रायपुर : विधानसभा चुनाव के नतीजे ने कांग्रेस का वनवास खत्म कर सत्ता में वापसी तो जरूर करा दी, लेकिन इसके बाद भी दो दिग्गजों के बीच कुर्सी को लेकर चुनावी जंग बची थी, जिसे पार्टी को ही तय करना था. एक तरफ थे टीएस सिंहदेव जिनका हंसमुख चेहरा और सौम्य व्यवहार था, तो दूसरी तरफ भूपेश बघेल, जिनकी कड़ी मेहनत और पसीने का सवाल था. हाईकमान ने भूपेश के सिर सीएम का ताज पहना दिया, लेकिन इसके बाद से भूपेश बघेल और सिंहदेव के संबंधों में खटास आना शुरू हो गई. हालात ऐसे हैं कि अर्से से दोनों नेताओं को एक साथ मंच साझा करते नहीं देखा गया. यहां तक सरकारी विभागों के विज्ञापनों में भी दोनों में से एक चेहरा गायब रहता है. ईटीवी भारत ने सीधे स्वास्थ्य मंत्री से सवाल किया तो उन्होंने अपने जाने पहचाने अंदाज में बड़ी सहजता से अपनी बात रखी और ये भी जता दिया कि सबकुछ ठीक नहीं है.
सीएम भूपेश बघेल की तस्वीर नदारद
बता दें कि टीएस सिंहदेव के पास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय जैसा अहम विभाग है. इस विभाग में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य कल्याण योजना समेत कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन इन योजनाओं के प्रचार के लिए राज्य सरकार के ही विज्ञापन में लगाए गए होर्डिंग्स में सीएम भूपेश बघेल की तस्वीर ही नदारद है.
'एक विज्ञापन में दो चेहरे नहीं'
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि, 'लगातार लोग कह रहे थे कि बहुत सारे लोगों के चेहरे दिख रहे हैं तो ये बात आ रही थी कि ये मंत्री गायब हैं, काम नहीं करता है क्या ! इसके साथ ही वे कहते हैं कि एक विज्ञापन में दो चेहरे नहीं हो सकते थे, इसलिए एक विज्ञापन में एक और दूसरे में दूसरे का चेहरा लग रहा है. इसके साथ टीएस बाबा ये जरूर कहते दिखे कि मुझे व्यक्तिगत तौर पर परहेज है कि मेरा चेहरा न दिखे, लेकिन कभी-कभी दुनिया के साथ चलना पड़ता है'.
'कांग्रेस में वन मैन शो चलता है'
राज्य सरकार के दो दिग्गजों के बीच के मनमुटाव पर भाजपा ने भी तंज कसने में देर नहीं की. इस कसमकश को भाजपा ने कांग्रेस का चरित्र बता दिया. बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि, 'वहां वन मैन शो चलता है. वही हालात यहां अब दिखने लगे हैं. सीएम के चयन के समय से चल रहा विवाद अब तो होर्डिंग्स वार के रूप में तब्दील हो गया है. एक मंत्री अपने मुखिया को साथ लेकर नहीं चल रहा है'.
अब तक सियासी गलियारों में ही मुखिया भूपेश बघेल और उनके मंत्री के बीच अनबन की बातें सामने आ रही थीं, लेकिन विभागीय विज्ञापनों में ही मुखिया के तस्वीरों को जगह न देना, खुलकर इस बात की पुष्टि करता है कि दोनों के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं. अब देखना है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व क्या इस तरफ ध्यान देता है.