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'कोरोना के मुश्किल दौर से गुजर रहे, पैरेंट्स खो चुके बच्चे RTE में शामिल किए जाएं' - शिक्षा का अधिकार अधिनियम

कोरोना काल में कई मासूमों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया है. कई परिवार बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. उनके बच्चों को राइट टू एजुकेशन के तहत रजिस्टर्ड करने की मांग करते हुए छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Chhattisgarh Private School Association) ने सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) को पत्र लिखा है. निजी स्कूल बच्चों के अन्य खर्च उठाने को तैयार हैं.

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छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की सरकार से मांग
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Published : May 11, 2021, 4:15 PM IST

Updated : May 11, 2021, 5:44 PM IST

रायपुर: कोरोना संक्रमण काल (Corona Transition Period) और लॉकडाउन ने हर वर्ग की कमर तोड़ कर रख दी है. इस महामारी की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में युवाओं की जान गई है. कई बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया है. कई ऐसी फैमिलीज हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति बुरी तरह बिगड़ गई है. इन हालातों के बीच छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जिन बच्चों का परिवार कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. जिनके पैरेंट्स को महामारी ने छीन लिया है, उन्हें RTE (राइट टू एजुकेशन ) में शामिल किया जाए. एसोसिएशन ने बच्चों के अन्य खर्च उठाने की बात भी कही है.

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की सरकार से मांग

RTE: 159 स्कूलों में 2332 सीटों पर आवेदन शुरू

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एसोसिएशन ने लिखा पत्र

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने इसके लिए सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. एसोसिएशन की ओर कहा गया है कि मुश्किल हालातों में भी बच्चों की पढ़ाई के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है. सरकार ऐसे सभी बच्चों को अपने नियमों में शिथिलता लाकर RTE (right to education) की सूची में शामिल करे. शिक्षा के अधिकार के तहत पढ़ने वाले ऐसे बच्चों की ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस निजी स्कूल खुद वहन करने को भी तैयार हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में राइट टू एजुकेशन कानून की हालत, देखिए क्या कहते हैं आंकड़े

सरकार के निर्णय तक बिना फीस होगी पढ़ाई

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि जबतक सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय नहीं लेती तबतक छात्रों से स्कूल फीस निजी स्कूल नहीं लेंगे. एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि कोरोना संक्रमण से कई बच्चों के माता-पिता और परिवार में कमाने वाले सदस्यों का देहांत हुआ है. ऐसे बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए. सरकार उनकी पढ़ाई की फीस दे. बच्चों के लिए किताब, ट्रांसपोर्टेशन, स्कूल ड्रेस जैसे सभी खर्च स्कूल प्रबंधन उठाएगा.

क्या है शिक्षा का अधिकार अधिनियम ?

6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के उद्देश्य से 1 अप्रैल 2010 को केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया. सुप्रीम कोर्ट ने (RTE) 'शिक्षा का अधिकार' कानून पर अपनी मुहर लगाते हुए पूरे देश में इसे लागू करने का आदेश दिया है. इस अधिनियम के पारित होने के बाद से देश के हर बच्चे को शिक्षा पाने का संवैधानिक अधिकार मिला. इस कानून के तहत देश में हर 6 साल से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा पाने का अधिकार होगा. हर बच्चा पहली से आठवीं कक्षा तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा हासिल कर सकेगा. सभी बच्चों को अपने आसपास के स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार होगा.

रायपुर: कोरोना संक्रमण काल (Corona Transition Period) और लॉकडाउन ने हर वर्ग की कमर तोड़ कर रख दी है. इस महामारी की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में युवाओं की जान गई है. कई बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया है. कई ऐसी फैमिलीज हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति बुरी तरह बिगड़ गई है. इन हालातों के बीच छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जिन बच्चों का परिवार कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. जिनके पैरेंट्स को महामारी ने छीन लिया है, उन्हें RTE (राइट टू एजुकेशन ) में शामिल किया जाए. एसोसिएशन ने बच्चों के अन्य खर्च उठाने की बात भी कही है.

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की सरकार से मांग

RTE: 159 स्कूलों में 2332 सीटों पर आवेदन शुरू

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एसोसिएशन ने लिखा पत्र

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने इसके लिए सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. एसोसिएशन की ओर कहा गया है कि मुश्किल हालातों में भी बच्चों की पढ़ाई के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है. सरकार ऐसे सभी बच्चों को अपने नियमों में शिथिलता लाकर RTE (right to education) की सूची में शामिल करे. शिक्षा के अधिकार के तहत पढ़ने वाले ऐसे बच्चों की ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस निजी स्कूल खुद वहन करने को भी तैयार हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में राइट टू एजुकेशन कानून की हालत, देखिए क्या कहते हैं आंकड़े

सरकार के निर्णय तक बिना फीस होगी पढ़ाई

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि जबतक सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय नहीं लेती तबतक छात्रों से स्कूल फीस निजी स्कूल नहीं लेंगे. एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि कोरोना संक्रमण से कई बच्चों के माता-पिता और परिवार में कमाने वाले सदस्यों का देहांत हुआ है. ऐसे बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए. सरकार उनकी पढ़ाई की फीस दे. बच्चों के लिए किताब, ट्रांसपोर्टेशन, स्कूल ड्रेस जैसे सभी खर्च स्कूल प्रबंधन उठाएगा.

क्या है शिक्षा का अधिकार अधिनियम ?

6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के उद्देश्य से 1 अप्रैल 2010 को केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया. सुप्रीम कोर्ट ने (RTE) 'शिक्षा का अधिकार' कानून पर अपनी मुहर लगाते हुए पूरे देश में इसे लागू करने का आदेश दिया है. इस अधिनियम के पारित होने के बाद से देश के हर बच्चे को शिक्षा पाने का संवैधानिक अधिकार मिला. इस कानून के तहत देश में हर 6 साल से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा पाने का अधिकार होगा. हर बच्चा पहली से आठवीं कक्षा तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा हासिल कर सकेगा. सभी बच्चों को अपने आसपास के स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार होगा.

Last Updated : May 11, 2021, 5:44 PM IST
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