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बीजापुर एनकाउंटर : SC के आदेश पर CBI ने जबलपुर में दर्ज की FIR,  2013 में हुई थी मुठभेड़ - CBI ने जबलपुर में दर्ज की FIR

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जबलपुर में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है. मई 2013 में बीजापुर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामले में एफआईआर दर्ज की गई है

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Published : Jul 6, 2019, 5:41 PM IST

Updated : Jul 6, 2019, 11:24 PM IST

जबलपुर/रायपुर : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने छत्तीसगढ़ में मई 2013 में बीजापुर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामले में एफआईआर दर्ज की है. यह एफआईआर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई. डेढ़ माह से FIR को लेकर पसोपेश की स्थिति चल रही थी. मुठभेड़ में 4 बच्चों सहित 8 आदिवासियों की मौत हुई थी.

CBI filed FIR in Jabalpur

बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई छत्तीसगढ़ में FIR दर्ज नहीं कर सकती थी इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जबलपुर में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है.

ये था पूरा मामला

दक्षिण बस्तर के एडसमेटा गांव के पास वर्ष 2013 में 17-18 मई की रात को सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच गोलीबारी में तीन बच्चों और सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के एक जवान समेत आठ ग्रामीणों की जान चली गई थी. ग्रामीणों का कहना था कि वे सभी देवगुडी में बीज त्यौहार मनाने के लिए इकठ्ठा हुए थे. इसी दौरान पुलिस मौके पर पहुंची और निरोधों को दौड़ा-दौड़ा कर मारा. मामले में कर्मा पाडू. कर्मा गुड्डू, कर्मा जोगा, कर्मा बदरू, कर्मा शम्भू, कर्मा मासा, पूनम लाकु, पूनम सोलू की मौत हो गई थी.

इसमें तीन बेहद कम उम्र के बच्चे थे. इसके अलावा, छोटू, कर्मा छन्नू, पूनम शम्भू और करा मायलू घायल हुए थे. कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमले से ठीक 8 दिन पहले घटी इस घटना को मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीर घटनाओं में गिना जाता है.

इस घटना के बाद तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख का मुआवजा देने का भी ऐलान किया था, जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा था कि अगर सरकार मृतकों के परिजनों को मुआवजा दे रही है, तो उन्हें माओवादी कैसे माना जा सकता है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की बाहर की एजेंसी से छत्तीसगढ़ के एडसमेटा कांड की जांच के आदेश दिए थे. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि आठ लोगों की कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच बाहर की एजेंसी से करानी चाहिए.

सीबीआई को मामले की जानकारी सौंपी

मामले में नक्सल ऑपरेशन डीआईजी सुंदरराज पी. का कहना है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने सीबीआई को मामले की जानकारी सौंपी है. इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने भी अनुमति दी है.

जबलपुर/रायपुर : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने छत्तीसगढ़ में मई 2013 में बीजापुर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामले में एफआईआर दर्ज की है. यह एफआईआर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई. डेढ़ माह से FIR को लेकर पसोपेश की स्थिति चल रही थी. मुठभेड़ में 4 बच्चों सहित 8 आदिवासियों की मौत हुई थी.

CBI filed FIR in Jabalpur

बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई छत्तीसगढ़ में FIR दर्ज नहीं कर सकती थी इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जबलपुर में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है.

ये था पूरा मामला

दक्षिण बस्तर के एडसमेटा गांव के पास वर्ष 2013 में 17-18 मई की रात को सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच गोलीबारी में तीन बच्चों और सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के एक जवान समेत आठ ग्रामीणों की जान चली गई थी. ग्रामीणों का कहना था कि वे सभी देवगुडी में बीज त्यौहार मनाने के लिए इकठ्ठा हुए थे. इसी दौरान पुलिस मौके पर पहुंची और निरोधों को दौड़ा-दौड़ा कर मारा. मामले में कर्मा पाडू. कर्मा गुड्डू, कर्मा जोगा, कर्मा बदरू, कर्मा शम्भू, कर्मा मासा, पूनम लाकु, पूनम सोलू की मौत हो गई थी.

इसमें तीन बेहद कम उम्र के बच्चे थे. इसके अलावा, छोटू, कर्मा छन्नू, पूनम शम्भू और करा मायलू घायल हुए थे. कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमले से ठीक 8 दिन पहले घटी इस घटना को मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीर घटनाओं में गिना जाता है.

इस घटना के बाद तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख का मुआवजा देने का भी ऐलान किया था, जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा था कि अगर सरकार मृतकों के परिजनों को मुआवजा दे रही है, तो उन्हें माओवादी कैसे माना जा सकता है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की बाहर की एजेंसी से छत्तीसगढ़ के एडसमेटा कांड की जांच के आदेश दिए थे. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि आठ लोगों की कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच बाहर की एजेंसी से करानी चाहिए.

सीबीआई को मामले की जानकारी सौंपी

मामले में नक्सल ऑपरेशन डीआईजी सुंदरराज पी. का कहना है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने सीबीआई को मामले की जानकारी सौंपी है. इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने भी अनुमति दी है.

Intro:जबलपुर- SC के आदेश पर CBI ने दर्ज की एफआईआर
जबलपुर सीबीआई में दर्ज की गई FIR
अज्ञात आरोपियों के खिलाफ की गई एफआईआर
डेढ़ माह से चल रही थी FIR को लेकर पसोपेश की स्थिति
छत्तीसगढ़ में मई 2013 में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामला
मुठभेड़ में 4 बच्चों सहित 8 आदिवासियों की हुई थी मौत
छग सरकार की अनुमति बिना CBI छग में दर्ज नहीं कर सकती थी FIR
इसलिए जबलपुर सीबीआई में दर्ज की गई एफआईआरBody:ये था मामला
दक्षिण बस्तर के एडसमेटा गांव के पास वर्ष 2013 में 17-18 मई की रात को सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच गोलीबारी में तीन बच्चों और सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के एक जवान समेत आठ ग्रामीणों की जान चली गई थी। ग्रामीणों का कहना था कि वे सभी देवगुडी में बीज त्यौहार मनाने के लिए इकठ्ठा हुए थे इसी दौरान पुलिस मौके पर पहुंची और निरोधो को दौड़ा दौड़ा कर मारा। कर्मा पाडू ,कर्मा गुड्डू ,कर्मा जोगा ,कर्मा बदरू ,कर्मा शम्भू ,कर्मा मासा ,पूनम लाकु ,पूनम सोलू की मौत हो गई। इसमें तीन बेहद कम उम्र के बच्चे थे ।इसके अलावा ,छोटू ,कर्मा छन्नू , पूनम शम्भु और करा मायलु घायल हो गए। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमले से ठीक 8 दिन पहले घटी इस घटना को मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीर घटनाओं में गिना जाता हैं ।Conclusion:इस घटना के बाद तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच पांच लाख का मुआवजा देने का भी ऐलान किया था ।जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा था कि अगर सरकार मृतकों के परिजनों को मुआवजा दे रही है तो उन्हें माओवादी कैसे माना जा सकता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की बाहर की एजेंसी से छत्तीसगढ़ के एडसमेटा काण्ड की जांच के आदेश दिए थे। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि आठ लोगों की कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच बाहर की एजेंसी से करानी चाहिए।
Last Updated : Jul 6, 2019, 11:24 PM IST
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