रायपुर: रायपुर की पुरानी बस्ती में जैतूसाव मठ है. यहां हर साल की तरह इस साल भी कृष्ण जन्माष्टमी पर मालपुआ बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन भगवान कृष्ण को अर्पित करने के बाद इसको प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरण किया जाता है. लेकिन बीते 2 सालों से कोरोना के कारण मालपुआ नहीं बनाया जा रहा था. इस साल 8 क्विंटल सामग्री से मालपुआ बनाया जा रहा है. मालपुआ बनाने का काम 19 अगस्त की रात तक किया जाएगा. 20 अगस्त को भगवान कृष्ण को अर्पण करने के बाद इसे भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाएगा.
नहीं होगा भंडारे का आयोजन: जैतू साव मठ के सचिव महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि, "राजधानी के पुरानी बस्ती स्थित जैतुसाव मठ के पहले महंत लक्ष्मी नारायण दास के समय साल 1916 में रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मालपुआ बनाने का काम शुरू किया गया था. यह आज तक निरंतर चल रहा है. वर्तमान में महंत के रूप में जैतूसाव मठ में राम सुंदर दास जी हैं. कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर इस साल 8 क्विंटल सामग्री का मालपुआ बनाने का काम किया जा रहा है. मालपुआ बनाने का काम 8 मजदूर लगातार कर रहे हैं. शुक्रवार देर रात तक मालपुआ बनाने का काम पूर्ण कर लिया जाएगा. जन्माष्टमी के अवसर पर कोरोना गाइडलाइन की वजह से इस बार जैतूसाव मठ में भंडारे का आयोजन नहीं होगा."
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गेहूं के आटे का बन रहा मालपुआ: मालपुआ बनाने के लिए शक्कर, गेहूं का आटा, सूखा मेवा, काली मिर्च, सौंफ का उपयोग किया जा रहा है. इस मालपुआ को बनाने में लगभग 8 कर्मचारी लगे हुए हैं. मालपुआ को तेल और घी में छाना जाता है. मालपुआ छनने के बाद उसे सुखाया जाता है. सूखने के बाद शनिवार को भगवान कृष्ण को भोग लगाने और अर्पित करने के बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में इस मालपुआ का वितरण किया जाएगा.