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Chhattisgarh politics heats up on NSA: रासुका पर गरमाई छत्तीसगढ़ की राजनीति, आखिर क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, जानिए

छत्तीसगढ़ में लगातार सांप्रदायिकता हमले हो रहे हैं. धर्मांतरण के मामले बढ़ रहे हैं. गृह विभाग को नारायणपुर हिंसा के बाद कई जिलों से साजिश के इनपुट मिले हैं. ऐसे में इस पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार ने 3 जनवरी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने का निर्णय लिया है. 11 जनवरी को सरकार ने सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर रासुका का पालन करने का आदेश दिया है. छत्तीसगढ़ में 1 जनवरी 2023 से 31 मार्च 2023 तक रासुका लागू रहेगी. सरकार के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. भाजपा ने इसे इमरजेंसी करार दिया है. वहीं आदिवासी समाज के नेता और पूर्व मंत्री ने इसे आदिवासी संस्कृति को समाप्त करने की साजिश करार दिया है.

Chhattisgarh politics heats up on NSA
छत्तीसगढ़ में लगाई गई रासुका
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Published : Jan 13, 2023, 8:11 PM IST

Updated : Jan 16, 2023, 6:16 PM IST

छत्तीसगढ़ में रासुका पर विवाद बढ़ा

रायपुर: हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(NSA) 27 दिसंबर 1980 को लागू किया गया. सामान्य तौर पर आईपीसी में प्रावधान है कि यदि कोई अपराध होता है तो उन धाराओं में कार्रवाई होती है. उसमें लोगों को जमानत मिल जाती है. यह सामान्य अपराध के लिए ठीक है. लेकिन कुछ ऐसे अपराध हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होती है. इस पर रोक लगाने के लिए रासुका कानून का प्रावधान किया गया." छत्तीसगढ़ में तीन जनवरी को गृह विभाग ने रासुका लगाने की अधिसूचना जारी किया. उसके बाद 11 जनवरी को छत्तीसगढ़ के सभी कलेक्टरों को रासुका का पालन करने का आदेश दिया गया. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में 1 जनवरी 2023 से 31 मार्च 2023 तक रासुका लागू रहेगी

रासुका लगने पर समिति करती है सुनवाई: सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "रासुका लगाने का अधिकार केंद्र और राज्य सरकार दोनों को दिया गया है. इसकी प्रक्रिया अलग है. सबसे बड़ी बात है कि इसमें वकील रखने का प्रावधान नहीं है. इसमें एक समिति बनाई जाती है. समिति में 3 सदस्य होते हैं. हाई कोर्ट के जज या उसके समकक्ष योग्यता रखने वाले सदस्य होते हैं. समिति के सामने मामले को प्रस्तुत किया जाता है. पुलिस समिति को बताती है कि किस कारण से उस व्यक्ति पर रासुका लगाया गया है."

3 हफ्ते में समिति देती है अपनी राय: सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "यदि समिति को लगता है कि यह गलत गिरफ्तारी हुई है तो उसकी गिरफ्तारी निरस्त हो सकती है. वर्ना एक बार में 3 महीने के लिए गिरफ्तारी होगी. इसके बाद तीन 3-3 महीने कर गिरफ्तारी को आगे बढ़ाया जा सकता है. लेकिन 1 साल से ज्यादा दिनों तक गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए. गिरफ्तारी को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस को समिति को वजह बताना पड़ता है. राज्य सरकार मामले की जानकारी केंद्र सरकार को भी देती है."

रासुका लगने पर जमानत का नहीं है प्रावधान: सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "किसी पर रासुका लगाया जाता है, तो उसकी जमानत का प्रावधान नहीं होता है. इसमें सिर्फ समिति ही कोई निर्णय ले सकती है. इन मामलों में अचानक गिरफ्तारी नहीं की जाती है. पूरी जांच पड़ताल और पक्के सबूत मिलने के बाद ही गिरफ्तारी होती है. उसके लिए एक सक्षम अधिकारी होता है."

"राज्‍य हित को देखते हुए ऐसे निर्णय": धर्मांतरण करने वालों पर रासुका के सवाल पर मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा "समय समय पर राज्‍य हित को देखते हुए ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं. जिस प्रकार से राज्‍य में धर्मांतरण की घटनाएं बढ़ी है, ऐसे में कानून व्‍यवस्‍था बनाने के लिए अलग अलग धाराओं को अलग अलग समय में प्रयोग किया जाता है."

यह भी पढ़ें: CM bhupesh on ramcharitmanas controversy : 'ग्रंथों के सूक्ष्म तत्व को ग्रहण करें, विवादों में ना पड़ें'

भाजपा का गंभीर आरोप, भूपेश बघेल का पलटवार: सरकार के रासुका के तहत कार्रवाई के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. आदिवासी नेता एवं पूर्व मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि "रासुका लगाया जाना आदिवासी संस्कृति को खत्म करने की साजिश है." वहीं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि "छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार राज्य में इमरजेंसी लगाने की तैयारी कर रही है.'' मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार कर कहा है कि "पूरे देश में इमरजेंसी लगी हुई है. भाजपा के खिलाफ बोलो, तो धर्मद्रोही हो जाते हैं और केंद्र के खिलाफ बोलो तो राष्‍ट्रद्रोही हो जाते हैं. बृजमोहन जी यहां बोल पाते हैं."

यह भी पढ़ें: Makar Sankranti: मकर संक्रांति कब है 14 या 15 जनवरी


"रासुका का है स्वागत": छत्तीसगढ़ में रासुका लगाए जाने का ईसाई समुदाय ने स्वागत किया है. केरल से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचे एक्सेसिया यूनाइटेड फोरम के अध्यक्ष डॉ जॉनसन तेकाडयिल ने कहा कि "ईसाई समुदाय लगातार शांति का पक्षधर रहा है. कभी ईसाई समुदाय के द्वारा हिंसा नहीं की जाती है. इतिहास उठाकर देख लेंगे, ईसाई समुदाय के लोगों ने कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया है."


