ETV Bharat / state

छत्तीसगढ़ सरकार ने जनता से छीना राइट टू रिकॉल का अधिकार

प्रदेश सरकार के राइट टू रिकॉल का अधिकार हटाने के बाद इस फैसले पर भाजपा ने एतराज जताया है और जनता से उनका अधिकार छीनने वाला कदम बताया.

प्रदेश सरकार न हटाया राइट टू रिकॉल का अधिकार
author img

By

Published : Oct 30, 2019, 5:59 PM IST

Updated : Oct 30, 2019, 6:43 PM IST

रायपुर : नगरीय निकाय चुनाव में बदलाव की कड़ी में सरकार ने एक और बढ़ा फैसला लेते हुए जनता से राइट टू रिकॉल का अधिकार छीन लिया है. इसके तहत अब जनता के पास नगरीय निकाय के प्रमुख को हटाने का अधिकार नहीं रहेगा. इसकी जगह अब सिर्फ पार्षद ही अविश्वास प्रस्ताव के जरिए अध्यक्ष या मेयर को हटा सकेंगे.

नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया

नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि, 'नई व्यवस्था में अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव किया जा रहा है जिसके तहत पार्षद ही महापौर या अध्यक्ष का चुनाव करेंगे. ऐसे में पार्षदों को ही उन्हें हटाने का अधिकार दिया जा रहा है'.

राजनीतिक बयानबाजी शुरू
सरकार के इस फैसले पर भाजपा ने एतराज जताया है. इसे जनता से उनका अधिकार छीनने वाला कदम बताया है, जिस पर शिव डहरिया ने कहा कि, 'कांग्रेस प्रजातांत्रिक तरीके से काम करती आई है बीजेपी के द्वारा इस तरह का आरोप लगाना गलत है और बीजेपी विपक्ष में है इसीलिए इसका भी वे विरोध करेंगे'.

क्या है राइट टू रिकॉल ?
छत्तीसगढ़ में राइट टू रिकॉल की व्यवस्था लागू थी, जिसके तहत आम जनता के पास अध्यक्ष और मेयर के काम से असंतुष्ट होने पर उनके निर्वाचन को वापस लेने का अधिकार होता था. इस व्यवस्था के चलते प्रदेश में कुछ नगर पंचायत और जनपद पंचायतों में अध्यक्षों की कुर्सी चली भी गई थी.

पढ़ें-छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर 1 नवंबर को अवकाश घोषित

पार्षदों को दिया जनता का अधिकार
लोकतंत्र में आम जनता के पास इस अनूठी शक्ति की सराहना भी हुआ करती थी साथ ही जनप्रतिनिधियों पर आम जनता के प्रति जवाबदेही का भाव ज्यादा नजर आता था, लेकिन अब नई व्यवस्था में जिसे अप्रत्यक्ष प्रणाली कहा जा रहा है इसके तहत जनता महज पार्षदों का ही चुनाव करेगी और पार्षद अध्यक्ष या महापौर चुनेंगे. ऐसे में पार्षदों को ही जनता की इस पावर को दे दिया गया है.

रायपुर : नगरीय निकाय चुनाव में बदलाव की कड़ी में सरकार ने एक और बढ़ा फैसला लेते हुए जनता से राइट टू रिकॉल का अधिकार छीन लिया है. इसके तहत अब जनता के पास नगरीय निकाय के प्रमुख को हटाने का अधिकार नहीं रहेगा. इसकी जगह अब सिर्फ पार्षद ही अविश्वास प्रस्ताव के जरिए अध्यक्ष या मेयर को हटा सकेंगे.

नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया

नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि, 'नई व्यवस्था में अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव किया जा रहा है जिसके तहत पार्षद ही महापौर या अध्यक्ष का चुनाव करेंगे. ऐसे में पार्षदों को ही उन्हें हटाने का अधिकार दिया जा रहा है'.

राजनीतिक बयानबाजी शुरू
सरकार के इस फैसले पर भाजपा ने एतराज जताया है. इसे जनता से उनका अधिकार छीनने वाला कदम बताया है, जिस पर शिव डहरिया ने कहा कि, 'कांग्रेस प्रजातांत्रिक तरीके से काम करती आई है बीजेपी के द्वारा इस तरह का आरोप लगाना गलत है और बीजेपी विपक्ष में है इसीलिए इसका भी वे विरोध करेंगे'.

