रायपुर: पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है. दरअसल शिक्षण सत्र 2020-21 से छत्तीसगढ़ शिक्षा मंडल की 11वीं और 12वीं की किताबें अब पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से नहीं छापी जाएंगी.
बताई यह वजह
इसके पीछे की वजह पाठ्य पुस्तक निगम को दसवीं और बारहवीं की किताबें छापने में हो रहे घाटे को बताया जा रहा है. बता दें कि इस साल कुल 1600000 किताबें छापी गई थीं, जिनमें से केवल 900000 किताबों की बिक्री हुई है, वहीं 700000 किताबें दुकानों में रखी हुई हैं.
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'प्राइवेट पब्लिशर्स देते हैं बेहतर कमीशन'
पाठ्य पुस्तक निगम का कहना है कि 'प्राइवेट पब्लिशर्स दुकानदारों को अच्छा कमीशन देते हैं इस कारण से दुकानदार भी उन किताबों को प्राथमिकता देते हैं और कम कीमत और आसानी से उपलब्ध होने के बाद भी पाठ्य पुस्तक निगम की किताबों को बेचने में उनकी कोई रुचि नहीं होती.
नहीं हो रही किताबों की बिक्री
पाठ्य पुस्तक निगम की यह स्थिति तब है जब यहां 100 से ज्यादा दुकानदार पंजीकृत हैं, जो किताबें दुकानदार लेकर गए हैं उनकी भी बिक्री अब तक नहीं हो सकी. दसवीं और बारहवीं की किताबों की कीमत बढ़ाए जाने के विरोध के बाद पाठ्य पुस्तक निगम ने अपना पक्ष रखते हुए लागत को निकालने की बात कही है.
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दुकादारों का ये है कहना
दुकानदारों का कहना है कि 'हमसे जिस तरीके के डिमांड कस्टमर करता है, हम उसे उसी तरह की किताबें देते हैं. हमारा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं होता जो किताबें हमसे मांगी जाती हैं, वहीं उपलब्ध कराते हैं'.
प्राइवेट स्कूल पर फोड़ा ठीकरा
दुकानदारों ने कहा कि 'ऐसा प्राइवेट स्कूलों की ओर से किया जाता है कि वह दुकान पर एक निश्चित पब्लिशर्स की बुक मांगते हैं लेकिन जो आम कस्टमर आता है उसकी जो मांग होती है हम उसी के अनुरूप उसे किताबें देते हैं'.