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10वीं और 12वीं की किताबें नहीं छापेगा छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम

शिक्षण सत्र 2020-21 से छत्तीसगढ़ शिक्षा मंडल की 11वीं और 12वीं की किताबें अब पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से नहीं छापी जाएंगी.

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Published : Jun 28, 2019, 9:52 PM IST

Updated : Jun 28, 2019, 11:14 PM IST

10वीं और 12वीं की किताबें नहीं छापेगा छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम

रायपुर: पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है. दरअसल शिक्षण सत्र 2020-21 से छत्तीसगढ़ शिक्षा मंडल की 11वीं और 12वीं की किताबें अब पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से नहीं छापी जाएंगी.

10वीं और 12वीं की किताबें नहीं छापेगा छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम

बताई यह वजह
इसके पीछे की वजह पाठ्य पुस्तक निगम को दसवीं और बारहवीं की किताबें छापने में हो रहे घाटे को बताया जा रहा है. बता दें कि इस साल कुल 1600000 किताबें छापी गई थीं, जिनमें से केवल 900000 किताबों की बिक्री हुई है, वहीं 700000 किताबें दुकानों में रखी हुई हैं.

पढ़ें- प्रयागराज: आज से कोलकाता और रायपुर के लिए फ्लाइट सेवा शुरू

'प्राइवेट पब्लिशर्स देते हैं बेहतर कमीशन'
पाठ्य पुस्तक निगम का कहना है कि 'प्राइवेट पब्लिशर्स दुकानदारों को अच्छा कमीशन देते हैं इस कारण से दुकानदार भी उन किताबों को प्राथमिकता देते हैं और कम कीमत और आसानी से उपलब्ध होने के बाद भी पाठ्य पुस्तक निगम की किताबों को बेचने में उनकी कोई रुचि नहीं होती.

नहीं हो रही किताबों की बिक्री
पाठ्य पुस्तक निगम की यह स्थिति तब है जब यहां 100 से ज्यादा दुकानदार पंजीकृत हैं, जो किताबें दुकानदार लेकर गए हैं उनकी भी बिक्री अब तक नहीं हो सकी. दसवीं और बारहवीं की किताबों की कीमत बढ़ाए जाने के विरोध के बाद पाठ्य पुस्तक निगम ने अपना पक्ष रखते हुए लागत को निकालने की बात कही है.

पढ़ें- एंटी नक्सल ऑपरेशन: छत्तीसगढ़ में अहम कामयाबी, 8 लाख का इनामी हार्डकोर नक्सली गिरफ्तार

दुकादारों का ये है कहना
दुकानदारों का कहना है कि 'हमसे जिस तरीके के डिमांड कस्टमर करता है, हम उसे उसी तरह की किताबें देते हैं. हमारा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं होता जो किताबें हमसे मांगी जाती हैं, वहीं उपलब्ध कराते हैं'.

प्राइवेट स्कूल पर फोड़ा ठीकरा
दुकानदारों ने कहा कि 'ऐसा प्राइवेट स्कूलों की ओर से किया जाता है कि वह दुकान पर एक निश्चित पब्लिशर्स की बुक मांगते हैं लेकिन जो आम कस्टमर आता है उसकी जो मांग होती है हम उसी के अनुरूप उसे किताबें देते हैं'.

रायपुर: पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है. दरअसल शिक्षण सत्र 2020-21 से छत्तीसगढ़ शिक्षा मंडल की 11वीं और 12वीं की किताबें अब पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से नहीं छापी जाएंगी.

10वीं और 12वीं की किताबें नहीं छापेगा छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम

बताई यह वजह
इसके पीछे की वजह पाठ्य पुस्तक निगम को दसवीं और बारहवीं की किताबें छापने में हो रहे घाटे को बताया जा रहा है. बता दें कि इस साल कुल 1600000 किताबें छापी गई थीं, जिनमें से केवल 900000 किताबों की बिक्री हुई है, वहीं 700000 किताबें दुकानों में रखी हुई हैं.

