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छत्तीसगढ़ में होगा संस्कृति परिषद का गठन, कला को मिलेगी नई पहचान

छत्तीसगढ़ की लोककला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक और कदम उठाया है. भूपेश बघेल कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन को मंजूरी दे दी है.

approved the formation of Chhattisgarh Culture Council
छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन को मंजूरी
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Published : Jul 15, 2020, 7:52 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की लोककलाओं और संस्कृति को सहेजने, संवारने और उसे आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. राज्य निर्माण के 20 साल बाद छत्तीसगढ़ की कला, संगीत, भाषा के विकास के लिए एक ही छत के नीचे अब एकीकृत प्रयास हो पाएगा.

approved the formation of Chhattisgarh Culture Council
छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन को मंजूरी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन को मंजूरी दे दी गई है. इस परिषद के अंतर्गत संस्कृति विभाग की समस्त इकाइयों को एकरूप किया जाएगा. मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन होने के पहले छत्तीसगढ़ में सभी सांस्कृतिक गतिविधियां मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से संचालित होती थीं.

आपसी तालमेल का अभाव रहा

राज्य गठन के बाद छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिला. अनेक संस्थाएं भी स्थापित की गईं, लेकिन उनमें आपसी तालमेल का अभाव रहा. इन सब का परिणाम यह रहा कि सांस्कृतिक विकास की दिशा में जितनी ताकत के साथ प्रयास होने चाहिए थे, वे अब तक हो नहीं पाए हैं. उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर गर्व की अनुभूति जगाने की दिशा में शुरू से ही काम किया.

मुख्यमंत्री निवास में मनाया गया पारंपरिक त्योहार

छत्तीसगढ़ की महिलाओं के पर्व तीजा, किसानों के पर्व हरेली और गोवर्धन पूजा जैसे त्योहारों पर अवकाश की न सिर्फ घोषणा की, बल्कि इन त्योहारों को अपने मुख्यमंत्री निवास कार्यालय से मनाने की परंपरा की शुरुआत की. गोंड़ी, हल्बी भाषा में पाठ्य पुस्तकें तैयार कर स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया. खान-पान की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सभी जिलों में गढ़कलेवा की स्थापना का निर्णय लिया गया. लेकिन इन सबके बावजूद इन तमाम गतिविधियों को संगठित रूप में संचालित करने की आवश्यकता है, ताकि एक ही दिशा में संगठित रूप से काम हो सके, इसलिए एक समग्र मंच के रूप में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन का निर्णय लिया गया है.

आदिवासी-लोककलाओं को संरक्षण देना होगा

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद का मुख्य काम राज्य में साहित्य, संगीत, नृत्य, रंगमंच, चित्र, मूर्तिकला, सिनेमा और आदिवासी-लोककलाओं को प्रोत्साहन के साथ उन्हें संरक्षण देना होगा. इसके लिए परिषद सांस्कृतिक विरासतों की पहचान, उनका संरक्षण औए संवर्धन करेगा. सृजनशील संस्कृति के लिए मंचों, कला-संग्रहालयों, वीथिकाओं का विकास, प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के मंचों की स्थापना के साथ ही विभिन्न तरह के आयोजन करेगा. सांस्कृतिक संस्थाओं को सहयोग और प्रोत्साहन, सृजनकर्मियों को सम्मान तथा प्रोत्साहन, उत्कृष्ट सिनेमा निर्माण और प्रचार संबंधी कार्य करेगा.

छत्तीसगढ़ का जीवंत संवाद स्थापित करना होगा

प्रदेश में छत्तीसगढ़ी संस्कृति परिषद के जरिए जो एक और महत्वपूर्ण कार्य होगा, वह राष्ट्रीय स्तर के लब्ध प्रतिष्ठित कला, संस्कृति और शिक्षण से जुड़ी संस्थाओं से छत्तीसगढ़ का जीवंत संवाद स्थापित करना होगा. प्रदेश की संस्कृति नीति के अनुरूप स्कूली, उच्च शिक्षा सहित अन्य शासकीय विभागों से सामंजस्य स्थापित कर संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा. साहित्यिक-सामाजिक विषयों पर शोध और सृजन में प्रोत्साहन और सहयोग दिया जाएगा. संस्कृतिकर्मियों और संस्थाओं को विभिन्न विधाओं के लिए दिए जाने वाले फैलोशिप, पुरस्कारों का संयोजन परिषद की ओर से किया जाएगा.

