रायपुर: भारत से साढ़े आठ हजार किलोमीटर दूर बसे इंडोनेशिया के बाली द्वीप में किसी लड़की का नाम पद्मा या श्रीयानी होने पर आप हैरान हो सकते हैं. लेकिन बाली द्वीप में यह आम है. 2000 बरस पहले यहां भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृति का प्रभाव पड़ा और बाली ने भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को अपना लिया. वाल्मीकि रामायण की कथा बाली द्वीप में आज भी उसी तरह से सुनी सुनाई जाती है, जैसा दो हजार साल था. स्थानीय संस्कृति में ढ़ालकर इसके सुंदर मंचन का कायल भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम देश हैं.
भारत की तरह ही इंडोनेशिया में होती है पूजा: राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के मौके पर बाली से आए दल की सदस्य ने पद्मा ने बताया कि "हमारे यहां बिल्कुल वैसे ही पूजा होती है जैसे भारत में होती है. हमारे यहां भी लोग मंदिर जाते हैं और हम सब भगवान राम के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं." बाली से ही आईं श्रीयानी ने बताया कि "लक्ष्मी जो विष्णु जी की पत्नी हैं, उनकी विशेष पूजा बाली द्वीप में होती है. इसी वजह से बहुत सारी लड़कियों के नाम श्री से हैं जैसे श्रीयानी या पदमा."
कलात्मक प्रस्तुति की है दुनिया कायल: श्रीयानी के मुताबिक उनके दल की ओर से मंचित राम कथा केवल इंडोनेशिया में ही नहीं सुनाई जाती, इसका मंचन आसपास के देशों जैसे सिंगापुर, यूरोपियन यूनियन और अमेरिका तक में होता है. श्रीयानी ने बताया कि "जब उनका दल राम कथा सुनाता है, तब उनकी कलात्मक प्रस्तुति और उनका वस्त्र विन्यास लोगों को बहुत पसंद आता है. इसके अलावा श्रीराम का अद्भुत चरित्र हर किसी को बहुत पसंद आता है."
इसलिए अच्छी लगती है रामकथा: श्रीयानी और उनके साथियों को रामकथा इसलिए अच्छी लगती है क्योंकि श्रीराम हमेशा अपनी पत्नी सीता का ध्यान रखते हैं. जब उनका अपहरण होता है तब वह उन्हें वापस लाने लंका तक चले जाते हैं. लंका जाने के लिए समुंद्र में पुल बनाते हैं. इस तरह जब भावपूर्ण कथा की प्रस्तुति होती है, तो लोगों के लिए अद्भुत दृश्य बनता है.
स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का है जरिया : श्रीयानी से जब उनके खास परिधानों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि "बाली में रामकथा से जुड़ी सामग्री बनाने का कुटीर उद्योग है. वहां न केवल कलाकारों के लिए मुकुट तैयार होते हैं बल्कि उनके लिए सुंदर वस्त्र भी तैयार होते हैं." वस्त्र दिखाते हुए श्रीयानी ने बताया कि सालों से उनकी टीम इसी तरह के वस्त्र रामकथा के मंचन में धारण करती आ रही है. इनकी खासियत ये है कि इसी तरह के परिधान इंडोनेशिया के मंदिरों में देवताओं को धारण कराए जाते हैं. जो मुकुट हम लोगों ने धारण किए हैं, ऐसे ही बाली के मंदिरों में बनी मूर्तियों में दिखता है."
दंडकारण्य में आकर बहुत अच्छा लगा : श्रीयानी पहली बार भारत आई हैं. यहां आकर उन्हें बहुत अच्छा लगा. कहा "यह श्रीराम का देश है. मुझे बताया गया कि रामकथा में वर्णित अरण्यकांड का स्थल दंडकारण्य ही है. यह छत्तीसगढ़ ही है, जहां मैं आई हूं. यह सोचकर ही मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. हम सब छत्तीसगढ़ में आकर और यहां हुए भव्य स्वागत से अभिभूत हैं."
महिला होकर भी निभाया प्रभु श्रीराम का किरदार: इंडोनेशिया के रामायण प्रस्तुति की खास बात ये रही कि बाली से आई श्रीयानी ने महिला होते हुए भी प्रभु श्रीराम का किरदार निभाया. उनकी प्रस्तुति को हर किसी ने सराहा भी. इंडोनेशिया की रामकथा में वाद्य यंत्रों की खास भूमिका होती है. सबसे खास इंस्ट्रूमेंट है ड्रम. इसकी ताल बदलने के साथ ही कलाकारों की थिरकन भी बदलती रहती है. लयबद्ध तरीके से इसकी प्रस्तुति हर किसी का मन मोह लेती है.