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Basant panchami 2023 : बसंत पंचमी के अबूझ मुहूर्त का महत्व - देवी सरस्वती की आराधना

हिंदू धर्म में शादी या किसी शुभ काम के लिए मुहूर्त देखा जाता है. किसी भी अशुभ मुहूर्त में कोई भी अच्छे कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन कुछ मुहूर्त ऐसे होते हैं जो पूरे दिन के लिए शुभ होते हैं. ऐसा ही एक मुहूर्त है बसंत पंचमी का दिन.इस दिन भी लोग बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं. इस मुहूर्त को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है.

Basant panchami 2023
बसंत पंचमी के अबूझ मुहूर्त का महत्व
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Published : Jan 24, 2023, 7:06 PM IST

जानिए क्या है बसंत पंचमी का अबूझ मुहूर्त

रायपुर : साल 2023 में बसंत पंचमी का पावन पर्व 26 जनवरी को मनाया जाएगा. बसंत पंचमी पर न सिर्फ देवी सरस्वती की आराधना की जाती है, बल्कि इस दिन कई मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं. इसके लिए शुभ मुहूर्त की जरूरत नहीं पड़ती. ऐसा इसलिए क्योंकि बसंत पंचमी अपने आप में एक अबूझ मुहूर्त है. शादी, विवाह से पहले शुभ मुहूर्त देखना अति आवश्यक माना गया है. बसंत पंचमी एक ऐसा दिन है, जिस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है. यानी इस दिन किसी भी समय विवाह किया जा सकता है. यह शुभ माना जाता है.


अबूझ मुहूर्त का महत्व :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "बसंत पंचमी का पर्व मांघ महीने के शुक्ल पक्ष को मनाया जाने वाला बसंत उत्सव है. जिसका संबंध उत्साह ज्ञान प्रकाश और समृद्धि से है. इस लिहाज से अगर देखा जाए ज्ञान की शुरुआत मां सरस्वती से शुरू की जाती है. बसंत उत्सव उत्साह और समृद्धि का प्रतीक है जिसमें शादी मुंडन और गृह प्रवेश किया जाता है. इसलिए बसंत पंचमी को सभी काम कर्मों का अबूझ मुहूर्त माना जाता है. हमारे यहां पंचमी दशमी और पूर्णिमा को पूर्णा तिथि माना जाता है. इस दिन किए गए सभी प्रकार के कार्य पूर्णता और समृद्धि देने वाले होते हैं. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसी परंपराएं प्रचलित हैं. बसंत पंचमी रामनवमी और अक्षय तृतीया जैसे पर्व अनादि काल से प्रचलित है जिसमें मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है."



क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी : बसंत पंचमी का पर्व पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है. यह एक ऐसा हिंदू पर्व है, जो जीवन में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. यह पर्व माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है, इसी वजह से इसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है. इस पर्व से होली के पर्व की शुरुआत भी होती है. इस दिन सरस्वती पूजन करने से देवी सरस्वती हमें बुद्धि प्रदान करती है. यह वर्ष का वह समय भी होता है, जब खेतों में सरसों के पीले फूल खिलने लगते हैं. इस वजह से वातावरण खूबसूरत भी दिखने लगता है. ऐसी मान्यता है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सरस्वती प्रकट हुई थी. इसलिए इस दिन को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें- क्या है बसंत पंचमी का धार्मिक महत्व

कब मनाई जाएगी बसंत पंचमी : साल 2023 में बसंत पंचमी के पावन पर्व 26 जनवरी को मनाया जाएगा. माघ मास की पंचमी तिथि 25 जनवरी दोपहर 12:34 पर माघ मास की पंचमी तिथि का समापन 26 जनवरी को प्रातः 10:28 पर होगा. पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जनवरी के दिन सुबह 7:12 से लेकर दोपहर 12:34 तक रहेगा. उदया तिथि में बसंत पंचमी 26 जनवरी को पड़ेगी इसलिए 26 जनवरी के दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाना शुभ होगा. सरस्वती पूजन का भी लाभ मिलेगा. बसंत पंचमी को श्री पंचमी मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन सरस्वती मां की पूजा विशेष रूप से फलदाई होती है. और इसी दिन से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है इसलिए इस पर्व का महत्व कई गुना बढ़ जाता है.

