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68 साल के प्रफुल्ल यादव ने बिना वेंटिलेटर के कोरोना को हराया

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Published : Apr 27, 2021, 6:50 PM IST

अमलेश्वर के बुजुर्ग प्रफुल्ल यादव ने 68 साल की उम्र में कोरोना को हरा दिया है. उन्हें सही वक्त पर वेंटिलेटर नहीं मिला था. जिसके कारण उनकी हालत ठीक नहीं थी. लालपुर कोरोना केयर सेंटर में उनका इलाज हुआ. आज बुजुर्ग ठीक होकर घर लौट गए हैं.

68 year old Praful Yadav recover from corona infection
68 साल के प्रफुल्ल यादव

रायपुर: छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच कई उम्मीदों से भरी खबरें भी आ रही है. बहुत से ऐसे मरीज हैं जो कोरोना का हराकर स्वस्थ हुए हैं. राजधानी में कोरोना से मौत का आंकड़ा काफी बड़ा है, लेकिन 68 साल के बुजुर्ग व्यक्ति ने कोरोना से जंग जीत कर उम्मीद कायम रखी है. अमलेश्वर निवासी प्रफुल्ल यादव का शुगर लेवल 500 से 600 के बीच पहुंच गया था. इसके बावजूद भी वे बिना वेंटिलेटर के कोरोना से जंग जीतकर स्वस्थ हो चुके हैं.

प्रफुल्ल को वक्त पर नहीं मिला वेंटिलेटर

प्रफुल्ल यादव बताते हैं कि 2 सप्ताह पहले उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. उनका इलाज खैरागढ़ में चल रहा था. 2 दिन बाद उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा तब वे अपने बेटे के पास रायपुर पहुंचे. डॉक्टरों ने उस दौरान तत्काल वेंटिलेटर में रखने के लिए कहा, लेकिन उस दौरान वेंटिलेटर की कमी थी. लिहाजा वेंटिलेटर नहीं मिल सका. यादव ने बताया कि उनका ऑक्सीजन लेवल गिरता हुआ 60 से नीचे चला गया था. लगातार कोशिश के बाद उन्हें लालपुर के केयर सेंटर में जगह मिली, लेकिन वेंटिलेटर नहीं मिल सका.

ऑक्सीजन की भीख मांगती इस मां के क्रंदन से अस्पताल में मचा हड़कंप

डॉक्टरों के प्रयास ने बचाई जान

लालपुर कोरोना केयर सेंटर में डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया. डॉक्टरों की लगातार कोशिश से वह बिना वेंटिलेटर के 10 दिन के भीतर ही ठीक होकर अपने घर लौट गए. फिलहाल उन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया है. उनके बेटे ने घर में ही ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम कर रखा है. डॉ. प्रशांत साहू ने बताया कि प्रफुल्ल यादव का बीपी अप डाउन हो रहा था. शुगर लेवल भी 500 से 600 के बीच आ गया था. ऐसे में कोरोना पेशेंट को आमतौर पर वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है, लेकिन सीमित संसाधन थे. पेशेंट को किसी अस्पताल में जगह नहीं मिल रही थी. पूरी टीम ने मजबूत इरादों के साथ इलाज शुरू किया.

छत्तीसगढ़ में बढ़ते संक्रमण के बीच क्या है कोविड 19 केयर सेंटरों की स्थिति

ऑक्सीजन थेरेपी ने किया काम

डॉ प्रशांत ने बताया कि ऑक्सीजन थेरेपी के जरिए प्रफुल्ल यादव के ऑक्सीजन सैचुरेशन को सुधारने का काम किया गया. स्थिति सुधारने के शुरुआत हुई तब उन्हें इंजेक्शन भी दिए गए. पहले दिन उनकी स्थिति स्टेबल हो गई. दूसरे दिन उनका ऑक्सीजन लेवल गिरता गया और लेकिन लगातार डॉक्टरों की टीम ने मॉनिटरिंग के जरिए उन्हें ठीक करने की कोशिश की और उन्हें कामयाबी मिली.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच कई उम्मीदों से भरी खबरें भी आ रही है. बहुत से ऐसे मरीज हैं जो कोरोना का हराकर स्वस्थ हुए हैं. राजधानी में कोरोना से मौत का आंकड़ा काफी बड़ा है, लेकिन 68 साल के बुजुर्ग व्यक्ति ने कोरोना से जंग जीत कर उम्मीद कायम रखी है. अमलेश्वर निवासी प्रफुल्ल यादव का शुगर लेवल 500 से 600 के बीच पहुंच गया था. इसके बावजूद भी वे बिना वेंटिलेटर के कोरोना से जंग जीतकर स्वस्थ हो चुके हैं.

प्रफुल्ल को वक्त पर नहीं मिला वेंटिलेटर

प्रफुल्ल यादव बताते हैं कि 2 सप्ताह पहले उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. उनका इलाज खैरागढ़ में चल रहा था. 2 दिन बाद उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा तब वे अपने बेटे के पास रायपुर पहुंचे. डॉक्टरों ने उस दौरान तत्काल वेंटिलेटर में रखने के लिए कहा, लेकिन उस दौरान वेंटिलेटर की कमी थी. लिहाजा वेंटिलेटर नहीं मिल सका. यादव ने बताया कि उनका ऑक्सीजन लेवल गिरता हुआ 60 से नीचे चला गया था. लगातार कोशिश के बाद उन्हें लालपुर के केयर सेंटर में जगह मिली, लेकिन वेंटिलेटर नहीं मिल सका.

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डॉक्टरों के प्रयास ने बचाई जान

लालपुर कोरोना केयर सेंटर में डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया. डॉक्टरों की लगातार कोशिश से वह बिना वेंटिलेटर के 10 दिन के भीतर ही ठीक होकर अपने घर लौट गए. फिलहाल उन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया है. उनके बेटे ने घर में ही ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम कर रखा है. डॉ. प्रशांत साहू ने बताया कि प्रफुल्ल यादव का बीपी अप डाउन हो रहा था. शुगर लेवल भी 500 से 600 के बीच आ गया था. ऐसे में कोरोना पेशेंट को आमतौर पर वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है, लेकिन सीमित संसाधन थे. पेशेंट को किसी अस्पताल में जगह नहीं मिल रही थी. पूरी टीम ने मजबूत इरादों के साथ इलाज शुरू किया.

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ऑक्सीजन थेरेपी ने किया काम

डॉ प्रशांत ने बताया कि ऑक्सीजन थेरेपी के जरिए प्रफुल्ल यादव के ऑक्सीजन सैचुरेशन को सुधारने का काम किया गया. स्थिति सुधारने के शुरुआत हुई तब उन्हें इंजेक्शन भी दिए गए. पहले दिन उनकी स्थिति स्टेबल हो गई. दूसरे दिन उनका ऑक्सीजन लेवल गिरता गया और लेकिन लगातार डॉक्टरों की टीम ने मॉनिटरिंग के जरिए उन्हें ठीक करने की कोशिश की और उन्हें कामयाबी मिली.

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