क्या है राइट टू रिकॉल ?
छत्तीसगढ़ में राइट टू रिकॉल की व्यवस्था लागू थी, जिसके तहत आम जनता के पास अध्यक्ष और मेयर के काम से असंतुष्ट होने पर उनके निर्वाचन को वापस लेने का अधिकार होता था. इस व्यवस्था के चलते प्रदेश में कुछ नगर पंचायत और जनपद पंचायतों में अध्यक्षों की कुर्सी चली भी गई थी.

पढ़ें-छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर 1 नवंबर को अवकाश घोषित

पार्षदों को दिया जनता का अधिकार
लोकतंत्र में आम जनता के पास इस अनूठी शक्ति की सराहना भी हुआ करती थी साथ ही जनप्रतिनिधियों पर आम जनता के प्रति जवाबदेही का भाव ज्यादा नजर आता था, लेकिन अब नई व्यवस्था में जिसे अप्रत्यक्ष प्रणाली कहा जा रहा है इसके तहत जनता महज पार्षदों का ही चुनाव करेगी और पार्षद अध्यक्ष या महापौर चुनेंगे. ऐसे में पार्षदों को ही जनता की इस पावर को दे दिया गया है.

Intro:cg_rpr_03_right to recall samapt_avb_7204363

छत्तीसगढ़ सरकार ने जनता से छीना राइट टू रिकॉल, अब बनाई गई यह नई व्यवस्था

रायपुर । नगरी निकाय चुनाव में बदलाव के कड़ी में एक अहम फैसला सरकार ने लेते हुए जनता से राइट टू रिकॉल का अधिकार छीन लिया है इसके तहत अब जनता के पास नगरी निकाय के प्रमुख हो हटाने का अधिकार नहीं रहेगा अब इसकी जगह पर अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पार्षद अध्यक्ष या मेयर को हटा सकेंगे




Body:नगरीय निकाय मंत्री शिव कुमार डहरिया ने यह जानकारी देते हुए कहा जब नई व्यवस्था में अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव किया जा रहा है जिसके तहत पार्षद महापौर या अध्यक्ष का चुनाव करेंगे ऐसे में पार्षदों को ही उन्हें हटाने का अधिकार दिया जा रहा है।
बाइट- शिवकुमार डहरिया मंत्री नगरी निकाय विभाग

राजनीतिक बयानबाजी शुरू

सरकार इस फैसले पर भाजपा ने एतराज जताया है इसे जनता से उनका अधिकार छीनने वाला कदम बताया है। जिस पर शिव डहरिया ने कहा कि कांग्रेस प्रजातांत्रिक तरीके से काम करती आई है बीजेपी के द्वारा इस तरह का आरोप गलत है और बीजेपी को विरोध करना है तो इसलिए इसका भी विरोध करेंगे।
बाइट- शिवकुमार डहरिया मंत्री नगरी निकाय विभाग




Conclusion:क्या था राइट टू रिकॉल

छत्तीसगढ़ में यह व्यवस्था लागू थी जिसके तहत आम जनता के पास अध्यक्ष एवं मेयर के काम से असंतुष्ट होने पर उनके निर्वाचन को वापस लेने का अधिकार होता था इस व्यवस्था के चलते प्रदेश में कुछ नगर पंचायत और जनपद पंचायतों में अध्यक्षों की कुर्सी चली भी गई थी

लोकतंत्र में आम जनता के पास इस अनूठी शक्ति की सराहना भी हुआ करती थी साथ ही जनप्रतिनिधियों पर आम जनता के प्रति जवाबदेही का भाव ज्यादा नजर आता था लेकिन अब नई व्यवस्था में जिसे अप्रत्यक्ष प्रणाली कहा जा रहा है इसके तहत जनता महज पार्षदों का ही चुनाव करेगी और पार्षद अध्यक्ष या महापौर चुनेंगे ऐसे में पार्षदों को ही जनता की इस पावर को ट्रांसफर कर दिया गया है
Last Updated : Oct 30, 2019, 6:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.