रायपुर: छत्तीसगढ़ किसान सभा (सीजीकेएस) ने कांग्रेस सरकार पर राज्य के गरीबों और जरूरतमंदों को खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित करने का आरोप लगाया है. किसान सभा ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि मुफ्त अनाज नागरिकों के बीच वितरण किए बिना ही वह जनता का पेट भरने का दावा कैसे कर रही है.
इसके बाद उन्होंने कहा कि हालांकि केंद्र की ओर से यह आवंटन प्रदेश की जरूरतों से कम है, इसके बावजूद इस खाद्यान्न के केवल 5% का ही उठाव यह बताता है कि, उसे जनता को पोषण-आहार देने की कोई चिंता नहीं है. उठाए गए इस खाद्यान्न का भी पूरा वितरण हुआ है कि नहीं, इस बात की भी कोई जानकारी नहीं है.
लाखों प्रवासी मजदूर हो रहे भुखमरी का शिकार
किसान सभा नेता ने कहा कि जिस प्रदेश में दो-तिहाई से ज्यादा आबादी गरीब हो, असंगठित क्षेत्र के लाखों मजदूरों और ग्रामीण गरीबों की आजीविका खत्म हो गई हो और 5 लाख प्रवासी मजदूर अपने गांव-घरों में लौटकर भुखमरी का शिकार हो रहे हैं, वहां जरूरतमंद और गरीब नागरिकों को मुफ्त अनाज न देकर उन्हें खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित करना आपराधिक कार्य है. वास्तव में इस सरकार ने आम जनता को अपनी खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार के रहमोकरम पर छोड़ दिया है. उसका जनविरोधी रुख इससे भी स्पष्ट है कि वह राज्य के पास उपलब्ध अतिशेष चावल को भुखमरी मिटाने के लिए इस्तेमाल करने के बजाए इससे इथेनॉल बनाने की मंजूरी केंद्र से मांग रही है.
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उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की आड़ में कालाबाजारियों ने रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा किया है और वे दोगुने-तिगुने भाव में बिक रही हैं. इससे आम जनता को बचाने के लिए मुफ्त अनाज वितरण ही न्यूनतम सुरक्षा का उपाय है, जिसे पूरा करने से कांग्रेस सरकार ने इंकार किया है.
हवा-हवाई विज्ञापनी दावों से नहीं भरने वाला जनता का पेट
किसान सभा ने राज्य सरकार से मांग की है कि केंद्र की ओर से आवंटित अनाज का उठाव कर सभी जरूरतमंद लोगों को इसे उपलब्ध कराए, उसके पास जमा अतिशेष चावल का भी वितरण करें तथा इस चावल को इथेनॉल में बदलने के अपने फैसले को रद्द करें. किसान सभा ने कहा है कि हवा-हवाई विज्ञापनी दावों से आम जनता का पेट नहीं भरने वाला है.