रायपुर: छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन की जिला महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष बरखा शर्मा का कहना है कि "वेतन विसंगति की मांग को लेकर 6 फरवरी से प्रदेशभर के सहायक शिक्षक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक की कक्षाओं का संचालन सहायक शिक्षकों के द्वारा किया जाता है. परीक्षा के समय इनके हड़ताल पर चले जाने से कहीं ना कहीं बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. लेकिन हड़ताल पर जाना सहायक शिक्षकों की मजबूरी है."
प्रदेश सरकार से सहायक शिक्षकों ने लगाई गुहार: बरखा शर्मा का कहना है कि "वेतन विसंगति की मांग को दूर करने के लिए कई बार प्रदेश सरकार से सहायक शिक्षकों ने गुहार लगाई. बावजूद इसके इनकी मांग को सरकार ने पूरा नहीं किया. जिसके कारण अब सड़क की लड़ाई लड़ने को सहायक शिक्षक मजबूर हैं."
कई स्कूलों में तालाबंदी की स्थिति: बरखा शर्मा ने आगे बताया कि "सहायक शिक्षकों के हड़ताल की वजह से कुछ स्कूलों में पूरी तरह से तालेबंदी की स्थिति है और कुछ जगहों पर प्रधान पाठक के भरोसे स्कूलों का संचालन किया जा रहा है. प्रदेश में कई ऐसे स्कूल हैं, जो सहायक शिक्षकों के भरोसे हैं. उन स्कूलों में पूरी तरह से तालाबंदी की स्थिति देखने को मिल रही है. कई स्कूलों में बच्चे मध्यान भोजन का खाना खाकर अपने घर वापस चले जाते हैं."
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11 फरवरी को मुख्यमंत्री निवास का करेंगे घेराव: छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन रायपुर के जिला अध्यक्ष हेम कुमार साहू ने बताया कि "वेतन विसंगति की मांग को लेकर पिछले 4 साल से सहायक शिक्षक संघर्ष कर रहे हैं. जिसके कारण प्रदेश भर के 1 लाख 9 हजार सहायक शिक्षकों में नाराजगी है. इसे लेकर 30 दिसंबर 2022 को 90 विधायकों को ज्ञापन सौंपा गया था. जिसके बाद 6 फरवरी से ब्लॉक स्तर पर प्रदर्शन किया जा रहा है. सरकार अगर वेतन विसंगति की मांग पूरा नहीं करती, तो 11 फरवरी प्रदेश के पांचो संभाग के सहायक शिक्षक मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे."
हड़ताल के लिए प्रदेश के मुखिया जिम्मेदार: सरकार ने अपने घोषणा पत्र में वेतन विसंगति दूर करने का वादा किया था. लेकिन 4 साल बीतने के बाद भी सरकार ने वेतन विसंगति की मांग को पूरा नहीं किया. सहायक शिक्षक वर्ग 1 और सहायक शिक्षक वर्ग 2 की तुलना में सहायक शिक्षक वर्ग 3 की राशि में 12 से 15 हजार रुपए का अंतर है. सहायक शिक्षक वर्ग 3 के शिक्षक प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं, जो सबसे कठिन काम है. सरकार की वादाखिलाफी के कारण सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.