रायपुर: नवरात्र के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा धूमधाम से की जाएगी. शहर के मुख्य चौक चौराहों पर नवरात्र की धूम दिखाई दे रही है. मान्यता के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग के अनेक सुंदर योग के बीच चैत्र नवरात्र के चौथे दिन माता के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है. माता कुष्मांडा आठ भुजाओं वाली हैं इसलिए इन्हें अष्टभुज दात्री भी कहा जाता है. कुष्मांडा माता को कुम्हड़ा बहुत प्रिय है माता के हाथ में कमंडल, धनुष बाण, कमल पुष्प, अमृत पूर्ण, कलश चक्र और गदा भी हैं आठवीं भुजा से माता सब भक्तों को आशीष प्रदान करती हैं. अष्ट सिद्धियां और नौ विधियां प्रदान करने वाली माता कुष्मांडा आठवें हाथ से सभी भक्तों को आशीष और अनुग्रह प्रदान करती हैं.
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सृष्टि के जन्म के बाद माता ने बिखेरा प्रकाश: सृष्टि की रचना के पूर्व चारों दिशाओं में गहन अंधकार था, इनके तेज के प्रभाव से ही सृष्टि का जन्म हुआ और चारों तरफ प्रकाश आलोक बिखरना शुरू हुआ. माता के प्रभाव से ही सृष्टि का जन्म, संरचना और प्रादुर्भाव हुआ. माता कुष्मांडा का वाहन सिंह है, मां का यह स्वरूप शक्ति, पराक्रम, साहस और प्रवीणता प्रदान करने वाला है. माता के स्वरूप की उपासना से हमारे जीवन में निर्भयता, निडरता और साहस का संचार होता है. माता सृष्टि निर्मात्री भी मानी गई है. अतः भक्तों को माता की उपासना कर अपने जीवन में नव निर्माण का संकल्प लेना चाहिए.
मौन साधना को माना जाता है शुभ: आज के शुभ दिन में व्रत उपवास, साधना, ध्यान योग, मौन साधना, करना बहुत शुभ माना जाता है. आज के शुभ दिन में माता कुष्मांडा के मंत्र, दुर्गा चलीसा, दुर्गा कवच, दुर्गा सहस्त्रनाम और माता दुर्गा की आराधना करना लाभकारी माना जाता है. आज के शुभ दिन माता कुष्माडा के नाम पर लंगर भोज और भंडारा आदि भी कराया जाता है. माता कुष्मांडा को भोग लगाकर उमड़े की सब्जी भी भंडारे में शामिल की जाती है. आज के दिन उमड़े की बलि देने का विधान है, माता कुष्मांडा अपने भक्तों के लिए अनंत रिद्धि- सिद्धि के साथ सुख प्रदान करने वाली हैं, इसलिए आज के दिन पूरे मनोयोग से माता की सेवा, पूजा और आराधना करनी चाहिए. जिससे माता रानी आप पर भी कृपा बरसा सकें. कहा जाता है, घर में जीवित माता-पिता की सेवा करने से माता प्रसन्न होती हैं.