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जरूरतमंदों को खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित कर रही है राज्य सरकार: किसान सभा - kisan sabha on congress

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कोरोना काल में खाद्यान्न आवंटन को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है. किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने कहा कि राज्य सरकार ने आम जनता को अपनी खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार के रहमोकरम पर छोड़ दिया है.

kisan sabha on distribution of food grain
किसान सभा ने उठाया खाद्यान्न आबंटन का मुद्दा
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Published : Jul 7, 2020, 2:21 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ किसान सभा (सीजीकेएस) ने कांग्रेस सरकार पर राज्य के गरीबों और जरूरतमंदों को खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित करने का आरोप लगाया है. किसान सभा ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि मुफ्त अनाज नागरिकों के बीच वितरण किए बिना ही वह जनता का पेट भरने का दावा कैसे कर रही है.

किसान सभा ने राज्य सरकार को खाद्यान्न सुरक्षा के मामलों पर घेरा
छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने केंद्र सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के हवाले से बताया कि प्रवासी मजदूरों सहित राज्य के गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त अनाज वितरण के लिए मई और जून महीने में 20,000 टन चावल का आवंटन किया गया था. इस आवंटन से प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल मुफ्त देने की केंद्र की घोषणा के अनुसार प्रदेश के 40 लाख लोगों को कुछ राहत पहुंचाई जा सकती है. लेकिन राज्य सरकार ने केवल 944 टन चावल का उठाव किया है, जो अधिकतम 95 हजार लोगों के बीच ही वितरित किया जा सकता है.
'सरकार को नहीं है कोई चिंता'

इसके बाद उन्होंने कहा कि हालांकि केंद्र की ओर से यह आवंटन प्रदेश की जरूरतों से कम है, इसके बावजूद इस खाद्यान्न के केवल 5% का ही उठाव यह बताता है कि, उसे जनता को पोषण-आहार देने की कोई चिंता नहीं है. उठाए गए इस खाद्यान्न का भी पूरा वितरण हुआ है कि नहीं, इस बात की भी कोई जानकारी नहीं है.

लाखों प्रवासी मजदूर हो रहे भुखमरी का शिकार
किसान सभा नेता ने कहा कि जिस प्रदेश में दो-तिहाई से ज्यादा आबादी गरीब हो, असंगठित क्षेत्र के लाखों मजदूरों और ग्रामीण गरीबों की आजीविका खत्म हो गई हो और 5 लाख प्रवासी मजदूर अपने गांव-घरों में लौटकर भुखमरी का शिकार हो रहे हैं, वहां जरूरतमंद और गरीब नागरिकों को मुफ्त अनाज न देकर उन्हें खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित करना आपराधिक कार्य है. वास्तव में इस सरकार ने आम जनता को अपनी खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार के रहमोकरम पर छोड़ दिया है. उसका जनविरोधी रुख इससे भी स्पष्ट है कि वह राज्य के पास उपलब्ध अतिशेष चावल को भुखमरी मिटाने के लिए इस्तेमाल करने के बजाए इससे इथेनॉल बनाने की मंजूरी केंद्र से मांग रही है.

पढ़ें- SPECIAL: कोरोना संकट और समर्थन मूल्य से एक बार फिर खेतों की ओर पहुंचने लगे किसान

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की आड़ में कालाबाजारियों ने रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा किया है और वे दोगुने-तिगुने भाव में बिक रही हैं. इससे आम जनता को बचाने के लिए मुफ्त अनाज वितरण ही न्यूनतम सुरक्षा का उपाय है, जिसे पूरा करने से कांग्रेस सरकार ने इंकार किया है.

