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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023: क्या माथुर मंत्र से बीजेपी की सत्ता में होगी वापसी !

chhattisgarh assembly election 2023 छत्तीसगढ़ के नए भाजपा प्रभारी ओम माथुर सोमवार को रायपुर पहुंचे. राजधानी पहुंचते ही उन्होंने कहा कि बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़ कोई बड़ी चुनौती नहीं है. वहीं इस बयान के बाद अब पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक ओर जहां जोश दिख रहा है. वहीं बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं.chhattisgarh political battle

chhattisgarh assembly election 2023
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023
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Published : Nov 22, 2022, 11:40 PM IST

रायपुर: chhattisgarh assembly election 2023 छत्तीसगढ़ के नए भाजपा प्रभारी ओम माथुर सोमवार को रायपुर पहुंचे. राजधानी पहुंचते ही उन्होंने कहा कि बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़ कोई बड़ी चुनौती नहीं है. वहीं इस बयान के बाद अब पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक ओर जहां जोश दिख रहा है. मंगलवार को ओम माथुर ने बीजेपी की कई बड़ी बैठकें ली. इस मीटिंग के बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई. इसके साथ ही दिसंबर महीने से छत्तीसगढ़ में आंदोलन की रुप रेखा बनी. बीजेपी प्रधानमंत्री आवास योजना में बघेल सरकार पर विफलता का आरोप लगाकर आंदोलन का बिगुल फूंकने जा रही है. chhattisgarh political battle

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की बिछी बिसात

ओम माथुर ने ली मैराथन बैठकें: Om Mathur mantra to BJP leaders छत्तीसगढ़ दौरे के दूसरे दिन बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने लगातार मैराथन बैठकें ली. उन्होंने छत्तीसगढ़ बीजेपी के सभी मोर्चा अध्यक्षों, जिला प्रभारियों और प्रदेश बीजेपी के पदाधिकारियों से चर्चाएं की. उसके बाद सभी चुनावी मोड में आने की नसीहत दे डाली. बैठक खतम होने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने जानकारी दी कि बीजेपी दिसंबर से छत्तीसगढ़ में बघेल सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करेगी. यह आंदोलन पीएम आवास योजना को लेकर होगा. बीजेपी का आरोप है कि साल 2021-22 में इस योजना के तहत कोई काम राज्य में नहीं हो पाया है. राज्य सरकार पर अरुण साव ने पीएम आवास योजना का फंड जारी नहीं करने का आरोप लगाया. लगातार ओम माथुर पार्टी कार्यकर्ताओं को रिचार्ज कर रहे हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में उनका वह बयान चर्चा में है. जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़ कोई बड़ी चुनौती नहीं है. इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. BJP state in charge Om Mathur



छत्तीसगढ़ में सत्ता की राह आसान नहीं: छत्तीसगढ़ में बीजेपी के लिए सत्ता की राह आसान नहीं है. कांग्रेस की सरकार को 4 साल हो गए हैं. लेकिन भाजपा सरकार को कोई चुनौती देती नजर नहीं आ रही है. वहीं पिछले विधानसभा के मतदान प्रतिशत की अगर बात की जाए. तो दोनों ही पार्टियों में वोट का अंतर कम रहा है. हालांकि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने वोट के अंतर को पार करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी.



ऐसा रहा वोट प्रतिशत: तत्कालीन मध्यप्रदेश के समय से ही छत्तीसगढ़ के क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद कांग्रेस सत्ता में आई. हालांकि 3 साल बाद ही सरकार गिरने के बाद बीजेपी 15 सालों तक सत्ता में काबिज रही. लेकिन दोनों ही पार्टियों में वोट का अंतर बेहद कम रहा.



2003 का विधानसभा चुनाव: छत्तीसगढ़ में 90 सीटों के लिए साल 2003 में विधानसभा के चुनाव हुए. इस चुनाव में भाजपा ने 50 सीटें जीतीं. वहीं कांग्रेस को 37 सीटें हासिल हुई. बहुजन समाज पार्टी को 2 सीटें मिली. एनसीपी को 1 सीटें मिली. इस चुनाव में भाजपा को 39. 26 फ़ीसदी वोट और कांग्रेस को 36.1 फ़ीसदी वोट मिले थे. वहीं बसपा को 4.45 फीसदी और एनसीपी को 7.0 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुए थे.


