बस्तर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. यह झटके बस्तर संभाग के बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और बस्तर जिले में महसूस किए गए. सुबह 7. 27 बजे से अलग अलग जिलों में झटके महसूस किए गए. जिसका सीसीटीवी वीडियो भी सामने आया है. इस वीडियो में धरती हिलती हुई नजर आ रही है. सुबह सब अपने अपने काम में व्यस्त थे इसी दौरान लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए.
तेलंगाना में भूकंप का केंद्र: नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप का केंद्र तेलंगाना का मुलगू जिला है. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5.3 मापी गई है. भूकंप के झटके आने पर लोग अपने अपने घरों से बाहर निकले. हालांकि भूकंप से किसी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है.
हैदराबाद में भी महसूस किए भूकंप के झटके: वहीं हैदराबाद के भी कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. मुलगू से हैदराबाद लगभग 250 किलोमीटर दूर है. यहां सुबह साढ़े 7 बजे के आसपास लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए. उस समय सभी या तो स्कूल कॉलेज या फिर अपने काम पर जाने की तैयारी कर रहे थे. इसी दौरान लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए. छत्तीसगढ़ सीमा से लगे तेलंगाना के मेंडारम में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. मेंडारम की पहचान धार्मिक स्थल के रूप में है.
बस्तर में अप्रैल के महीने में भी महसूस हुए थे भूकंप के झटके: बस्तर में इसी साल अप्रैल के महीने में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. जगदलपुर से 2 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में 2.6 तीव्रता का भूकंप आया था.
भूकंप क्यों और कैसे आता है: हमारी धरती चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैंटल और क्रस्ट. मैंटल और क्रस्ट को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है, जो कई वर्गों में बंटी हुई है. इन्हें टैक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं. लेकिन जब ये प्लेट्स बहुत ज्यादा हिलने लगने लगती है तो धरती में कंपन होता है, जिसे भूकंप कहा जाता है. इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाती है.
भूकंप की तीव्रता कैसे नापी जाती है: भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है.भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है.