नई दिल्ली/रायपुर: एआईसीसी कार्यालय दिल्ली में बुधवार को छत्तीसगढ़ कांग्रेस की बड़ी बैठक चल रही है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी छत्तीसगढ़ के नेताओं की मीटिंग ले रहे हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस संगठन में खींचतान की खबर हाईकमान तक पहुंच चुकी है. पीसीसी चीफ मोहन मरकाम और छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी शैलजा के बीच बीते कई दिनों से टकराव की स्थिति बनी हुई है. कुमारी शैलजा मोहन मरकाम के एक फैसले को निरस्त भी कर चुकी हैं. लिहाजा हाईकमान ने दिग्गज नेताओं को दिल्ली बुलावा भेजा. दिल्ली की बैठक में सीएम भूपेश बघेल के साथ ही कुमारी शैलजा और मोहन मरकाम भी मौजूद हैं.
खड़गे ने इसलिए दोहराया गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा: बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' का नारा दोहराया. खड़गे ने कहा कि "यह सिर्फ कांग्रेस के लिए एक नारा नहीं है, यह छत्तीसगढ़ की प्रगति और सामाजिक न्याय के लिए एक लक्ष्य है. छत्तीसगढ़ की प्रगति और सामाजिक न्याय, छत्तीसगढ़ की जनता और कांग्रेस पार्टी पर उनका अटूट विश्वास के साथ ही विकास की धारा को लेकर आगे बढ़ाता रहेगा. हम मिलकर काम करेंगे और छत्तीसगढ़ की जनता के जीवन में बदलाव लाते रहेंगे."
दिल्ली में छत्तीसगढ़ कांग्रेस नेताओं की बड़ी बैठक क्यों: छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव हैं. लिहाजा कांग्रेस आलाकमान आपसी खींचतान का मसला खत्म कर चुनाव पर फोकस करना चाहता है. इस बैठक में संगठन से जुड़ी समस्याओं के साथ ही मिशन 2023 पर मंथन किया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया कि इस मीटिंग का उद्देश्य चुनावी तैयारियों पर मंथन है. छत्तीसगढ़ में नवंबर दिसंबर में चुनाव हैं. लिहाजा चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई गई है.मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उन राज्यों की पहले बैठक हुई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने दो बैठकें ली है. फिर राहुल गांधी विदेश यात्रा पर गए थे. उनके लौटने के बाद अब फिर बैठक हो रही है.
क्या सीएम फेस पर भी होगा फैसला?: दिल्ली में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की बैठक में सीएम फेस पर चर्चा को लेकर भी सियासी गलियारों में हलचल तेज है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने एक बार फिर कलेक्टिव लीडरशिप के आधार पर चुनाव लड़ने की बात पर जोर दिया है.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार रिपीट होने के बहुत अच्छे चांसेज हैं. सरकार ने अच्छा काम किया है. कांग्रेस पार्टी स्वयं एक चेहरा है. कांग्रेस पार्टी की नीतियां, उद्देश्य, काम करने का अपना तरीका है. साथ में व्यक्ति भी जुड़ते हैं. पिछला चुनाव एक कलेक्टिव लीडरशिप के आधार पर हमने लड़ा था. यह बेस्ट है कि कलेक्टिव लीडरशिप के आधार पर चुनाव लड़ें. इसमें टीम को कोई भी लीड कर सकता है. मुख्यमंत्री हैं, पीसीसी प्रेसिडेंट हैं. स्वाभाविक है कि यह फ्रंट रनर्स रहते हैं. फर्स्ट चेहरा मुख्यमंत्री, पीसीसी प्रेसिडेंट, सीनियर लीडर्स, पार्टी, पार्टी ऑडियोलॉजी, डिलिवरी ऑफ सर्विसेज है. -टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री
विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस को कितना नुकसान: साल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में पार्टी के घोषणा पत्र की अहम भूमिका रही. टीएस सिंहदेव ने पूरे प्रदेश में घूम-घूमकर लोगों से चर्चा के बाद यह घोषणा पत्र तैयार किया था. हालांकि सिंहदेव खुद मानते हैं कि महत्वपूर्ण यह है कि चुनाव में हमें सफलता मिले. दस काम में आपने नौ पूरा कर दिया लेकिन एक काम भारी पड़ जाता है. इस स्थिति को भी हमें डील करना पड़ेगा. कहीं कमी रही है तो लोगों को समझाना पड़ेगा, उन्हें कांफिडेंस में लेना पड़ेगा.
अब देखना होगा कि इस मीटिंग के बाद संगठन के भीतर चल रही खींचतान कम होती है या बढ़ती है. पार्टी एकजुट होकर चुनाव लड़ती है तो विधानसभा चुनाव 2023 में कामयाबी को दोहराया जा सकता है. वहीं अगर खींचतान और आपसी मनमुटाव समाप्त नहीं हुआ तो पार्टी को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ सकता है.