2008 में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा: 2008 विधानसभा चुनाव परिणाम की चर्चा की जाए तो बीजेपी को 50 सीटें मिलीं. वहीं कांग्रेस को 38 सीटें मिली थी. 2 सीटों पर बसपा विजयी रही. बता दें कि इस पूरे चुनाव में 70.5 प्रतिशत वोट पड़े. जिनमें बीजेपी को 40.33 फीसदी, कांग्रेस को 38.63 फीसदी और बसपा 6.11 फीसदी वोट हासिल हुए. भाजपा के वोट प्रतिशत की बात की जाए तो 2003 के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस चुनाव में सिर्फ 1.07 फ़ीसदी वोट प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. वहीं कांग्रेस पार्टी की बात की जाए तो 2003 के विधानसभा की तुलना में इस चुनाव में कांग्रेस को 4.23 फ़ीसदी वोट प्रतिशत की बढ़ोतरी मिली थी.


2013 विधानसभा चुनाव का हाल: 2013 विधानसभा चुनाव परिणाम की बात की जाए तो भारतीय जनता पार्टी को 49 सीटें मिली. तो वहीं कांग्रेस को 38 सीटें मिली. बसपा को 1 तो 1 निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. इस चुनाव का कुल मतदान प्रतिशत 77.12 रहा. जहां भाजपा को 41.04 प्रतिशत वोट मिले. तो वहीं कांग्रेस को 40.29 प्रतिशत वोट हासिल हुआ. बसपा का 4.27 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुआ. 2008 की तुलना में इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 0.71 फ़ीसदी वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी मिली. कांग्रेस को 1.66 प्रतिशत वोट में बढ़ोतरी मिली.

यह भी पढ़ें: Jagdalpur crime news जगदलपुर में पैसा छीनने वाले बदमाश गिरफ्तार



2018 विधानसभ चुनाव का राजनीतिक समीकरण: 2018 विधानसभा चुनाव परिणाम की बात की जाए 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में आई और कांग्रेस को 68 सीटें मिलीं. वहीं भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई. दोनों ही पार्टियों के वोट प्रतिशत की बात की जाए तो कांग्रेस ने 10 प्रतिशत वोट शेयर अधिका रहा. वहीं छत्तीसगढ़ में हुए चार उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी ने ही जीत दर्ज की. आज 70 विधानसभा सीट पर कांग्रेस के एमएलए हैं.


क्या कहना है कांग्रेस का: कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला का कहना है "छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी जनता का भरोसा खो चुकी है. भारतीय जनता पार्टी का कोई भी ऐसा नेता नहीं है, जिन पर जनता भरोसा करे. नेतृत्व विहीन भारतीय जनता पार्टी के लिए ओम माथूर कितनी भी बैठेकें कर ले. कुछ भी रणनीति बना ले कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. भारतीय जनता पार्टी के पास ना नेता है. ना ही मुद्दे हैं. प्रदेश की सरकार द्वारा पिछले 4 साल में जनकल्याणकारी कामों का और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि का मुकाबला करने के लिए भाजपा के पास कोई भी नेता नहीं बचा है. ओम माथुर की बैठके फिजूल साबित होने वाली है. इसके पहले भी भारतीय जनता पार्टी के तीन प्रभारी यहां आए. डी पुरंदेश्वरी ने भी बहुत सारी बैठकें की. उन्हें भी वापस जाना पड़ा. भानुप्रतापपुर उपचुनाव के बाद ओम माथुर को भी छत्तीसगढ़ से संभवत वापस जाना पड़ेगा."


भूपेश बघेल ने भी ली चुटकी: छत्तीसगढ़ को चुनौती के रूप में नहीं देखने वाले बयान पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा "छत्तीसगढ़ उनके लिए चुनौती नहीं रहेगी. क्योंकि इससे पहले चार प्रभारी बदल चुके हैं. चुनौती भाजपा के अंदर ही है. वे कितने दिन रहते हैं. उनके लिए चुनौती यह है कि वह छत्तीसगढ़ में कितने दिन टिक पाते हैं."



