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Bhishma Ashtami 2023 : भीष्म अष्टमी का महत्व और शुभ मूहूर्त

महाभारत ग्रंथ में गंगापुत्र भीष्म पितामह का उल्लेख है. भीष्म को वरदान प्राप्त था कि वो अपनी मृत्यु स्वयं ही बुला सकते हैं. ऐसे में महाभारत युद्ध के दौरान जब वो अर्जुन के तीरों से मूर्छित हो बाण शैय्या पर लेटे थे.पांडवों ने उनसे ज्ञान प्राप्त किया. इसके बाद माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को अपना देह त्यागा. इसी तिथी को भीष्म अष्टमी के नाम से जाना जाता है.

Bhishma Ashtami 2023
भीष्म अष्टमी का महत्व और शुभ मूहूर्त
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Published : Jan 28, 2023, 2:18 PM IST

रायपुर/ हैदराबाद : पूरे भारत में आज भीष्म अष्टमी मनाई जा रही है, जो महाभारत के पितामह भीष्म को समर्पित है. पितामह भीष्म को गंगा पुत्र, भीष्म पितामह जैसे नामों से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को उन्होंने अपना शरीर त्यागा था, इसलिए भीष्म पितामह की मृत्यु की वर्षगांठ भीष्म अष्टमी के चौर पर माघ शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है. वहीं ऐसा माना जाता है कि भीष्म पितामह ने उत्तरायण के शुभ दिन अपने शरीर को छोड़ा था. भीष्म अष्टमी के दिन लोग उनके सम्मान में एकोदिष्ट श्राद्ध की रस्म निभाते हैं. इसके साथ ही इस दिन पवित्र नदी में डुबकी लगाई जाती है.

भीष्म अष्टमी के शुभ मुहूर्त : हिंदू पंचाग के अनुसार, इस बार माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जनवरी दिन शनिवार को सुबह 08:43 से प्रारंभ होकर 29 जनवरी दिन रविवार को सुबह 9 बजे समाप्त होगी. क्योंकि 28 जनवरी को पूरे दिन अष्टमी तिथि रहेगी, इसलिए इस दिन भीष्म अष्टमी का व्रत किया जाएगा. इसके अलावा इस दिन अश्विनी नक्षत्र होने से सौम्य नाम का शुभ योग भी दिन भर रहेगा. साथ ही, इस दिन भरणी और साध्य योग भी रहेंगे.

ये भी पढ़ें- अरोग्यता के लिए इस विधि से किजिए सूर्य की पूजा

भीष्म अष्टमी व्रत पूजा विधि : इस दिन सुबह किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें. अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो घर में ही स्नान मंत्र बोलकर नहा लें. नहाते समय पितामह भीष्म के निमित्त हाथ में तिल, जल लेकर अपसव्य यानी जनेऊ को दाएं कंधे पर लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर इस मंत्र का जाप करें.

मंत्र- वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।
गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।
भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।
आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।

इसके बाद जनेऊ को बाएं कंधे पर लेकर गंगापुत्र भीष्म को अर्घ्य दें, साथ ही इस मंत्र का जाप करें.

मंत्र- वसूनामवताराय शन्तरोरात्मजाय च।
अर्घ्यंददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे।।

भीष्म अष्टमी का महत्व : जो भी व्यक्ति भीष्म अष्टमी का व्रत करता है, उसे योग्य संतान की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस दिन पितामह भीष्म का तर्पण, श्राद्ध इत्यादि करने से पापों का नाश होता है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है. धर्म ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है.

रायपुर/ हैदराबाद : पूरे भारत में आज भीष्म अष्टमी मनाई जा रही है, जो महाभारत के पितामह भीष्म को समर्पित है. पितामह भीष्म को गंगा पुत्र, भीष्म पितामह जैसे नामों से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को उन्होंने अपना शरीर त्यागा था, इसलिए भीष्म पितामह की मृत्यु की वर्षगांठ भीष्म अष्टमी के चौर पर माघ शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है. वहीं ऐसा माना जाता है कि भीष्म पितामह ने उत्तरायण के शुभ दिन अपने शरीर को छोड़ा था. भीष्म अष्टमी के दिन लोग उनके सम्मान में एकोदिष्ट श्राद्ध की रस्म निभाते हैं. इसके साथ ही इस दिन पवित्र नदी में डुबकी लगाई जाती है.

भीष्म अष्टमी के शुभ मुहूर्त : हिंदू पंचाग के अनुसार, इस बार माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जनवरी दिन शनिवार को सुबह 08:43 से प्रारंभ होकर 29 जनवरी दिन रविवार को सुबह 9 बजे समाप्त होगी. क्योंकि 28 जनवरी को पूरे दिन अष्टमी तिथि रहेगी, इसलिए इस दिन भीष्म अष्टमी का व्रत किया जाएगा. इसके अलावा इस दिन अश्विनी नक्षत्र होने से सौम्य नाम का शुभ योग भी दिन भर रहेगा. साथ ही, इस दिन भरणी और साध्य योग भी रहेंगे.

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भीष्म अष्टमी व्रत पूजा विधि : इस दिन सुबह किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें. अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो घर में ही स्नान मंत्र बोलकर नहा लें. नहाते समय पितामह भीष्म के निमित्त हाथ में तिल, जल लेकर अपसव्य यानी जनेऊ को दाएं कंधे पर लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर इस मंत्र का जाप करें.

मंत्र- वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।
गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।
भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।
आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।

इसके बाद जनेऊ को बाएं कंधे पर लेकर गंगापुत्र भीष्म को अर्घ्य दें, साथ ही इस मंत्र का जाप करें.

मंत्र- वसूनामवताराय शन्तरोरात्मजाय च।
अर्घ्यंददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे।।

भीष्म अष्टमी का महत्व : जो भी व्यक्ति भीष्म अष्टमी का व्रत करता है, उसे योग्य संतान की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस दिन पितामह भीष्म का तर्पण, श्राद्ध इत्यादि करने से पापों का नाश होता है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है. धर्म ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है.

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