जानिए क्या है बसंत पंचमी का अबूझ मुहूर्त

रायपुर : साल 2023 में बसंत पंचमी का पावन पर्व 26 जनवरी को मनाया जाएगा. बसंत पंचमी पर न सिर्फ देवी सरस्वती की आराधना की जाती है, बल्कि इस दिन कई मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं. इसके लिए शुभ मुहूर्त की जरूरत नहीं पड़ती. ऐसा इसलिए क्योंकि बसंत पंचमी अपने आप में एक अबूझ मुहूर्त है. शादी, विवाह से पहले शुभ मुहूर्त देखना अति आवश्यक माना गया है. बसंत पंचमी एक ऐसा दिन है, जिस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है. यानी इस दिन किसी भी समय विवाह किया जा सकता है. यह शुभ माना जाता है.


अबूझ मुहूर्त का महत्व :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "बसंत पंचमी का पर्व मांघ महीने के शुक्ल पक्ष को मनाया जाने वाला बसंत उत्सव है. जिसका संबंध उत्साह ज्ञान प्रकाश और समृद्धि से है. इस लिहाज से अगर देखा जाए ज्ञान की शुरुआत मां सरस्वती से शुरू की जाती है. बसंत उत्सव उत्साह और समृद्धि का प्रतीक है जिसमें शादी मुंडन और गृह प्रवेश किया जाता है. इसलिए बसंत पंचमी को सभी काम कर्मों का अबूझ मुहूर्त माना जाता है. हमारे यहां पंचमी दशमी और पूर्णिमा को पूर्णा तिथि माना जाता है. इस दिन किए गए सभी प्रकार के कार्य पूर्णता और समृद्धि देने वाले होते हैं. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसी परंपराएं प्रचलित हैं. बसंत पंचमी रामनवमी और अक्षय तृतीया जैसे पर्व अनादि काल से प्रचलित है जिसमें मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है."



क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी : बसंत पंचमी का पर्व पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है. यह एक ऐसा हिंदू पर्व है, जो जीवन में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. यह पर्व माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है, इसी वजह से इसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है. इस पर्व से होली के पर्व की शुरुआत भी होती है. इस दिन सरस्वती पूजन करने से देवी सरस्वती हमें बुद्धि प्रदान करती है. यह वर्ष का वह समय भी होता है, जब खेतों में सरसों के पीले फूल खिलने लगते हैं. इस वजह से वातावरण खूबसूरत भी दिखने लगता है. ऐसी मान्यता है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सरस्वती प्रकट हुई थी. इसलिए इस दिन को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें- क्या है बसंत पंचमी का धार्मिक महत्व

कब मनाई जाएगी बसंत पंचमी : साल 2023 में बसंत पंचमी के पावन पर्व 26 जनवरी को मनाया जाएगा. माघ मास की पंचमी तिथि 25 जनवरी दोपहर 12:34 पर माघ मास की पंचमी तिथि का समापन 26 जनवरी को प्रातः 10:28 पर होगा. पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जनवरी के दिन सुबह 7:12 से लेकर दोपहर 12:34 तक रहेगा. उदया तिथि में बसंत पंचमी 26 जनवरी को पड़ेगी इसलिए 26 जनवरी के दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाना शुभ होगा. सरस्वती पूजन का भी लाभ मिलेगा. बसंत पंचमी को श्री पंचमी मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन सरस्वती मां की पूजा विशेष रूप से फलदाई होती है. और इसी दिन से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है इसलिए इस पर्व का महत्व कई गुना बढ़ जाता है.

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