बीजेपी ने कांग्रेस पर किया पलटवार: वहीं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा "भारतीय जनता पार्टी के लिए कांग्रेस चुनौती नहीं है. ऐसा ओम माथुर ने कहा है, जो पार्टी पूरे हिंदुस्तान में अस्तित्वहीन हो रही है. लगातार सारे राज्य में इनकी पार्टी चुनाव हार रही है. आज तक केंद्र में उनका नेता प्रतिपक्ष तय नहीं हो पाया है. सभी राज्यों में इनकी सरकार हार रही है. धीरे-धीरे कांग्रेस पार्टी की प्रासंगिकता खोती जा रही है. आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में भी इनका यही हश्र होगा."



राजनीतिक विश्लेषकों का क्या है मत: राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि "ओम माथुर ने अपने बयान में कहा है कि भाजपा छोटे से छोटे चुनाव को चुनौती के रूप में लेती है. इसके इतर उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस को चुनौती नहीं. ओम माथुर काफी ज्यादा अनुभवी हैं. उन्होंने अलग अलग राज्यो में पॉजिटिव रिजल्ट दिए हैं. उनका राजनीतिक बौद्धिक बल अधिक है. लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए कांग्रेस चुनौती नहीं है. ऐसा कहना सही नहीं होगा. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कभी भी कमजोर नहीं रही है. 2008 ,2013 विधानसभा से लेकर 2018 विधानसभा तक अगर पूरे हिंदुस्तान में कोई पार्टी सशक्त रही है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ही सशक्त रही है. उनका वोट परसेंट भी अच्छा रहा है. अन्य राज्य की तुलना में छत्तीसगढ़ स्टेट में कांग्रेस मजबूत स्थिति में रही है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. वर्तमान में कांग्रेस का मनोबल इतना बढ़ गया है. क्योंकि उनके पास 70 विधायक हैं भाजपा के सामने चुनौती के तौर पर कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों का धान का बोनस, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अपना चेहरा है. पिछले 4 सालों में सरकार ने जनता के बीच में पॉजिटिव मैसेज दिया है. हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच सीटों का अंतर इतना नहीं रहेगा जो आज है,, दोनों ही पार्टी के बीच 50-50 का मुकाबला देखने को मिलेगा और दोनों ही पार्टी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव चुनौतीपूर्ण है.

रायपुर: chhattisgarh assembly election 2023 छत्तीसगढ़ के नए भाजपा प्रभारी ओम माथुर सोमवार को रायपुर पहुंचे. राजधानी पहुंचते ही उन्होंने कहा कि बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़ कोई बड़ी चुनौती नहीं है. वहीं इस बयान के बाद अब पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक ओर जहां जोश दिख रहा है. मंगलवार को ओम माथुर ने बीजेपी की कई बड़ी बैठकें ली. इस मीटिंग के बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई. इसके साथ ही दिसंबर महीने से छत्तीसगढ़ में आंदोलन की रुप रेखा बनी. बीजेपी प्रधानमंत्री आवास योजना में बघेल सरकार पर विफलता का आरोप लगाकर आंदोलन का बिगुल फूंकने जा रही है. chhattisgarh political battle

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की बिछी बिसात

ओम माथुर ने ली मैराथन बैठकें: Om Mathur mantra to BJP leaders छत्तीसगढ़ दौरे के दूसरे दिन बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने लगातार मैराथन बैठकें ली. उन्होंने छत्तीसगढ़ बीजेपी के सभी मोर्चा अध्यक्षों, जिला प्रभारियों और प्रदेश बीजेपी के पदाधिकारियों से चर्चाएं की. उसके बाद सभी चुनावी मोड में आने की नसीहत दे डाली. बैठक खतम होने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने जानकारी दी कि बीजेपी दिसंबर से छत्तीसगढ़ में बघेल सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करेगी. यह आंदोलन पीएम आवास योजना को लेकर होगा. बीजेपी का आरोप है कि साल 2021-22 में इस योजना के तहत कोई काम राज्य में नहीं हो पाया है. राज्य सरकार पर अरुण साव ने पीएम आवास योजना का फंड जारी नहीं करने का आरोप लगाया. लगातार ओम माथुर पार्टी कार्यकर्ताओं को रिचार्ज कर रहे हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में उनका वह बयान चर्चा में है. जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़ कोई बड़ी चुनौती नहीं है. इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. BJP state in charge Om Mathur



