बिलासपुर: बिलासपुर नगर निगम सीमा क्षेत्र में हजारों आवारा मवेशी सड़कों पर नजर आने लगे हैं. जिससे वह रोजाना ही कोई न कोई दुर्घटना का शिकार बन रहे हैं. नगर निगम दावा करती है कि रोजाना कैचर के माध्यम रात में आवारा मवेशियों को पकड़ा जाता है, लेकिन मवेशियों का सड़कों पर नजर आना निगम के दावों की पोल खोलकर रख रहा है.
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मवेशियों को लेकर कई योजनाएं संचालित: राज्य सरकार गोबर को लेकर कई योजनाएं संचालित कर रही है. पूरे देश में गोबर के सदुपयोग को लेकर राज्य की भूपेश सरकार सुर्खियां बटोर रही है. गोबर का उपयोग कई तरह से किया जा रहा है. गोबर से वर्मी खाद के साथ ही बिजली, ब्रीफकेस और कई सामग्रियों को तैयार किया जा रहा है. बिलासपुर नगर निगम में मवेशियों की सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया गया है. सड़कों पर लावारिस गौ धन का नजर आना निगम प्रबंधन की लापरवाही को दर्शाता है.
क्यों छोड़ दिया जाता है मवेशियों को सड़कों पर: राज्य सरकार गौधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. मवेशी मालिक मवेशी को सड़कों पर छोड़ देते है, जिसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि जो मवेशी उम्रदराज हो जाते हैं उन्हें उनके मालिक सड़कों पर छोड़ देते हैं. यही कारण है कि मवेशियों की उपयोगिता खत्म होने के बाद मालिक उन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं. जिसकी वजह से सड़क पर दुर्घटना बढ़ जाती है. राहगीर सड़कों पर तेजी से वाहन दौड़ाते हैं और अचानक मवेशी सामने आ जाते हैं. जिससे वह अपना बैलेंस नहीं संभाल पाते कभी-कभी वह खुद ही मवेशी से टकरा जाते हैं. जिससे राहगीरों की मौत हो जाती है.
बिलासपुर नगर निगम के कमिश्नर अजय त्रिपाठी ने बताया कि" गौधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार ने गौठान योजना शुरू की है. नगर निगम का काऊ कैचर सड़कों पर बैठे रहने वाली गायों को पकड़कर उन्हें मोपका के गौठान ले जाती है. गाय मालिकों को बुलाकर उनसे शपथ पत्र लेकर उन्हें सौंप देती है. निगम यहां गायों के लिए चारा पानी का इंतजाम करती है. बदले में गायों को पकड़ने और उनपर किये चारा का खर्च निगम गाय मालिकों से लेती है, लेकिन जिन गायों को खुद गाय मालिकों ने लावारिस हालात में छोड़ दिया है, उन्हें वे दोबारा कैसे ले जाएंगे".