रायपुर : मीन मास से सूर्य लगभग 30 दिनों तक मीन राशि में रहेंगे. लगभग 14 अप्रैल 2023 तक सूर्य का प्रवेश मीन राशि में बना रहेगा. इसके उपरांत सूर्य का आगमन मेष राशि में हो जाएगा. मेष राशि में सूर्य इस कालखंड में उच्च होते हैं. 14 अप्रैल के बाद से सभी मांगलिक और शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे. खरमास की अवधि में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, मांगलिक संस्कार, लगन, सगाई विशेष रूप से वर्जित रहते हैं.
क्यों नहीं किए जाते खरमास में शुभ काम : :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "खरमास के शुरू होते ही विवाह संबंधित सभी कार्य इस समय नहीं किए जाते हैं. कई लोग इस समय में विवाह संबंधी प्रस्ताव रखना भी उचित नहीं मानते हैं. यह संपूर्ण महीना खरमास के रूप में जाना जाता है. यह वर्ष में दो बार पड़ता है. लगभग 15 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक जब सूर्य धनु राशि में रहते हैं, तब भी यह खरमास प्रभावशाली रहता है. खरमास में सभी विवाह संबंधित चर्चाएं, लड़का लड़की का देखना, कन्या पक्ष अथवा वर पक्ष का एक दूसरे से बात करना पूर्णत: वर्जित रहता है. यह महीना क्योंकि वित्तीय वर्ष की क्लोजिंग का भी होता है, व्यक्ति को इस समय अपने कार्य, व्यापार में अधिक सजगता और एकाग्रता के साथ काम करने की छूट मिलती है."
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खरमास का राशियों पर असर : :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "सभी तरह के रिवाज एवं परंपराएं पूरे वैज्ञानिक तरीके से हमें अपने कार्य, व्यापार, आजीविका नौकरी में अपने आप को एकाग्र रखने के लिए प्रेरित करते हैं. मीन राशि को गुरु की राशि माना गया है. जब भी गुरु की राशि में सूर्य का आगमन होता है. खरमास पड़ता है. गुरु विवाह का मुख्य कारक माना जाता है. विवाह के लिए गुरु की अनुकूलता अच्छी होनी चाहिए. विवाह संबंधी प्रसंगों में गुरु और शुक्र की भूमिका बहुत व्यापक रहती है. गुरु एक पीला ग्रह माना गया है. धनु और मीन राशि इसके अंतर्गत आते हैं. इन दोनों राशियों के स्वामी गुरु महाराज माने जाते हैं. इन राशियों पर सूर्य का परिभ्रमण सभी तरह के शुभ कार्य को कुछ समय के लिए स्थगित कर देता है."