छत्तीसगढ़ में सत्ता की राह आसान नहीं: छत्तीसगढ़ में बीजेपी के लिए सत्ता की राह आसान नहीं है. कांग्रेस की सरकार को 4 साल हो गए हैं. लेकिन भाजपा सरकार को कोई चुनौती देती नजर नहीं आ रही है. वहीं पिछले विधानसभा के मतदान प्रतिशत की अगर बात की जाए. तो दोनों ही पार्टियों में वोट का अंतर कम रहा है. हालांकि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने वोट के अंतर को पार करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी.



ऐसा रहा वोट प्रतिशत: तत्कालीन मध्यप्रदेश के समय से ही छत्तीसगढ़ के क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद कांग्रेस सत्ता में आई. हालांकि 3 साल बाद ही सरकार गिरने के बाद बीजेपी 15 सालों तक सत्ता में काबिज रही. लेकिन दोनों ही पार्टियों में वोट का अंतर बेहद कम रहा.



2003 का विधानसभा चुनाव: छत्तीसगढ़ में 90 सीटों के लिए साल 2003 में विधानसभा के चुनाव हुए. इस चुनाव में भाजपा ने 50 सीटें जीतीं. वहीं कांग्रेस को 37 सीटें हासिल हुई. बहुजन समाज पार्टी को 2 सीटें मिली. एनसीपी को 1 सीटें मिली. इस चुनाव में भाजपा को 39. 26 फ़ीसदी वोट और कांग्रेस को 36.1 फ़ीसदी वोट मिले थे. वहीं बसपा को 4.45 फीसदी और एनसीपी को 7.0 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुए थे.


2008 में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा: 2008 विधानसभा चुनाव परिणाम की चर्चा की जाए तो बीजेपी को 50 सीटें मिलीं. वहीं कांग्रेस को 38 सीटें मिली थी. 2 सीटों पर बसपा विजयी रही. बता दें कि इस पूरे चुनाव में 70.5 प्रतिशत वोट पड़े. जिनमें बीजेपी को 40.33 फीसदी, कांग्रेस को 38.63 फीसदी और बसपा 6.11 फीसदी वोट हासिल हुए. भाजपा के वोट प्रतिशत की बात की जाए तो 2003 के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस चुनाव में सिर्फ 1.07 फ़ीसदी वोट प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. वहीं कांग्रेस पार्टी की बात की जाए तो 2003 के विधानसभा की तुलना में इस चुनाव में कांग्रेस को 4.23 फ़ीसदी वोट प्रतिशत की बढ़ोतरी मिली थी.


2013 विधानसभा चुनाव का हाल: 2013 विधानसभा चुनाव परिणाम की बात की जाए तो भारतीय जनता पार्टी को 49 सीटें मिली. तो वहीं कांग्रेस को 38 सीटें मिली. बसपा को 1 तो 1 निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. इस चुनाव का कुल मतदान प्रतिशत 77.12 रहा. जहां भाजपा को 41.04 प्रतिशत वोट मिले. तो वहीं कांग्रेस को 40.29 प्रतिशत वोट हासिल हुआ. बसपा का 4.27 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुआ. 2008 की तुलना में इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 0.71 फ़ीसदी वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी मिली. कांग्रेस को 1.66 प्रतिशत वोट में बढ़ोतरी मिली.

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2018 विधानसभ चुनाव का राजनीतिक समीकरण: 2018 विधानसभा चुनाव परिणाम की बात की जाए 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में आई और कांग्रेस को 68 सीटें मिलीं. वहीं भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई. दोनों ही पार्टियों के वोट प्रतिशत की बात की जाए तो कांग्रेस ने 10 प्रतिशत वोट शेयर अधिका रहा. वहीं छत्तीसगढ़ में हुए चार उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी ने ही जीत दर्ज की. आज 70 विधानसभा सीट पर कांग्रेस के एमएलए हैं.