पढ़ें- प्रयागराज: आज से कोलकाता और रायपुर के लिए फ्लाइट सेवा शुरू

'प्राइवेट पब्लिशर्स देते हैं बेहतर कमीशन'
पाठ्य पुस्तक निगम का कहना है कि 'प्राइवेट पब्लिशर्स दुकानदारों को अच्छा कमीशन देते हैं इस कारण से दुकानदार भी उन किताबों को प्राथमिकता देते हैं और कम कीमत और आसानी से उपलब्ध होने के बाद भी पाठ्य पुस्तक निगम की किताबों को बेचने में उनकी कोई रुचि नहीं होती.

नहीं हो रही किताबों की बिक्री
पाठ्य पुस्तक निगम की यह स्थिति तब है जब यहां 100 से ज्यादा दुकानदार पंजीकृत हैं, जो किताबें दुकानदार लेकर गए हैं उनकी भी बिक्री अब तक नहीं हो सकी. दसवीं और बारहवीं की किताबों की कीमत बढ़ाए जाने के विरोध के बाद पाठ्य पुस्तक निगम ने अपना पक्ष रखते हुए लागत को निकालने की बात कही है.

पढ़ें- एंटी नक्सल ऑपरेशन: छत्तीसगढ़ में अहम कामयाबी, 8 लाख का इनामी हार्डकोर नक्सली गिरफ्तार

दुकादारों का ये है कहना
दुकानदारों का कहना है कि 'हमसे जिस तरीके के डिमांड कस्टमर करता है, हम उसे उसी तरह की किताबें देते हैं. हमारा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं होता जो किताबें हमसे मांगी जाती हैं, वहीं उपलब्ध कराते हैं'.

प्राइवेट स्कूल पर फोड़ा ठीकरा
दुकानदारों ने कहा कि 'ऐसा प्राइवेट स्कूलों की ओर से किया जाता है कि वह दुकान पर एक निश्चित पब्लिशर्स की बुक मांगते हैं लेकिन जो आम कस्टमर आता है उसकी जो मांग होती है हम उसी के अनुरूप उसे किताबें देते हैं'.

Intro:रायपुर पाठ्य पुस्तक निगम के द्वारा एक बड़ा फैसला लिया गया है शिक्षक सत्र 2020 21 से 11 वीं 12 वीं की किताबें अब पाठ्य पुस्तक निगम नहीं छापे का फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि लगातार पाठ्य पुस्तक निगम को दसवीं बारहवीं की किताबों को छापने से घाटा हो रहा था


Body:आपको पता नहीं कि इस वर्ष कुल 1600000 किताबें छापी गई थी जिनमें से केवल 900000 किताबों की बिक्री हुई है वहीं 700000 किताबें पढ़ी हुई है यह धमकी जाएंगे इस पर पाठ्य पुस्तक निगम का कहना है कि प्राइवेट पब्लिशर्स होते हैं दुकानदारों को अच्छा कमीशन देते हैं इस कारण से दुकानदार भी उन किताबों को प्राथमिकता देते हैं कम कीमत होने पर आसानी से उपलब्ध होने के बाद भी पाठ्य पुस्तक निगम की किताबों को बेचने में उनकी कोई रुचि नहीं होती।

अकबरुद्दीन की पाठ्य पुस्तक निगम की यह स्थिति तब है जब यहां 100 से ज्यादा दुकानदार पंजीकृत हैं जो किताबों दुकानदार लेकर गए हैं उनकी भी बिक्री अब तक नहीं हो सकी दसवीं बारहवीं की किताबों की कीमत बढ़ाए जाने के विरोध के बाद पाठ्य पुस्तक निगम ने अपना पक्ष रखते हुए लागत को निकालने की बात कही है


Conclusion:इस पर दुकानदारों का कहना है कि हमसे इस तरीके के डिमांड कस्टमर करता है हम उसे वही किताबे देते हैं हमारा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं होता जो किताबें हमसे मांगी जाती हैं वहीं उपलब्ध कराते हैं ऐसा प्राइवेट स्कूलों के द्वारा किया जाता है कि वह दुकान पर एक निश्चित पब्लिशर्स की बुक मांगते हैं लेकिन जो आम कस्टमर आता है उसकी जो मांग होती है हम उसी के अनुरूप उसे किताबें देते हैं

बाइट - विवेक अग्रवाल

बाइट - मो इशाक
Last Updated : Jun 28, 2019, 11:14 PM IST
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