रायपुरः दान करना पुण्य का काम होता है और जो व्यक्ति कुछ भी दान करें और दान की गई वस्तु अगर किसी के काम आ जाए. तो दान करने वाला किसी फरिश्ता से कम नहीं होता. ऐसे में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से दो युवतियों (Two girls) ने एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, दो बहनों ने कैंसर पीड़ित महिलाओं (Women with cancer) के लिए अपने केश दान (Hair donation) कर दिये हैं.
बताया जा रहा है कि इन दो बहनों ने यह बाल उन लड़कियों और महिलाओं के लिए दान दिया है, जिनके कैंसर की वजह से बाल झड़ (Hair loss due to cancer)जाते हैं. बाल झड़ने की वजह से कहीं ना कहीं उनका आत्मविश्वास (Self-confidence) कम होने लगता है. ऐसे लड़कियों और महिलाओं में आत्मविश्वास भरने के लिए ही कुछ लोगों के द्वारा 'हेयर डोनेट' (Hair donation) यानी कि 'केश दान' (Keshdaan) की मुहिम चलाई जा रही है.
'आमना और आराजू ने किया केश दान'
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी इसी मुहिम के तहत दो लड़कियों ने अपने 'केश दान' किये है. जिन दो लड़कियों ने केश दान दिए हैं, वो बहने हैं. जिनका नाम आमना और आरजू है. यह दोनों लड़कियां मशहूर कवि मीर अली मीर की बेटियां हैं.
'12 इंच से छोटे नहीं होने चाहिए केश'
केश दान के लिए कई प्रक्रिया है. कुछ मापदंड निर्धारित है, उन मापदंडों के तहत ही केश दान किया जाता है. 12 इंच से छोटे केश दान नहीं किया जा सकता. इसलिए इन्होंने अपने केश के बढ़ने तक इंतजार किया और जब उनके केश इस लायक हो गए कि दान दिया जा सके. तो इन्होंने देर न करते हुए अपने केश को कटवाकर दान कर दिया. जिस केश से बने 'विग' का उपयोग कैंसर पीड़ित लड़कियां और महिलाएं निशुल्क कर सकेंगी.
'पहले घरवाले हुए नाराज फिर की सराहना'
हालांकि केश कटवाने के बाद इनके परिवार, रिश्ते-नाते और दोस्तों का रिएक्शन काफी अलग रहा. कुछ ने कहा कि बाल नहीं कटाना था. कुछ का कहना था कि लंबे बाल से ही लड़कियों और महिलाओं की सुंदरता रहती है. कुछ ने इसे सही नहीं माना, लेकिन जब बाद में उन्हें इस बाल कटवाने की वजह बताई गई, तो सभी ने इन लड़कियों की तारीफ की और उनका हौसला बढ़ाया.
'अपनी सबसे प्यारी चीज देना मुश्किल'
वहीं, ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि किसी अच्छे काम के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज देना मुश्किल फैसला है. लेकिन कभी-कभी खुद से ऊपर भी सोचना पड़ता है. कई तरह की बातें दिमाग में आई लेकिन दिल के पास सभी का जवाब था. आज हम दोनों बहने इस कैंपेन से जुड़कर खुश हैं.
'बिना 'केश' के कल्पना से ही सहम उठती है कैंसर पीड़ित'
जिन लड़कियों और महिलाओं ने कैंसर की वजह से अपने बाल खो दिए हैं. अब वो इस केश दान की वजह से सुंदर लगेंगी. लड़की और महिलाओं के लिए यह बाल काफी उपयोगी है. क्योंकि लड़कियां और महिलाएं बिना बाल के चेहरे की कल्पना भी नही कर सकती है. ऐसे में जब कैंसर की वजह से उनके सर से बाल झड़ जाते हैं तो सोचिए उन पर क्या गुजरती होगी. वह बिना बाल के चेहरे की कल्पना से ही सहम उठती हैं. ऐसी लड़की और महिलाओं के लिए ये बाल किसी वरदान से कम नहीं है.
नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है ओरिजिनल वालों से बनी 'विग'
वहीं, जिन्हें कैंसर की बीमारी होती है, उसके उपचार में काफी पैसे खर्च हो जाते हैं. ऐसे में गरीब और मध्यम वर्ग के लिए उपचार के बाद हेयर ट्रांसप्लांट या फिर 'नकली विग' लगाना काफी महंगा साबित होता है. यदि ओरिजिनल बाल का विग लेने जाओ तो उसकी कीमत कहीं ज्यादा होती है. इसका खर्च ये लोग नहीं उठा पाते हैं और बाल ना होने की वजह से इन लोगों में आत्मविश्वास कि कहीं न कहीं कमी देखने को मिलती है. लेकिन अब इस तरह की मुहिम से इन लोगों को ओरिजिनल हेयर के विग निशुल्क मिल सकेंगे.
'केश दान' की मुहिम से जुड़ने के लिए कई लोगों से किया संपर्क
ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान आमना और आरजू ने बताया कि इस मुहिम को और आगे ले जाएंगे. उनके द्वारा हेयर डोनेट करने के बाद बहुत से लोगों ने भी अपने केश को दान करने की इच्छा जाहिर की है. इसके लिए वे अब आगे तैयारी कर रही हैं.