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किसान की बेटी बनी सेना में नर्सिंग लेफ्टिनेंट, पिछड़ी सोच को दिखाया संघर्ष से सफलता का आईना - SUCCESS STORY OF VEENA SAHU

किसान की बेटी वीणा साहू सेना में नर्सिंग लेफ्टिनेंट बनी है.जिसका गांव आने पर जोरदार स्वागत किया गया.

Success Story Of Veena Sahu
किसान की बेटी बनीं सेना में नर्सिंग लेफ्टिनेंट (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 3, 2025, 8:52 PM IST

Updated : Jan 4, 2025, 1:37 PM IST

बालोद : छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक गांव की रहने वाली युवती ने अपने किसान पिता के सपनों को उड़ान दे दी. पिता चाहते थे कि बेटी पढ़ाई के बाद किसी अच्छे घर में शादी के बाद चली जाए.लेकिन बेटी ने भी ठान रखा था कि वो अपने पिता और परिवार के लिए कुछ ऐसा करेगी,जिससे एक दिन पूरे गांव को उस पर गर्व हो.आखिरकार वो दिन आ गया, जब बेटी कुछ बनकर वापस गांव में लौटी. गांव में कदम रखते ही हर कोई बेटी पर फूलों की बौछार कर उसका स्वागत कर रहा था.ये कहानी है जमरुवा गांव की वीणा साहू की, जिसने अपनी मेहनत और लगन से ये साबित किया कि परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल भरी क्यों ना हो,यदि आपका संकल्प दृढ़ है तो आपको कामयाबी जरूरत मिलती है, चाहे राह कितनी भी कठिन क्यों न हो.

गांव की बेटी बनीं पहली नर्सिंग लेफ्टिनेंट : बालोद जिले के एक छोटे से गांव जमरूवा की रहने वाली वीणा साहू भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट नर्सिंग अफसर बनी हैं.वीणा ने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर बैठने या छोटी जगह पर नौकरी करने के बजाए कुछ बड़ा करने की ठानी.इसी दौरान उसे पता चला कि भारतीय सेना में नर्सिंग की वैकेंसी निकली है.बस फिर क्या था वीणा ने दिन रात एक कर तैयारी की और पहले ही अटेम्प्ट में लेफ्टिनेंट के लिए सेलेक्ट हो गईं.वीणा साहू अब मिलिट्री हॉस्पिटल अंबाला में देश के जवानों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं.वीणा के मुताबिक उन्होंने पहले ही ठान लिया था कि कुछ करना है.

किसान की बेटी ने बढ़ाया मान (ETV Bharat Chhattisgarh)

गांव में संसाधन सीमित होते हैं.लोगों के लिए ज्यादा बड़े सपने देखने का मौका नहीं होता.पहले मुझे नहीं पता था कि बीएससी नर्सिंग करके भी सेना में जाया जा सकता है.पिछले साल जनवरी में मैंने इसके लिए एग्जाम दिया था.जिसका रिजल्ट मार्च में आ गया.मेरा सेलेक्शन हुआ और ट्रेनिंग के बाद मैं अंबाला मिलिट्री हॉस्पिटल में सेवा दे रही हूं.मेरा समाज को यही संदेश है कि बेटियों को सिर्फ शादी करने तक ही सीमित नहीं रखे.उनके भी कुछ सपने होते हैं,उसे पूरा करने में मदद करें - वीणा साहू, नर्सिंग लेफ्टिनेंट

Success Story Of Veena Sahu
वीणा साहू ने माता पिता का बढ़ाया मान (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्यों गांव की बेटियां रहती हैं पीछे : सेना में लेफ्टिनेंट बनने वाली वीणा साहू ने ईटीवी भारत को बताया कि आखिर क्यों गांवों आज भी मानसिकता नहीं बदली है. वीणा साहू की माने तो गांव में काफी स्ट्रगल है. गांव में ऐसा होता है कि लिमिटेड गांव में हम बड़े सपने नहीं देख पाते.या तो घर से सपोर्ट नहीं मिल पाता है बच्चों को या तो लोगों की सोच संकीर्ण होती जाती है.इसकी वजह से हम बड़ा नहीं सोच पाते हैं.और लड़कियों का एक बेसिक सी चीज रहती है कि जैसे ही उन्होंने अपनी बारहवीं की पढ़ाई पूरी की तो शादी कर दी जाती है.लेकिन ये सोच मेरी नहीं थी मेरा सपना था कि पढ़ाई पूरी करके शादी नहीं करना है.मुझे मेरे माता पिता गांव का नाम रोशन करना है.अपने गांव के लिए कुछ अच्छा करना है.इसलिए मैंने अपनी पढ़ाई के दौरान ही ये लक्ष्य निर्धारित किया था कि मुझे कुछ ऐसा करना है कि मेरा नाम तो हो ही साथ ही साथ माता पिता और गांव का भी मान बढ़े.

