रायपुर : छत्तीसगढ़ में मौर्य काल, सातवाहन, वाकाटक, राज ऋषि तुल्य, नलवंश, शरभपुरी वंश, पांडू वंश कलचुरी वंश, वैष्णव शाक्त, जैन, बौद्ध धर्म को समान अवसर देकर उन्हें विस्तार करने में मदद की. छत्तीसगढ़ में धार्मिक स्थल में विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के मंदिर और देवालय के साथ ही स्मारक भी मिलते हैं. मंदिरों के इन्हीं समूह को धार्मिक गढ़ कहा जाता है. इसलिए छत्तीसगढ़ को धर्म का गढ़ माना गया है. इतिहासकार ने इसी को लेकर एक पुस्तक भी लिखा है, जिसका नाम छत्तीसगढ़ धर्म का गढ़ है.Chhattisgarh is called stronghold of religion
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छत्तीसगढ़ में किन राजाओं ने किया राज : पुरातत्वविद एवं इतिहासकार हेमू यदु ने बताया कि "दंडकारण्य में कई महान ऋषि-मुनियों ने अपनी तपोभूमि बनाया था, जिसके बाद भगवान राम (lord ram) ऋषि-मुनियों से मुलाकात करने के बाद वन गमन किए थे, इसलिए भी यह धर्म का गढ़ माना जाता है. उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर वैष्णव संप्रदाय से है, लेकिन राजा शैव संप्रदाय से थे. कई शासक और राजा ऐसे हुए जो अपने धर्म के साथ ही दूसरे धर्म को भी प्रोत्साहित करने के साथ ही उनका विस्तार किया. वैसे तो छत्तीसगढ़ को मंदिरों की नगरी और मंदिरों का गढ़ भी कहा जाता है."