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अच्छी खबर: कोरोना के साथ ब्लैक फंगस के केस में आई कमी, 370 में 100 मरीज लौट चुके हैं घर - छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के मामले

कोरोना के साथ ब्लैक फंगस (black fungus) को लेकर रायपुर से एक अच्छी खबर है. बताया जा रहा है, छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस का मामला थमता जा रहा है. 100 से ज्यादा ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज स्वस्थ्य होकर घर लौट चुके हैं. हालांकि पूरे छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस से 51 लोगों की मौत भी हुई है.

Cases of black fungus decreasing in Chhattisgarh
कम हो रहे ब्लैक फंगस के मरीज
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Published : Jul 6, 2021, 10:54 PM IST

Updated : Jul 6, 2021, 11:37 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में अब ब्लैक फंगस (black fungus in chhattisgarh) के केस भी थमते नजर आ रहे हैं. कोरोना के बाद प्रदेश में लगातार ब्लैक फंगस के मामले बढ़ते जा रहे थे, लेकिन अब कहीं ना कहीं इसमें ठहराव दिख रहा है. प्रदेश में करीब 370 ब्लैक फंगस के मरीज हैं. अबतक 100 से ज्यादा लोग डिस्चार्ज होकर वापस अपने घर लौट चुके हैं. प्रदेश मे अबतक 51 लोगों की मौत ब्लैक फंगस और को-मॉर्बिडिटी से हो चुकी है.

एम्स में ब्लैक फंगस के 173 मरीज का हुआ है ऑपरेशन

रायपुर एम्स (Raipur AIIMS) के डायरेक्टर नितिन नागरकर ने बताया कि एम्स रायपुर में बीते 2 महीने से लगातार यहां जो पेशेंट्स कोविड के बाद या कोविड होने के दौरान आए हैं, उनका ब्लैक फंगस का इलाज किया जा रहा है. काफी अधिक मात्रा में मरीज यहां पर इलाज के लिए आए हैं. अबतक एम्स में 173 लोगों का सर्जरी किया जा चुका है. ब्लैक फंगस काफी कंपलेक्स प्रोसेस होता है, क्योंकि ब्लैक फंगस नाक से होते हुए चेहरे से होते हुए तालू में भी आ जाता है या नाक से होते हुए आंख में भी चला जाता है.

जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस से निपटने के लिए दवाइयों की कमी

डायबिटिज मरीजों को ज्यादा परेशानी

डायबिटीज के मरीजों के इलाज में और ज्यादा परेशानी होती है. पहले उनके डायबिटीज को कंट्रोल करना होता है, फिर सर्जरी का एक लंबा प्रोसीजर होता है. यह पूरा प्रोसीजर एक पूरी टीम करती है. जिसमें ईएनटी सर्जन, आई सर्जन और अन्य सर्जन सब मिलकर काम करते हैं. एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट का भी बहुत मेजर रोल रहता है. रायपुर एम्स में काफी मरीज आए हैं. उनके ऑपरेशन हुए हैं और रिजल्ट भी काफी अच्छा मिला है. अक्सर ब्लैक फंगस के मरीज एम्स में भर्ती होते हैं. उनके स्टे 4 से 6 हफ्ते का रहता है. जिसमें सर्जरी की तैयारी से लेकर एंटीफंगल जो कोर्स पूरा करने तक 4-6 हफ्ते की ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है.