पांच बेटियों को पढ़ा रहे हैं वीणा के पिता : आपको बता दें कि वीणा की पांच बहनें हैं और सबसे छोटा एक भाई है. वीणा से बड़ी एक बहन हैं जबकि तीन छोटी हैं.वीणा के मुताबिक उसने पहले ही सोच लिया था कि अपने पैरों पर खड़ा होना है.अब जब वो सेना में चयनित होकर देश सेवा कर रही हैं तो दूसरे लोगों को भी खुद के पैरों में खड़ा होने की प्रेरणा दे रही हैं. मिलिट्री हॉस्पिटल अंबाला में लेफ्टिनेंट के पद पर काम कर 3 माह के बाद जब वीणा छुट्टियों पर घर आई तो उसका भव्य स्वागत हुआ. वीणा के पिता का मानना है कि सभी मां बाप को अपनी बेटियों को खूब पढ़ाना चाहिए ताकि वो अपने पैरों पर खड़ी हो सकें.बेटियां बोझ नहीं होतीं, बल्कि समाज की दिशा बदलने में कारगर हैं.

मेरी बेटियां पुलिस, वन रक्षक समेत दूसरी भर्तियों की तैयारी कर रही हैं. गांव में एक छोटे से कपड़े के दुकान और किसानी के भरोसे ही जीवन चलता है.संघर्ष तो है. लोग कहते थे बेटियों की शादी कर दो लेकिन लोगों की बातों को दरकिनार कर बेटियों को पढ़ा रहा हूं - चेतन साहू,वीणा साहू के पिता

सीएम विष्णुदेव साय ने भी दी शुभकामनाएं : छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने भी वीणा की इस उपलब्धि के लिए उन्हें शुभकामनाएं दी है.

छत्तीसगढ़ की इस बेटी पर गर्व है. फोन पर बिटिया वीणा से बात कर उनकी उपलब्धि के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दीं और उत्साहवर्धन किया. बेटियां हमारा स्वाभिमान हैं, छत्तीसगढ़ की शान हैं. वीणा की यह उपलब्धि प्रदेश के असंख्य युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है. बिटिया को पुनः बधाई.



आपको बता दें कि वीणा और उसके पिता दूसरे लोगों के लिए आज प्रेरणा बन चुके हैं. जो लोग लड़कियों को आगे बढ़ने नहीं देते, उनके लिए वीणा के पिता एक मिसाल हैं. जिनका लक्ष्य बेटियों को पढ़ाना और कुछ बनाना है. बेटियां भी पढ़ाई कर आगे बढ़ना चाहती हैं. निश्चित ही दूसरे लोगों को भी वीणा की उपलब्धि से प्रेरणा लेनी चाहिए.


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गांव की बेटी बनीं पहली नर्सिंग लेफ्टिनेंट : बालोद जिले के एक छोटे से गांव जमरूवा की रहने वाली वीणा साहू भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट नर्सिंग अफसर बनी हैं.वीणा ने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर बैठने या छोटी जगह पर नौकरी करने के बजाए कुछ बड़ा करने की ठानी.इसी दौरान उसे पता चला कि भारतीय सेना में नर्सिंग की वैकेंसी निकली है.बस फिर क्या था वीणा ने दिन रात एक कर तैयारी की और पहले ही अटेम्प्ट में लेफ्टिनेंट के लिए सेलेक्ट हो गईं.वीणा साहू अब मिलिट्री हॉस्पिटल अंबाला में देश के जवानों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं.वीणा के मुताबिक उन्होंने पहले ही ठान लिया था कि कुछ करना है.

