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गौठान की वजह से 20 परिवार का छिना आशियाना - गौठान के लिए बेघर

गौठान की सरकारी जमीन पर सालों से काबिज 20 परिवारों के मकान तोड़ दिए गए हैं जिसके बाद तहसीलदार ने इन परिवारों को पट्टा मुहैया कराने की बात कही है.

बेघर परिवार
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Published : Nov 12, 2019, 10:01 PM IST

रायपुर : भूपेश सरकार की गौठान योजना के कारण एक गांव के 20 परिवारों को बेघर होने पर मजबूर होना पड़ा है. ये परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है. छोटे बच्चों और बुजुर्गो के साथ ये 20 परिवार गुजर बसर करने का ठिकाना ढूंढते भटक रहे है. सरकार की गौठान योजना के तहत तर्रा गांव में जिस जगह गौठान बनना था, वहां ये परिवार सालों से काबिज थे. ग्रामीणों का कहना है कि महज 2 दिन का नोटिस देकर उनकी झोंपड़ियों पर बुलडोजर चला दिया गया.

20 परिवार बेघर

राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर दूर तर्रा गांव में सरकार ने आदर्श गौठान का निर्माण कराया है. गौठान सरकारी जमीन पर बनाया गया है. लेकिन पिछले करीब दो दशकों से इस जमीन पर कुछ लोगों ने अपने घर बना लिए थे. धरसीवा तहसीलदार का कहना है कि जिनके घर गिराए गए हैं उन्हें करीबन एक साल से नोटिस दिए जा रहे थे इसके बावजूद वो घर खाली नहीं कर रहे थे जिसके बाद यह कदम उठाया गया है.

इन परिवारों ने पुनर्वास दिए जाने के बाद मकान तोड़ने की बात कही थी, वही तहसीलदार ने कहा कि इन परिवारों में से जिन्हें पट्टे नहीं दिए गए है उन्हें पट्टे दिए जाएंगे, साथ ही इन परिवारों को समुदायिक भवन में रहने की सुविधा दी गई है.

रायपुर : भूपेश सरकार की गौठान योजना के कारण एक गांव के 20 परिवारों को बेघर होने पर मजबूर होना पड़ा है. ये परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है. छोटे बच्चों और बुजुर्गो के साथ ये 20 परिवार गुजर बसर करने का ठिकाना ढूंढते भटक रहे है. सरकार की गौठान योजना के तहत तर्रा गांव में जिस जगह गौठान बनना था, वहां ये परिवार सालों से काबिज थे. ग्रामीणों का कहना है कि महज 2 दिन का नोटिस देकर उनकी झोंपड़ियों पर बुलडोजर चला दिया गया.

20 परिवार बेघर

राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर दूर तर्रा गांव में सरकार ने आदर्श गौठान का निर्माण कराया है. गौठान सरकारी जमीन पर बनाया गया है. लेकिन पिछले करीब दो दशकों से इस जमीन पर कुछ लोगों ने अपने घर बना लिए थे. धरसीवा तहसीलदार का कहना है कि जिनके घर गिराए गए हैं उन्हें करीबन एक साल से नोटिस दिए जा रहे थे इसके बावजूद वो घर खाली नहीं कर रहे थे जिसके बाद यह कदम उठाया गया है.

इन परिवारों ने पुनर्वास दिए जाने के बाद मकान तोड़ने की बात कही थी, वही तहसीलदार ने कहा कि इन परिवारों में से जिन्हें पट्टे नहीं दिए गए है उन्हें पट्टे दिए जाएंगे, साथ ही इन परिवारों को समुदायिक भवन में रहने की सुविधा दी गई है.

