रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने सावित्री मंडावी को विधायक पद की शपथ दिलाई. Chhattisgarh Assembly winter session छत्तीसगढ़ की पूर्व मंत्री लता उसेंडी के पिता पूर्व विधायक मंगलाराम उसेंडी के निधन पर दुख जताया गया. नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. स्वर्गीय मंगल राम उसेंडी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने के बाद सदन 10 मिनट के लिए स्थगित किया गया.
समिति कक्ष में कार्यमंत्रणा समिति की हुई बैठक: छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत की अध्यक्षता में विधानसभा के समिति कक्ष में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक हुई. Question Hour in Chhattisgarh Legislative Assembly इस बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल और संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे सहित समिति के सदस्य मौजूद रहे.
विधानसभा में जल जीवन मिशन पर बवाल: 10 मिनट तक विधानसभा की कार्यवाही स्थगित रही. इसके बाद दोबारा कार्यवाही शुरु हुई. प्रश्नकाल शुरु होते ही जल जीवन मिशन का मुद्दा उठा. विधायक डॉ कृष्णमूर्ति बांधी ने जल जीवन मिशन का मुद्दा उठाया. इस दौरान बांधी ने जल जीवन मिशन के टेंडर संबंधित सवाल पूछा. मंत्री रुद्र कुमार के जवाब पर असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए टेंडर और संशोधन के मामलों में सवाल खड़ा किया. अपने सवाल में डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी ने पूछा, ''क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि बिलासपुर जिले में 15 जुलाई 2022 से दिनांक 07 दिसम्बर 2022 तक जनजीवन मिशन के तहत कितने टेंडर निकले और किसने टेंडरों के लिए रिटेंडर या संशोधित किया गया? संशोधित टेंडर के लिए कितनी समयसीमा निर्धारित की गई थी? ऑनलाइन फाइन रिटेंडर के लिए क्या समयसीमा निर्धारित की गई.''
winter session of cg assembly: आज से छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र
जीवन मिशन के टेंडरों की समय सीमा में संशोधन: डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी के सवाल के जवाब में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रूद्र कुमार ने बताया कि ''बिलासपुर जिले में 15 जुलाई 2022 से दिनांक 7 दिसम्बर 2022 तक जल जीवन मिशन के तहत कुल 201 टेंडर निकाले गये. इनमें से 80 टेंडर- रिटेंडर और 15 टैंडरों की समय सीमा में संशोधन किया गया.''
मंत्री के जवाब से नाखुश विपक्ष किया वॉकआउट: भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने पूछा कि ''इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के 72 लाख घरों में नल कनेक्शन लगना है. पूरे देश में इस योजना में छत्तीसगढ़ पीछे है. 201 टेंडर में आपको 95 टेंडर संशोधित करना पड़ा. 15 टेंडर को रिटेंडर किया. आखिर इसकी वजह क्या है?'' इस सवाल का मंत्री रुद्रगुरु ने जवाब दिया, लेकिन भाजपा विधायक संतुष्ट नजर नहीं आए. भाजपा विधायकों ने यह आरोप भी लगाया कि "ये 100 करोड़ के घोटाले का मामला है. इसकी समिति बनाकर जांच होनी चाहिए." इस दौरान लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया.
विधानसभा सत्र में प्रमुख विधेयक लाने की तैयारी: सदन में दो विधेयक पेश किए जाएंगे. इनमें पहला सट्टा-जुआ निरोधक कानून, और दूसरा अनियमित निर्माण नियमितीकरण संशोधन विधेयक. इन पर चर्चा 4 जनवरी को होने की संभावना है. जिसमें प्रमुख रूप से ऑनलाइन खेले जा रहे जुआ पर बंदिश लगाने वाला विधेयक प्रमुख है. इस विधेयक के जरिए ऑनलाइन चल रहे जुआ पर नकेल कसी जाएगी और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
ऑनलाइन जुआ पर नकेल कसने की तैयारी: इसकी जानकारी संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान दी थी. चौबे ने बताया था कि "ऑनलाइन जुआ को लेकर केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य सरकार विधेयक बना सकती है. महादेव ऐप जैसे ऑनलाइन जुआ चल रहे हैं. इसके खिलाफ सरकार ने छत्तीसगढ़ जुआ प्रतिषेध विधेयक 2022 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया, जो विधानसभा में लाया जाएगा. उसके बाद छत्तीसगढ़ एक्ट के रूप में लागू हो जाएगा."
कानून में 10 लाख जुर्माना और 7 साल तक की सजा का प्रावधान: प्रदेश में हर साल हजारों सटोरी और जुवारी पकड़े जाते हैं. इनमें कई का कनेक्शन देश और विदेश से जुड़ा होता है. लेकिन पुलिस उन पर महज प्रतिबंधात्मक (धारा 151) के तहत कार्रवाई करती है. इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई ना होने से आरोपी थाने से आसानी से छूट जाते हैं. लेकिन नया कानून लागू होने के बाद इन ऑनलाइन जुआ खिलाने वालों पर नकेल कसी जा सकेगी. इसके तहत 10 लाख जुर्माना और 7 साल तक की सजा का प्रावधान किया जा सकता है.
यह नया कानून तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान और असम की तर्ज पर होगा. इन राज्यों के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ में भी सख्त कानून लाया जा रहा है. अभी 3-4 जुआ एक्ट लचीला है. इसमें कैश कितना भी जब्त हो, थाने से ही जमानत हो जाती है. कोर्ट भी सजा के तौर पर अर्थदंड देते हैं, इसलिए इसमें बदलाव किया जा रहा है. नया कानून लागू होने के बाद इस तरह का रैकेट चलाने वाले या ऑनलाइन गेमिंग की आईडी चलाने वालों को थाने से जमानत नहीं मिलेगी. इसमें सजा 7 से 10 साल तक रहेगी.