किसान की बेटी ने बढ़ाया मान (ETV Bharat Chhattisgarh)

गांव में संसाधन सीमित होते हैं.लोगों के लिए ज्यादा बड़े सपने देखने का मौका नहीं होता.पहले मुझे नहीं पता था कि बीएससी नर्सिंग करके भी सेना में जाया जा सकता है.पिछले साल जनवरी में मैंने इसके लिए एग्जाम दिया था.जिसका रिजल्ट मार्च में आ गया.मेरा सेलेक्शन हुआ और ट्रेनिंग के बाद मैं अंबाला मिलिट्री हॉस्पिटल में सेवा दे रही हूं.मेरा समाज को यही संदेश है कि बेटियों को सिर्फ शादी करने तक ही सीमित नहीं रखे.उनके भी कुछ सपने होते हैं,उसे पूरा करने में मदद करें - वीणा साहू, नर्सिंग लेफ्टिनेंट

Success Story Of Veena Sahu
वीणा साहू ने माता पिता का बढ़ाया मान (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्यों गांव की बेटियां रहती हैं पीछे : सेना में लेफ्टिनेंट बनने वाली वीणा साहू ने ईटीवी भारत को बताया कि आखिर क्यों गांवों आज भी मानसिकता नहीं बदली है. वीणा साहू की माने तो गांव में काफी स्ट्रगल है. गांव में ऐसा होता है कि लिमिटेड गांव में हम बड़े सपने नहीं देख पाते.या तो घर से सपोर्ट नहीं मिल पाता है बच्चों को या तो लोगों की सोच संकीर्ण होती जाती है.इसकी वजह से हम बड़ा नहीं सोच पाते हैं.और लड़कियों का एक बेसिक सी चीज रहती है कि जैसे ही उन्होंने अपनी बारहवीं की पढ़ाई पूरी की तो शादी कर दी जाती है.लेकिन ये सोच मेरी नहीं थी मेरा सपना था कि पढ़ाई पूरी करके शादी नहीं करना है.मुझे मेरे माता पिता गांव का नाम रोशन करना है.अपने गांव के लिए कुछ अच्छा करना है.इसलिए मैंने अपनी पढ़ाई के दौरान ही ये लक्ष्य निर्धारित किया था कि मुझे कुछ ऐसा करना है कि मेरा नाम तो हो ही साथ ही साथ माता पिता और गांव का भी मान बढ़े.

पांच बेटियों को पढ़ा रहे हैं वीणा के पिता : आपको बता दें कि वीणा की पांच बहनें हैं और सबसे छोटा एक भाई है. वीणा से बड़ी एक बहन हैं जबकि तीन छोटी हैं.वीणा के मुताबिक उसने पहले ही सोच लिया था कि अपने पैरों पर खड़ा होना है.अब जब वो सेना में चयनित होकर देश सेवा कर रही हैं तो दूसरे लोगों को भी खुद के पैरों में खड़ा होने की प्रेरणा दे रही हैं. मिलिट्री हॉस्पिटल अंबाला में लेफ्टिनेंट के पद पर काम कर 3 माह के बाद जब वीणा छुट्टियों पर घर आई तो उसका भव्य स्वागत हुआ. वीणा के पिता का मानना है कि सभी मां बाप को अपनी बेटियों को खूब पढ़ाना चाहिए ताकि वो अपने पैरों पर खड़ी हो सकें.बेटियां बोझ नहीं होतीं, बल्कि समाज की दिशा बदलने में कारगर हैं.

मेरी बेटियां पुलिस, वन रक्षक समेत दूसरी भर्तियों की तैयारी कर रही हैं. गांव में एक छोटे से कपड़े के दुकान और किसानी के भरोसे ही जीवन चलता है.संघर्ष तो है. लोग कहते थे बेटियों की शादी कर दो लेकिन लोगों की बातों को दरकिनार कर बेटियों को पढ़ा रहा हूं - चेतन साहू,वीणा साहू के पिता

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आपको बता दें कि वीणा और उसके पिता दूसरे लोगों के लिए आज प्रेरणा बन चुके हैं. जो लोग लड़कियों को आगे बढ़ने नहीं देते, उनके लिए वीणा के पिता एक मिसाल हैं. जिनका लक्ष्य बेटियों को पढ़ाना और कुछ बनाना है. बेटियां भी पढ़ाई कर आगे बढ़ना चाहती हैं. निश्चित ही दूसरे लोगों को भी वीणा की उपलब्धि से प्रेरणा लेनी चाहिए.


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Last Updated : Jan 4, 2025, 1:37 PM IST
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