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क्या मान जाएंगे सिंहदेव? छत्तीसगढ़ सरकार के सबसे हाई वोल्टेज ड्रामे में जिम्मेदार चुप क्यूं?

छत्तीसगढ़ सरकार का सबसे हाई वोल्टेज ड्रामा वर्तमान में देखने को मिल रहा है. इसे ड्रामा कहना इसलिए भी लाजमी होगा क्योंकि इसकी नींव ही माइलेज लेने की राजनीति पर टिकी हुई है. प्रदेश की झारखंड सीमा की विधानसभा रामानुजगंज के विधायक बृहस्पति सिंह ने अपनी ही पार्टी के कद्दावर नेता स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री और सरगुजा के लाखों लोगों में आज भी सरगुजा महाराज के रूप में स्वीकारे जाने वाले टी एस सिंह देव पर बेहद निजी और आपत्तिजनक आरोप लगाए हैं.

ts singhdeo
टीएस सिंहदेव
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Published : Jul 28, 2021, 1:01 PM IST

सरगुजा: आरोप लगाने वाले का कद चाहे जो हो लेकिन जिस पर आरोप लगे हैं यानी टीएस सिंहदेव का कद इतना बड़ा है, कि इससे छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल आ गया है. हर गली, हर चौराहे में इसकी चर्चा हो रही है. बृहस्पति सिंह ने सरगुजा राज परिवार पर सामंतवाद का आरोप लगाया. आदिवासी विधायकों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. लेकिन क्या इस आरोप में सच्चाई है या फिर राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित है ये आरोप.

घटनाक्रम के पहले दिन ऐसा लगा कि मानो बृहस्पति सिंह अपना नंबर बढ़ाने और सिंहदेव के नंबर घटाने के लिए ये सब कर रहे हैं. लेकिन दूसरे दिन टीएस सिंहदेव के धैर्य और उनके सीधे जवाब ने बिना कुछ कहे सभी जवाब दे दिए. जिसके बाद निंदा प्रस्ताव और बृहस्पति सिंह को पार्टी से निष्कासित किए जाने की मांग ने जोर पकड़ा. अलबत्ता मंगलवार को जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई और सदन में इस मामले में गृहमंत्री ने जवाब पढ़ना शुरू किया तो उसके बाद जो हुआ उसने फिर पूरी सियासत में भूचाल ला दिया.

बृहस्पति सिंह, टीएस सिंहदेव विवाद: नहीं मान रहे 'बाबा', मानसून सत्र के तीसरे दिन विधानसभा नहीं पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री

तिरस्कार में भी शांत रह कर मुस्कुरा देने वाले सिंहदेव ने सदन का बहिर्गमन कर दिया. अपनी ही सरकार के मंत्री का सदन से बाहर चले जाना आश्चर्यजनक था. सिंहदेव ने कहा कि जब तक शासन मेरे मामले में उचित जवाब नहीं दे देती, मुझे इस पवित्र सदन में रहने का कोई अधिकार नहीं है. भरे मन से इतना कहकर सिंहदेव सदन से निकल पड़े. उनके साथ मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम और विधायक डॉ. प्रीतम राम भी सदन से बाहर आकर उनको समझाने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन सिंह देव नहीं माने और बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे के साथ वो अपने शासकीय निवास आ गए.

सियासी खींचतान के बीच बृहस्पति विवाद पर बोले टीएस सिंहदेव, अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है मामला

सिंहदेव को किसी तरह दोबारा विधानसभा बुलाया गया, जहां मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों के साथ बैठक रखी गई लेकिन यह बैठक भी बिना निष्कर्ष की रही. सिंहदेव इस बैठक से निकलकर और भी आग बबूला दिखे और दोबारा निवास की ओर कूच कर गए. इतना होने के बाद भी देर शाम प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया ने बृहस्पति सिंह को कारण बताओ नोटिस देने की बात कही और कुछ देर में आदेश जारी भी हो गया.

अब सरकार और कांग्रेस संगठन पर कई सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि बृहस्पति सिंह ने सिर्फ एक सीनियर लीडर का अपमान ही नहीं किया है बल्कि संगठनात्मक अनुशासनहीनता भी की है. जिसके लिए उन पर अब तक कड़ी कार्रवाई हो जानी चाहिए थी, लेकिन मामला अब तक सिफर ही है.

सरगुजा: आरोप लगाने वाले का कद चाहे जो हो लेकिन जिस पर आरोप लगे हैं यानी टीएस सिंहदेव का कद इतना बड़ा है, कि इससे छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल आ गया है. हर गली, हर चौराहे में इसकी चर्चा हो रही है. बृहस्पति सिंह ने सरगुजा राज परिवार पर सामंतवाद का आरोप लगाया. आदिवासी विधायकों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. लेकिन क्या इस आरोप में सच्चाई है या फिर राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित है ये आरोप.

घटनाक्रम के पहले दिन ऐसा लगा कि मानो बृहस्पति सिंह अपना नंबर बढ़ाने और सिंहदेव के नंबर घटाने के लिए ये सब कर रहे हैं. लेकिन दूसरे दिन टीएस सिंहदेव के धैर्य और उनके सीधे जवाब ने बिना कुछ कहे सभी जवाब दे दिए. जिसके बाद निंदा प्रस्ताव और बृहस्पति सिंह को पार्टी से निष्कासित किए जाने की मांग ने जोर पकड़ा. अलबत्ता मंगलवार को जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई और सदन में इस मामले में गृहमंत्री ने जवाब पढ़ना शुरू किया तो उसके बाद जो हुआ उसने फिर पूरी सियासत में भूचाल ला दिया.

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सिंहदेव को किसी तरह दोबारा विधानसभा बुलाया गया, जहां मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों के साथ बैठक रखी गई लेकिन यह बैठक भी बिना निष्कर्ष की रही. सिंहदेव इस बैठक से निकलकर और भी आग बबूला दिखे और दोबारा निवास की ओर कूच कर गए. इतना होने के बाद भी देर शाम प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया ने बृहस्पति सिंह को कारण बताओ नोटिस देने की बात कही और कुछ देर में आदेश जारी भी हो गया.

अब सरकार और कांग्रेस संगठन पर कई सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि बृहस्पति सिंह ने सिर्फ एक सीनियर लीडर का अपमान ही नहीं किया है बल्कि संगठनात्मक अनुशासनहीनता भी की है. जिसके लिए उन पर अब तक कड़ी कार्रवाई हो जानी चाहिए थी, लेकिन मामला अब तक सिफर ही है.

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