"बिना किसी दबाव और पक्षपात के हो रासुका कार्रवाई": छत्तीसगढ़ ईसाई समाज प्रदेश अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने कहा है "कानून सबके लिए एक बराबर है. किसी जाति, धर्म, समुदाय को लेकर पक्षपात ना हो. हालांकि रासुका लगाए जाने के बाद भी यदि कोई गलत कार्रवाई की जाती है तो न्यायालय का रास्ता खुला हुआ है."

छत्तीसगढ़ में रासुका पर विवाद बढ़ा

रायपुर: हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(NSA) 27 दिसंबर 1980 को लागू किया गया. सामान्य तौर पर आईपीसी में प्रावधान है कि यदि कोई अपराध होता है तो उन धाराओं में कार्रवाई होती है. उसमें लोगों को जमानत मिल जाती है. यह सामान्य अपराध के लिए ठीक है. लेकिन कुछ ऐसे अपराध हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होती है. इस पर रोक लगाने के लिए रासुका कानून का प्रावधान किया गया." छत्तीसगढ़ में तीन जनवरी को गृह विभाग ने रासुका लगाने की अधिसूचना जारी किया. उसके बाद 11 जनवरी को छत्तीसगढ़ के सभी कलेक्टरों को रासुका का पालन करने का आदेश दिया गया. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में 1 जनवरी 2023 से 31 मार्च 2023 तक रासुका लागू रहेगी

रासुका लगने पर समिति करती है सुनवाई: सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "रासुका लगाने का अधिकार केंद्र और राज्य सरकार दोनों को दिया गया है. इसकी प्रक्रिया अलग है. सबसे बड़ी बात है कि इसमें वकील रखने का प्रावधान नहीं है. इसमें एक समिति बनाई जाती है. समिति में 3 सदस्य होते हैं. हाई कोर्ट के जज या उसके समकक्ष योग्यता रखने वाले सदस्य होते हैं. समिति के सामने मामले को प्रस्तुत किया जाता है. पुलिस समिति को बताती है कि किस कारण से उस व्यक्ति पर रासुका लगाया गया है."

3 हफ्ते में समिति देती है अपनी राय: सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "यदि समिति को लगता है कि यह गलत गिरफ्तारी हुई है तो उसकी गिरफ्तारी निरस्त हो सकती है. वर्ना एक बार में 3 महीने के लिए गिरफ्तारी होगी. इसके बाद तीन 3-3 महीने कर गिरफ्तारी को आगे बढ़ाया जा सकता है. लेकिन 1 साल से ज्यादा दिनों तक गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए. गिरफ्तारी को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस को समिति को वजह बताना पड़ता है. राज्य सरकार मामले की जानकारी केंद्र सरकार को भी देती है."

रासुका लगने पर जमानत का नहीं है प्रावधान: सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "किसी पर रासुका लगाया जाता है, तो उसकी जमानत का प्रावधान नहीं होता है. इसमें सिर्फ समिति ही कोई निर्णय ले सकती है. इन मामलों में अचानक गिरफ्तारी नहीं की जाती है. पूरी जांच पड़ताल और पक्के सबूत मिलने के बाद ही गिरफ्तारी होती है. उसके लिए एक सक्षम अधिकारी होता है."

"राज्‍य हित को देखते हुए ऐसे निर्णय": धर्मांतरण करने वालों पर रासुका के सवाल पर मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा "समय समय पर राज्‍य हित को देखते हुए ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं. जिस प्रकार से राज्‍य में धर्मांतरण की घटनाएं बढ़ी है, ऐसे में कानून व्‍यवस्‍था बनाने के लिए अलग अलग धाराओं को अलग अलग समय में प्रयोग किया जाता है."

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भाजपा का गंभीर आरोप, भूपेश बघेल का पलटवार: सरकार के रासुका के तहत कार्रवाई के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. आदिवासी नेता एवं पूर्व मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि "रासुका लगाया जाना आदिवासी संस्कृति को खत्म करने की साजिश है." वहीं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि "छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार राज्य में इमरजेंसी लगाने की तैयारी कर रही है.'' मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार कर कहा है कि "पूरे देश में इमरजेंसी लगी हुई है. भाजपा के खिलाफ बोलो, तो धर्मद्रोही हो जाते हैं और केंद्र के खिलाफ बोलो तो राष्‍ट्रद्रोही हो जाते हैं. बृजमोहन जी यहां बोल पाते हैं."

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"रासुका का है स्वागत": छत्तीसगढ़ में रासुका लगाए जाने का ईसाई समुदाय ने स्वागत किया है. केरल से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचे एक्सेसिया यूनाइटेड फोरम के अध्यक्ष डॉ जॉनसन तेकाडयिल ने कहा कि "ईसाई समुदाय लगातार शांति का पक्षधर रहा है. कभी ईसाई समुदाय के द्वारा हिंसा नहीं की जाती है. इतिहास उठाकर देख लेंगे, ईसाई समुदाय के लोगों ने कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया है."


"बिना किसी दबाव और पक्षपात के हो रासुका कार्रवाई": छत्तीसगढ़ ईसाई समाज प्रदेश अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने कहा है "कानून सबके लिए एक बराबर है. किसी जाति, धर्म, समुदाय को लेकर पक्षपात ना हो. हालांकि रासुका लगाए जाने के बाद भी यदि कोई गलत कार्रवाई की जाती है तो न्यायालय का रास्ता खुला हुआ है."

Last Updated : Jan 16, 2023, 6:16 PM IST
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