हो रहा है.क्योंकि प्रदेश को भगवान श्रीराम का मामा घर भी कहा जाता है.पुरातन काल में दंडकारण्य का ये क्षेत्र दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था. जहां पर प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास का समय बिताया.Lord Shri Ram in dandkaranya

Lord Shri Ram in dandkaranya
राम का ननिहाल छत्तीसगढ़
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 19, 2023, 7:09 PM IST

Updated : Dec 20, 2023, 3:59 PM IST

दक्षिण कोसल और दंडकारण्य का नाता

रायपुर : छत्तीसगढ़ अपने अंदर प्राचीन काल की विरासत समेटे हुए है. अपने छत्तीस दुर्ग के कारण ही इस प्रदेश का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा.लेकिन इस प्रदेश का पुराना नाम दंडकारण्य और दक्षिण कोसल था. बाल्मिकी रामायण में दक्षिण कोसल का जिक्र है. साथ ही इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि कैसे अयोध्याधिपति राजा दशरथ और छत्तीसगढ़ की बेटी के बीच विवाह हुआ.आगे चलकर जब राजा दशरथ को संतान नहीं हुई तो सिहावा के श्रृंगी ऋषि ने ही अयोध्या जाकर पुत्र्येष्टि यज्ञ करवाया. जिसके बाद राजा दशरथ को पुत्रों की प्राप्ति हुई.

भगवान राम है छत्तीसगढ़ के भांजा : अयोध्या के राजा दशरथ का विवाह दक्षिण कोसल की बेटी कौशिल्या से हुआ था.इसलिए कौशिल्या नंदन प्रभु श्रीराम छत्तीसगढ़ के भांजे के रूप में भी जाने जाते हैं.छत्तीसगढ़ के चंद्रखुरी में कौशिल्या का एकमात्र मंदिर है. जहां माता कौशिल्या अपनी गोद में प्रभु श्रीराम को लेकर विराजित हैं.आज इस जगह का स्वरूप बदल चुका है.माता कौशिल्या के इस मंदिर का कायाकल्प करके यहां भगवान श्रीराम की बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है.



राम ने वनवास में दंडकारण्य में बिताया समय : जब श्रीराम को वनवास मिला तो दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते हुए छत्तीसगढ़ भी आएं.यहां राम ने कई वर्षों तक निवास किया.जिसके प्रमाण अब भी हमें मिलते हैं.सिहावा के श्रृंगी धाम से लेकर बस्तर के क्षेत्र तक प्रभु श्रीराम की निशानियां बिखरी हुईं हैं.जिन्हें संजोकर एक तीर्थ का रूप दिया जा रहा है.


"शास्त्र और पुराणों में 7 कोसल का वर्णन है. उत्तर कोसल के राजकुमार दशरथ का विवाह प्राचीन समय में दक्षिण कोसल की राजकुमारी कौशिल्या से हुआ था. प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोसल के रूप में जाना जाता था. छत्तीसगढ़ भगवान राम के मामा का घर कहलाता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि अयोध्या का संबंध छत्तीसगढ़ से काफी करीब है." पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी महामाया मंदिर

वनवास के दौरान बिताया समय : भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ दंडकारण्य में काफी समय बिताया.यही कारण है कि छत्तीसगढ़ से राम का नाता काफी गहरा है.इस दौरान प्रभु श्रीराम ने दंडकारण्य में रहकर तप करने वाले ऋषि मुनियों को आतताई राक्षसों से बचाते भी थे.इसलिए छत्तीसगढ़ के कई जगहों पर राम से संबंधित स्मृतियां पाई जाती है.अब यूपी के अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को भगवान श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी.जिसकी तैयारियां छत्तीसगढ़ में भी की जा रही है.इसके लिए प्रदेश सरकार राममंदिर दर्शन की योजना भी लाने जा रही है.

'' दंडकारण्य क्षेत्र में भगवान श्रीराम ने 14 वर्षों का वनवास समय बिताया है. भगवान राम की त्याग और तपस्या ऋषि मुनियों को संरक्षण देने के साथ ही क्षेत्र के जंगली इलाकों में राक्षसों का वध भी भगवान श्रीराम ने किया था.22 जनवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान राम कि मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित होना है. जिसकी तैयारी अंतिम चरणों में है." हेमू यदु, इतिहासकार


छत्तीसगढ़ का रघुकुल से संबंध : पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीराम का मामा घर छत्तीसगढ़ ही है.साथ ही साथ अब प्रदेश में रामवनपथगमन के कारण यहां रहने वाले लोगों को इस बात की जानकारी हुई कि राम किन जगहों से होकर गुजरे.इसलिए अयोध्या में बने राम मंदिर का महत्व और छत्तीसगढ़ का संबंध और भी गहरा हो जाता है. 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की होगी. जिसे लेकर प्रदेश में तैयारी भी शुरू हो गई है. अयोध्या से आये अक्षत कलश को पूरे प्रदेश में पहुंचाया जा रहा है. लोगों में जबरदस्त उत्साह और उमंग भी देखने को मिल रहा है.