क्या कहना है कांग्रेस का: कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला का कहना है "छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी जनता का भरोसा खो चुकी है. भारतीय जनता पार्टी का कोई भी ऐसा नेता नहीं है, जिन पर जनता भरोसा करे. नेतृत्व विहीन भारतीय जनता पार्टी के लिए ओम माथूर कितनी भी बैठेकें कर ले. कुछ भी रणनीति बना ले कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. भारतीय जनता पार्टी के पास ना नेता है. ना ही मुद्दे हैं. प्रदेश की सरकार द्वारा पिछले 4 साल में जनकल्याणकारी कामों का और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि का मुकाबला करने के लिए भाजपा के पास कोई भी नेता नहीं बचा है. ओम माथुर की बैठके फिजूल साबित होने वाली है. इसके पहले भी भारतीय जनता पार्टी के तीन प्रभारी यहां आए. डी पुरंदेश्वरी ने भी बहुत सारी बैठकें की. उन्हें भी वापस जाना पड़ा. भानुप्रतापपुर उपचुनाव के बाद ओम माथुर को भी छत्तीसगढ़ से संभवत वापस जाना पड़ेगा."


भूपेश बघेल ने भी ली चुटकी: छत्तीसगढ़ को चुनौती के रूप में नहीं देखने वाले बयान पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा "छत्तीसगढ़ उनके लिए चुनौती नहीं रहेगी. क्योंकि इससे पहले चार प्रभारी बदल चुके हैं. चुनौती भाजपा के अंदर ही है. वे कितने दिन रहते हैं. उनके लिए चुनौती यह है कि वह छत्तीसगढ़ में कितने दिन टिक पाते हैं."



बीजेपी ने कांग्रेस पर किया पलटवार: वहीं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा "भारतीय जनता पार्टी के लिए कांग्रेस चुनौती नहीं है. ऐसा ओम माथुर ने कहा है, जो पार्टी पूरे हिंदुस्तान में अस्तित्वहीन हो रही है. लगातार सारे राज्य में इनकी पार्टी चुनाव हार रही है. आज तक केंद्र में उनका नेता प्रतिपक्ष तय नहीं हो पाया है. सभी राज्यों में इनकी सरकार हार रही है. धीरे-धीरे कांग्रेस पार्टी की प्रासंगिकता खोती जा रही है. आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में भी इनका यही हश्र होगा."



राजनीतिक विश्लेषकों का क्या है मत: राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि "ओम माथुर ने अपने बयान में कहा है कि भाजपा छोटे से छोटे चुनाव को चुनौती के रूप में लेती है. इसके इतर उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस को चुनौती नहीं. ओम माथुर काफी ज्यादा अनुभवी हैं. उन्होंने अलग अलग राज्यो में पॉजिटिव रिजल्ट दिए हैं. उनका राजनीतिक बौद्धिक बल अधिक है. लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए कांग्रेस चुनौती नहीं है. ऐसा कहना सही नहीं होगा. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कभी भी कमजोर नहीं रही है. 2008 ,2013 विधानसभा से लेकर 2018 विधानसभा तक अगर पूरे हिंदुस्तान में कोई पार्टी सशक्त रही है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ही सशक्त रही है. उनका वोट परसेंट भी अच्छा रहा है. अन्य राज्य की तुलना में छत्तीसगढ़ स्टेट में कांग्रेस मजबूत स्थिति में रही है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. वर्तमान में कांग्रेस का मनोबल इतना बढ़ गया है. क्योंकि उनके पास 70 विधायक हैं भाजपा के सामने चुनौती के तौर पर कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों का धान का बोनस, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अपना चेहरा है. पिछले 4 सालों में सरकार ने जनता के बीच में पॉजिटिव मैसेज दिया है. हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच सीटों का अंतर इतना नहीं रहेगा जो आज है,, दोनों ही पार्टी के बीच 50-50 का मुकाबला देखने को मिलेगा और दोनों ही पार्टी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव चुनौतीपूर्ण है.

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