मेजर प्रोसीजर होता है ब्लैक फंगस का इलाज

अक्सर जो ब्लैक फंगस के पेशेंट आते हैं, उनकी डिजीज काफी एडवांस रहता है. नाक से चालू होने के बाद अगर वह आंख में चला जाता है, कभी-कभी दोनों आंखों में भी जा सकता है. नाक के रास्ते से आंख में होते हुए दिमाग में भी चला जाता है या ऐसा भी होता है कि इससे तालु भी गल जाता है तो इसके लिए मल्टीडिसीप्लिनरी टीम कार्य करती है. एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के डॉक्टर पेशेंट को स्टेबल करते हैं. अलग-अलग डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स पूरे इलाज के दौरान मरीज में ब्लैक फंगस की स्थिति को समझते हैं और उसका इलाज करते हैं. यह काफी कॉम्प्लेक्स और मेजर प्रोसीजर होता है. कभी-कभी सर्जरी 6 से 9 घंटे तक चलता है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में अब ब्लैक फंगस (black fungus in chhattisgarh) के केस भी थमते नजर आ रहे हैं. कोरोना के बाद प्रदेश में लगातार ब्लैक फंगस के मामले बढ़ते जा रहे थे, लेकिन अब कहीं ना कहीं इसमें ठहराव दिख रहा है. प्रदेश में करीब 370 ब्लैक फंगस के मरीज हैं. अबतक 100 से ज्यादा लोग डिस्चार्ज होकर वापस अपने घर लौट चुके हैं. प्रदेश मे अबतक 51 लोगों की मौत ब्लैक फंगस और को-मॉर्बिडिटी से हो चुकी है.

एम्स में ब्लैक फंगस के 173 मरीज का हुआ है ऑपरेशन

रायपुर एम्स (Raipur AIIMS) के डायरेक्टर नितिन नागरकर ने बताया कि एम्स रायपुर में बीते 2 महीने से लगातार यहां जो पेशेंट्स कोविड के बाद या कोविड होने के दौरान आए हैं, उनका ब्लैक फंगस का इलाज किया जा रहा है. काफी अधिक मात्रा में मरीज यहां पर इलाज के लिए आए हैं. अबतक एम्स में 173 लोगों का सर्जरी किया जा चुका है. ब्लैक फंगस काफी कंपलेक्स प्रोसेस होता है, क्योंकि ब्लैक फंगस नाक से होते हुए चेहरे से होते हुए तालू में भी आ जाता है या नाक से होते हुए आंख में भी चला जाता है.

जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस से निपटने के लिए दवाइयों की कमी

डायबिटिज मरीजों को ज्यादा परेशानी

डायबिटीज के मरीजों के इलाज में और ज्यादा परेशानी होती है. पहले उनके डायबिटीज को कंट्रोल करना होता है, फिर सर्जरी का एक लंबा प्रोसीजर होता है. यह पूरा प्रोसीजर एक पूरी टीम करती है. जिसमें ईएनटी सर्जन, आई सर्जन और अन्य सर्जन सब मिलकर काम करते हैं. एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट का भी बहुत मेजर रोल रहता है. रायपुर एम्स में काफी मरीज आए हैं. उनके ऑपरेशन हुए हैं और रिजल्ट भी काफी अच्छा मिला है. अक्सर ब्लैक फंगस के मरीज एम्स में भर्ती होते हैं. उनके स्टे 4 से 6 हफ्ते का रहता है. जिसमें सर्जरी की तैयारी से लेकर एंटीफंगल जो कोर्स पूरा करने तक 4-6 हफ्ते की ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है.

मेजर प्रोसीजर होता है ब्लैक फंगस का इलाज

अक्सर जो ब्लैक फंगस के पेशेंट आते हैं, उनकी डिजीज काफी एडवांस रहता है. नाक से चालू होने के बाद अगर वह आंख में चला जाता है, कभी-कभी दोनों आंखों में भी जा सकता है. नाक के रास्ते से आंख में होते हुए दिमाग में भी चला जाता है या ऐसा भी होता है कि इससे तालु भी गल जाता है तो इसके लिए मल्टीडिसीप्लिनरी टीम कार्य करती है. एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के डॉक्टर पेशेंट को स्टेबल करते हैं. अलग-अलग डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स पूरे इलाज के दौरान मरीज में ब्लैक फंगस की स्थिति को समझते हैं और उसका इलाज करते हैं. यह काफी कॉम्प्लेक्स और मेजर प्रोसीजर होता है. कभी-कभी सर्जरी 6 से 9 घंटे तक चलता है.

Last Updated : Jul 6, 2021, 11:37 PM IST
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