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दक्षिण कोसल और दंडकारण्य का नाता

रायपुर : छत्तीसगढ़ अपने अंदर प्राचीन काल की विरासत समेटे हुए है. अपने छत्तीस दुर्ग के कारण ही इस प्रदेश का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा.लेकिन इस प्रदेश का पुराना नाम दंडकारण्य और दक्षिण कोसल था. बाल्मिकी रामायण में दक्षिण कोसल का जिक्र है. साथ ही इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि कैसे अयोध्याधिपति राजा दशरथ और छत्तीसगढ़ की बेटी के बीच विवाह हुआ.आगे चलकर जब राजा दशरथ को संतान नहीं हुई तो सिहावा के श्रृंगी ऋषि ने ही अयोध्या जाकर पुत्र्येष्टि यज्ञ करवाया. जिसके बाद राजा दशरथ को पुत्रों की प्राप्ति हुई.

भगवान राम है छत्तीसगढ़ के भांजा : अयोध्या के राजा दशरथ का विवाह दक्षिण कोसल की बेटी कौशिल्या से हुआ था.इसलिए कौशिल्या नंदन प्रभु श्रीराम छत्तीसगढ़ के भांजे के रूप में भी जाने जाते हैं.छत्तीसगढ़ के चंद्रखुरी में कौशिल्या का एकमात्र मंदिर है. जहां माता कौशिल्या अपनी गोद में प्रभु श्रीराम को लेकर विराजित हैं.आज इस जगह का स्वरूप बदल चुका है.माता कौशिल्या के इस मंदिर का कायाकल्प करके यहां भगवान श्रीराम की बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है.



राम ने वनवास में दंडकारण्य में बिताया समय : जब श्रीराम को वनवास मिला तो दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते हुए छत्तीसगढ़ भी आएं.यहां राम ने कई वर्षों तक निवास किया.जिसके प्रमाण अब भी हमें मिलते हैं.सिहावा के श्रृंगी धाम से लेकर बस्तर के क्षेत्र तक प्रभु श्रीराम की निशानियां बिखरी हुईं हैं.जिन्हें संजोकर एक तीर्थ का रूप दिया जा रहा है.


"शास्त्र और पुराणों में 7 कोसल का वर्णन है. उत्तर कोसल के राजकुमार दशरथ का विवाह प्राचीन समय में दक्षिण कोसल की राजकुमारी कौशिल्या से हुआ था. प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोसल के रूप में जाना जाता था. छत्तीसगढ़ भगवान राम के मामा का घर कहलाता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि अयोध्या का संबंध छत्तीसगढ़ से काफी करीब है." पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी महामाया मंदिर

वनवास के दौरान बिताया समय : भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ दंडकारण्य में काफी समय बिताया.यही कारण है कि छत्तीसगढ़ से राम का नाता काफी गहरा है.इस दौरान प्रभु श्रीराम ने दंडकारण्य में रहकर तप करने वाले ऋषि मुनियों को आतताई राक्षसों से बचाते भी थे.इसलिए छत्तीसगढ़ के कई जगहों पर राम से संबंधित स्मृतियां पाई जाती है.अब यूपी के अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को भगवान श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी.जिसकी तैयारियां छत्तीसगढ़ में भी की जा रही है.इसके लिए प्रदेश सरकार राममंदिर दर्शन की योजना भी लाने जा रही है.

'' दंडकारण्य क्षेत्र में भगवान श्रीराम ने 14 वर्षों का वनवास समय बिताया है. भगवान राम की त्याग और तपस्या ऋषि मुनियों को संरक्षण देने के साथ ही क्षेत्र के जंगली इलाकों में राक्षसों का वध भी भगवान श्रीराम ने किया था.22 जनवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान राम कि मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित होना है. जिसकी तैयारी अंतिम चरणों में है." हेमू यदु, इतिहासकार


छत्तीसगढ़ का रघुकुल से संबंध : पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीराम का मामा घर छत्तीसगढ़ ही है.साथ ही साथ अब प्रदेश में रामवनपथगमन के कारण यहां रहने वाले लोगों को इस बात की जानकारी हुई कि राम किन जगहों से होकर गुजरे.इसलिए अयोध्या में बने राम मंदिर का महत्व और छत्तीसगढ़ का संबंध और भी गहरा हो जाता है. 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की होगी. जिसे लेकर प्रदेश में तैयारी भी शुरू हो गई है. अयोध्या से आये अक्षत कलश को पूरे प्रदेश में पहुंचाया जा रहा है. लोगों में जबरदस्त उत्साह और उमंग भी देखने को मिल रहा है.

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Last Updated : Dec 20, 2023, 3:59 PM IST
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