हवा-हवाई विज्ञापनी दावों से नहीं भरने वाला जनता का पेट
किसान सभा ने राज्य सरकार से मांग की है कि केंद्र की ओर से आवंटित अनाज का उठाव कर सभी जरूरतमंद लोगों को इसे उपलब्ध कराए, उसके पास जमा अतिशेष चावल का भी वितरण करें तथा इस चावल को इथेनॉल में बदलने के अपने फैसले को रद्द करें. किसान सभा ने कहा है कि हवा-हवाई विज्ञापनी दावों से आम जनता का पेट नहीं भरने वाला है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ किसान सभा (सीजीकेएस) ने कांग्रेस सरकार पर राज्य के गरीबों और जरूरतमंदों को खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित करने का आरोप लगाया है. किसान सभा ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि मुफ्त अनाज नागरिकों के बीच वितरण किए बिना ही वह जनता का पेट भरने का दावा कैसे कर रही है.

किसान सभा ने राज्य सरकार को खाद्यान्न सुरक्षा के मामलों पर घेरा
छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने केंद्र सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के हवाले से बताया कि प्रवासी मजदूरों सहित राज्य के गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त अनाज वितरण के लिए मई और जून महीने में 20,000 टन चावल का आवंटन किया गया था. इस आवंटन से प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल मुफ्त देने की केंद्र की घोषणा के अनुसार प्रदेश के 40 लाख लोगों को कुछ राहत पहुंचाई जा सकती है. लेकिन राज्य सरकार ने केवल 944 टन चावल का उठाव किया है, जो अधिकतम 95 हजार लोगों के बीच ही वितरित किया जा सकता है.
'सरकार को नहीं है कोई चिंता'

इसके बाद उन्होंने कहा कि हालांकि केंद्र की ओर से यह आवंटन प्रदेश की जरूरतों से कम है, इसके बावजूद इस खाद्यान्न के केवल 5% का ही उठाव यह बताता है कि, उसे जनता को पोषण-आहार देने की कोई चिंता नहीं है. उठाए गए इस खाद्यान्न का भी पूरा वितरण हुआ है कि नहीं, इस बात की भी कोई जानकारी नहीं है.

लाखों प्रवासी मजदूर हो रहे भुखमरी का शिकार
किसान सभा नेता ने कहा कि जिस प्रदेश में दो-तिहाई से ज्यादा आबादी गरीब हो, असंगठित क्षेत्र के लाखों मजदूरों और ग्रामीण गरीबों की आजीविका खत्म हो गई हो और 5 लाख प्रवासी मजदूर अपने गांव-घरों में लौटकर भुखमरी का शिकार हो रहे हैं, वहां जरूरतमंद और गरीब नागरिकों को मुफ्त अनाज न देकर उन्हें खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित करना आपराधिक कार्य है. वास्तव में इस सरकार ने आम जनता को अपनी खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार के रहमोकरम पर छोड़ दिया है. उसका जनविरोधी रुख इससे भी स्पष्ट है कि वह राज्य के पास उपलब्ध अतिशेष चावल को भुखमरी मिटाने के लिए इस्तेमाल करने के बजाए इससे इथेनॉल बनाने की मंजूरी केंद्र से मांग रही है.

पढ़ें- SPECIAL: कोरोना संकट और समर्थन मूल्य से एक बार फिर खेतों की ओर पहुंचने लगे किसान

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की आड़ में कालाबाजारियों ने रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा किया है और वे दोगुने-तिगुने भाव में बिक रही हैं. इससे आम जनता को बचाने के लिए मुफ्त अनाज वितरण ही न्यूनतम सुरक्षा का उपाय है, जिसे पूरा करने से कांग्रेस सरकार ने इंकार किया है.

हवा-हवाई विज्ञापनी दावों से नहीं भरने वाला जनता का पेट
किसान सभा ने राज्य सरकार से मांग की है कि केंद्र की ओर से आवंटित अनाज का उठाव कर सभी जरूरतमंद लोगों को इसे उपलब्ध कराए, उसके पास जमा अतिशेष चावल का भी वितरण करें तथा इस चावल को इथेनॉल में बदलने के अपने फैसले को रद्द करें. किसान सभा ने कहा है कि हवा-हवाई विज्ञापनी दावों से आम जनता का पेट नहीं भरने वाला है.

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