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केंद्र सरकार की कोयला नीति असफल: भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर कोयले को लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है. भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार की कोयला नीति असफल रही है. उन्होंने आशंका जताई है कि केंद्र सरकार की नीति से बिजली महंगी हो जाएगी.

CM Bhupesh Baghel
सीएम भूपेश बघेल
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Published : Apr 20, 2022, 1:44 PM IST

Updated : Apr 20, 2022, 3:48 PM IST

रायपुर: केंद्र सरकार की कोयला नीति पर भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को घेरा है. बघेल का कहना है कि केंद्र सरकार ने पहले राज्य सरकार को क्रिप्टी माइंस अलॉट किया लेकिन उसे निरस्त कर दिया. फिर नीलामी की गई. नीलामी में भी किसी ने पार्टिसिपेट नहीं किया. अब स्थिति यह है कि ना तो राज्य सरकार को खदानें अलॉट की गई है और ना ही यूजर्स को खदानें दी गईं हैं. आज जिस पावर प्लांट को कोयले की जरूरत है, उन सभी जगहों पर कटौती कर दी गई है या फिर बंद कर दिया गया है. इस कटौती से औद्योगिक गतिविधियों में निश्चित रूप से दुष्प्रभाव पड़ेगा.

केंद्र सरकार की कोयला नीति असफल

यह भी पढ़ें: सिंधिया पर बरसे भूपेश बघेल,''दलबदलू के सवालों का मैं जवाब नहीं देता''

इंपोर्टेड कोयले से महंगी होगी बिजली: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा ''जितने कोयले की आवश्यकता है, उतना उत्पादन नहीं हो रहा है इसलिए भारत सरकार अब विदेशों से कोयला बुलाने जा रही है. केंद्र सरकार इस कोयले को लेने के लिए राज्य सरकार पर दबाव बना रही है. 10 या 20 प्रतिशत विदेशी कोयले को देशी कोयले के साथ मिलाना होगा. आज की स्थिति में देश का कोयला 3000-4000 प्रति टन और विदेश से जो कोयला आने वाला है, वह 15000 से 20000 प्रति टन है. इतना भार राज्य सरकार पर जितने भी इलेक्टिसिटी बोर्ड हैं, उस पर आएगा. इसका मतलब यह है कि उत्पादन महंगा होगा तो बिजली भी महंगी होगी. अब विदेशी कोयला को अलॉट करने और उसे खपाने के लिए राज्यों के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है. अब जो स्थिति भयावह होने वाली है. कुछ राज्यों में 3 से 4 दिन का कोयले का स्टॉक बचा है. कोयले की स्थिति बहुत खराब होने वाली है.''

रायपुर: केंद्र सरकार की कोयला नीति पर भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को घेरा है. बघेल का कहना है कि केंद्र सरकार ने पहले राज्य सरकार को क्रिप्टी माइंस अलॉट किया लेकिन उसे निरस्त कर दिया. फिर नीलामी की गई. नीलामी में भी किसी ने पार्टिसिपेट नहीं किया. अब स्थिति यह है कि ना तो राज्य सरकार को खदानें अलॉट की गई है और ना ही यूजर्स को खदानें दी गईं हैं. आज जिस पावर प्लांट को कोयले की जरूरत है, उन सभी जगहों पर कटौती कर दी गई है या फिर बंद कर दिया गया है. इस कटौती से औद्योगिक गतिविधियों में निश्चित रूप से दुष्प्रभाव पड़ेगा.

केंद्र सरकार की कोयला नीति असफल

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इंपोर्टेड कोयले से महंगी होगी बिजली: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा ''जितने कोयले की आवश्यकता है, उतना उत्पादन नहीं हो रहा है इसलिए भारत सरकार अब विदेशों से कोयला बुलाने जा रही है. केंद्र सरकार इस कोयले को लेने के लिए राज्य सरकार पर दबाव बना रही है. 10 या 20 प्रतिशत विदेशी कोयले को देशी कोयले के साथ मिलाना होगा. आज की स्थिति में देश का कोयला 3000-4000 प्रति टन और विदेश से जो कोयला आने वाला है, वह 15000 से 20000 प्रति टन है. इतना भार राज्य सरकार पर जितने भी इलेक्टिसिटी बोर्ड हैं, उस पर आएगा. इसका मतलब यह है कि उत्पादन महंगा होगा तो बिजली भी महंगी होगी. अब विदेशी कोयला को अलॉट करने और उसे खपाने के लिए राज्यों के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है. अब जो स्थिति भयावह होने वाली है. कुछ राज्यों में 3 से 4 दिन का कोयले का स्टॉक बचा है. कोयले की स्थिति बहुत खराब होने वाली है.''

Last Updated : Apr 20, 2022, 3:48 PM IST
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