संस्कृति परिषद के तहत ये निगम करेंगे काम

छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अंतर्गत साहित्य अकादमी, कला अकादमी, आदिवासी लोक कला अकादमी, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम, छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग काम करेंगे.

रायपुर: छत्तीसगढ़ की लोककलाओं और संस्कृति को सहेजने, संवारने और उसे आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. राज्य निर्माण के 20 साल बाद छत्तीसगढ़ की कला, संगीत, भाषा के विकास के लिए एक ही छत के नीचे अब एकीकृत प्रयास हो पाएगा.

approved the formation of Chhattisgarh Culture Council
छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन को मंजूरी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन को मंजूरी दे दी गई है. इस परिषद के अंतर्गत संस्कृति विभाग की समस्त इकाइयों को एकरूप किया जाएगा. मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन होने के पहले छत्तीसगढ़ में सभी सांस्कृतिक गतिविधियां मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से संचालित होती थीं.

आपसी तालमेल का अभाव रहा

राज्य गठन के बाद छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिला. अनेक संस्थाएं भी स्थापित की गईं, लेकिन उनमें आपसी तालमेल का अभाव रहा. इन सब का परिणाम यह रहा कि सांस्कृतिक विकास की दिशा में जितनी ताकत के साथ प्रयास होने चाहिए थे, वे अब तक हो नहीं पाए हैं. उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर गर्व की अनुभूति जगाने की दिशा में शुरू से ही काम किया.

मुख्यमंत्री निवास में मनाया गया पारंपरिक त्योहार

छत्तीसगढ़ की महिलाओं के पर्व तीजा, किसानों के पर्व हरेली और गोवर्धन पूजा जैसे त्योहारों पर अवकाश की न सिर्फ घोषणा की, बल्कि इन त्योहारों को अपने मुख्यमंत्री निवास कार्यालय से मनाने की परंपरा की शुरुआत की. गोंड़ी, हल्बी भाषा में पाठ्य पुस्तकें तैयार कर स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया. खान-पान की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सभी जिलों में गढ़कलेवा की स्थापना का निर्णय लिया गया. लेकिन इन सबके बावजूद इन तमाम गतिविधियों को संगठित रूप में संचालित करने की आवश्यकता है, ताकि एक ही दिशा में संगठित रूप से काम हो सके, इसलिए एक समग्र मंच के रूप में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन का निर्णय लिया गया है.

आदिवासी-लोककलाओं को संरक्षण देना होगा

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद का मुख्य काम राज्य में साहित्य, संगीत, नृत्य, रंगमंच, चित्र, मूर्तिकला, सिनेमा और आदिवासी-लोककलाओं को प्रोत्साहन के साथ उन्हें संरक्षण देना होगा. इसके लिए परिषद सांस्कृतिक विरासतों की पहचान, उनका संरक्षण औए संवर्धन करेगा. सृजनशील संस्कृति के लिए मंचों, कला-संग्रहालयों, वीथिकाओं का विकास, प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के मंचों की स्थापना के साथ ही विभिन्न तरह के आयोजन करेगा. सांस्कृतिक संस्थाओं को सहयोग और प्रोत्साहन, सृजनकर्मियों को सम्मान तथा प्रोत्साहन, उत्कृष्ट सिनेमा निर्माण और प्रचार संबंधी कार्य करेगा.

छत्तीसगढ़ का जीवंत संवाद स्थापित करना होगा

प्रदेश में छत्तीसगढ़ी संस्कृति परिषद के जरिए जो एक और महत्वपूर्ण कार्य होगा, वह राष्ट्रीय स्तर के लब्ध प्रतिष्ठित कला, संस्कृति और शिक्षण से जुड़ी संस्थाओं से छत्तीसगढ़ का जीवंत संवाद स्थापित करना होगा. प्रदेश की संस्कृति नीति के अनुरूप स्कूली, उच्च शिक्षा सहित अन्य शासकीय विभागों से सामंजस्य स्थापित कर संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा. साहित्यिक-सामाजिक विषयों पर शोध और सृजन में प्रोत्साहन और सहयोग दिया जाएगा. संस्कृतिकर्मियों और संस्थाओं को विभिन्न विधाओं के लिए दिए जाने वाले फैलोशिप, पुरस्कारों का संयोजन परिषद की ओर से किया जाएगा.

संस्कृति परिषद के तहत ये निगम करेंगे काम

छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अंतर्गत साहित्य अकादमी, कला अकादमी, आदिवासी लोक कला अकादमी, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम, छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग काम करेंगे.

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