Intro:इस सर्द रात में अपने पूरे परिवार के साथ किसी के सामने खुले आसमान के नीचे रहने की मजबूरी आ जाए तो उनके दर्द का सिर्फ अंदाजा ही लगाना मुश्किल होगा.. राजधानी से करीब 30 किमी दूर स्थित है तर्रा गांव. यहां कुछ दिन पहले प्रशासन ने 20 परिवार के मकान पर बुलडोजर चलवा दिया. जबकि इस जगह पर ये परिवार करीब 25 साल से निवासरत था. छत्तीसगढ़ में ठंड ने दस्तक दे दी है खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में अब रात ठिठुरन भरी होने लगी है. ऐसे में प्रशासन की इस कार्रवाई के शिकार हुए लोगों के सामने अपने छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ रात बिताना जिंदगी और मौत की लड़ाई से कम नहीं… ये परिवार गांव के मंदिर में समुदायिक भवन के बरामदे में पनाह लिए हुए हैं… और जैसे तैसे अपनी जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ा रहे हैं..।


Body:दरअसल सरकार इन दिनों गांव गांव में आदर्श गौठन का निर्माण करा रही है. इस गांव में जिस जगह को गौठान बनाने के लिए चुना गया है उसके रास्ते में ये 20 परिवारों की झोपड़ी आती थी जिस पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया. पीड़ितों का कहना है कि उन्हें पहले पुनर्वास देना था फिर उनके मकानों को तोड़ा जाता तो वो सरकार के इस काम में सहयोग करते लेकिन सीधे सीधे उन्हें सड़क पर ला देना किसी भी तरह से मानवीय कदम नहीं कहा जाएगा…। हालांकि प्रशासन के इस मामले में अपना तर्क है.

ग्रामीण बाइट :- ग्रामीणों का कहना है कि उनके घर सड़क के किनारे पर हैं पर उनके घरों को क्यों तोड़ा गया या उनके समझ से परे है। गांव वालो द्वारा बताया गया कि घर खाली कराने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी शासन द्वारा आए अधिकारियों ने उन्हें 2 दिन का वक्त देकर कहा कि अगर आपके द्वारा 2 दिन में घर खाली नहीं किया गया तो हम आपके सामानों को बाहर फेंक देंगे इस डर से करीबन 20 से 25 घर के लोगों द्वारा सामानों को बाहर रखा गया वही गांव वालों द्वारा बताया गया कि अगर वह उनको कुछ समय का वक्त देते और पहले से रहने की व्यवस्था बनाते तो वह लोग वाहा शिफ्ट हो जाते जिनसे उन्हें अपना घर छोड़ खुले आसमान के नीचे रहने पर मजबूर नहीं होना पड़ता।



Conclusion:बाइट- तहसीलदार
धरसीवा तहसीलदार का कहना है कि जिनके घर गिराए गए हैं उन्हें करीबन 1 साल से नोटिस दिया जा रहा था उसके बावजूद वह घर खाली नहीं कर रहे थे जिसके बाद यह कदम उठाया गया है वही उन लोगों के ठहरने के लिए समुदाय भवन दिए गए हैं तहसीलदार ने बताया कि कल ग्रामसभा बैठाई जाएगी जिसमें जिनके घर गिराए गए हैं उन सब को पट्टा दिया जाएगा।


ग्रामीणों का कहना है कि आदर्श गौठान बनाने के लिए गांव में और भी जगह है, लेकिन उन्हें उजाड़ने के लिए सरपंच ने जानबूच कर इसी जगह पर गौठान बनाने का फैसला किया है… ये लोग अपना दर्द बयां करने एक सीएम हाउस भी पहुंचे थे लेकिन सीएम से मुलाकात नहीं हो पाई… फिलहाल इन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है… इन्हें भरोसा है कि प्रदेश के मुखिया इनकी परिस्थित को जरूर समझेंगे और इन्हें मदद दी जाएगी।

बाइट :- धरसीवा तहसीलदार रवि विश्वकर्मा ( ब्लू शर्ट)
बाइट :- बाबूलाल निषाद ( ग्राम निवासी सफेद शर्ट)

अभिषेक कुमार सिंह ईटीवी भारत रायपुर
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