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SPECIAL: फेल हुई करोड़ों की केलो परियोजना, केवल उद्योगपतियों को हो रहा लाभ

रायगढ़ जिले में केलो परियोजना के तहत बनने वाला नहर अब तक नहीं बन पाया है. किसानों के लिए बनाई गई केलो परियोजना (सिंचाई परियोजना) किसानों के ही काम नहीं आ रही है. देखिए हमारी विशेष रिपोर्ट...

Raigarh Kelo project
केलो परियोजना
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Published : Jun 13, 2020, 11:55 AM IST

Updated : Jun 13, 2020, 1:26 PM IST

रायगढ़: जिले के लाखा गांव में केलो नदी पर बना केलो बांध या दिलीप सिंह जूदेव परियोजना केलो परियोजना के नाम से जाना जाता है. रायगढ़ शहरवासियों, यहां के उद्योगों, रायगढ़ और जांजगीर जिले के किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के मकसद से इस योजना को बनाया गया. साल 2014 में पूरी हुई इस योजना से अब तक सिर्फ उद्योगों को पानी मिल रहा है. किसानों के खेतों को आज भी पानी मिलने का इंतजार है.

Raigarh Kelo project
अधूरा पड़ा काम

किसानों की मानें तो सूखे पड़े उनके खेतों को आज भी पानी नहीं मिल सका है. अधिकारी 2021 तक किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का दावा कर रहे हैं. वहीं समाजसेवियों का कहना है कि अधिकारियों की लेटलतीफी और राजनीतिक दलों की उदासीनता के कारण करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी 2025 तक इस योजना से किसानों को पानी मिलना मुश्किल है. बता दें कि इस योजना में लगभग 9 करोड़ रुपए अब तक खर्च हो चुके हैं.

फेल हुई करोड़ों की केलो परियोजना

रायगढ़ और जांजगीर जिले के किसानों को पानी देने के लिए केलो परियोजना को जिले में लाया गया. इस योजना के तहत लाखा गांव में केलो बांध बनाकर पानी को संग्रहित करने की योजना बनाई गई. इस योजना का उद्देश्य रायगढ़ शहरवासियों, उद्योगों और किसानों के खेतों में पानी की व्यवस्था करना था. आधा दशक बीत जाने के बाद भी इस योजना से आज तक एक भी किसान के खेत तक पानी नहीं पहुंच सका, लेकिन उद्योग इसका भरपूर उपयोग कर रहे हैं.

खेतों तक नहीं पहुंच रहा पानी

रायगढ़ जिले से लगे पटेलपाली, गढ़उमरिया के किसान बताते हैं कि परियोजना के सबसे नजदीक होने के बाद भी आज तक उनके खेतों तक पानी नहीं पहुंचा है. किसानों को इससे फायदा हो, इस उद्देश्य से लोगों ने इस परियोजना के लिए अपनी जमीन तक दे दी, लेकिन नहर का पानी खेतों के स्तर से इतना नीचे होता है कि बरसात के दिनों में भी किसान उसका पानी इस्तेमाल नहीं कर पाते.

लॉकडाउन से कबाड़ कारोबार में करोड़ों का नुकसान, सिर्फ 50 फीसदी हुआ व्यापार

उद्योगपतियों को हो रहा फायदा: पर्यावरणविद्

Raigarh Kelo project
केलो परियोजना

समाजसेवी और पर्यावरणविद् राजेश त्रिपाठी बताते हैं कि ये परियोजना भले ही किसानों और उद्योगपतियों दोनों के लिए बनाई गई है, लेकिन इसका फायदा केवल उद्योगपतियों को हो रहा है. लगभग 500 करोड़ रुपए में शुरू हुई इस योजना में अब तक करीब 1400 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं.

10 प्रतिशत काम बाकी: पीके शुक्ला

केलो परियोजना के कार्यपालन अभियंता पीके शुक्ला बताते हैं कि इस योजना के तहत बने केलो डैम में 76 मिलियन क्यूबिक मीटर जल संग्रहण करने की सामान्य क्षमता है. जिसमें से 62 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी सिंचाई के लिए सुरक्षित रहता है. योजना के तहत किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए 28 किलोमीटर के मुख्य नहर का काम पूरा हो चुका है. इसके अलावा जो सिंचाई के लिए सहायक नहर है, उनमें लगभग 10 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. पीके शुक्ला बताते हैं कि वर्तमान में 42 गांवों में सिंचाई हो रही है. लगभग 891 करोड़ रुपए की लागत से पूरी योजना तैयार की गई है, जिसमें से 76 करोड़ रुपए का काम अभी बाकी है. इस योजना से रायगढ़ जिले के 167 गांव और जांजगीर जिले के 8 गांवों को सीधा फायदा मिलेगा.

Raigarh Kelo project
केलो बांध

रायगढ़: जिले के लाखा गांव में केलो नदी पर बना केलो बांध या दिलीप सिंह जूदेव परियोजना केलो परियोजना के नाम से जाना जाता है. रायगढ़ शहरवासियों, यहां के उद्योगों, रायगढ़ और जांजगीर जिले के किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के मकसद से इस योजना को बनाया गया. साल 2014 में पूरी हुई इस योजना से अब तक सिर्फ उद्योगों को पानी मिल रहा है. किसानों के खेतों को आज भी पानी मिलने का इंतजार है.

Raigarh Kelo project
अधूरा पड़ा काम

किसानों की मानें तो सूखे पड़े उनके खेतों को आज भी पानी नहीं मिल सका है. अधिकारी 2021 तक किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का दावा कर रहे हैं. वहीं समाजसेवियों का कहना है कि अधिकारियों की लेटलतीफी और राजनीतिक दलों की उदासीनता के कारण करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी 2025 तक इस योजना से किसानों को पानी मिलना मुश्किल है. बता दें कि इस योजना में लगभग 9 करोड़ रुपए अब तक खर्च हो चुके हैं.

फेल हुई करोड़ों की केलो परियोजना

रायगढ़ और जांजगीर जिले के किसानों को पानी देने के लिए केलो परियोजना को जिले में लाया गया. इस योजना के तहत लाखा गांव में केलो बांध बनाकर पानी को संग्रहित करने की योजना बनाई गई. इस योजना का उद्देश्य रायगढ़ शहरवासियों, उद्योगों और किसानों के खेतों में पानी की व्यवस्था करना था. आधा दशक बीत जाने के बाद भी इस योजना से आज तक एक भी किसान के खेत तक पानी नहीं पहुंच सका, लेकिन उद्योग इसका भरपूर उपयोग कर रहे हैं.

खेतों तक नहीं पहुंच रहा पानी

रायगढ़ जिले से लगे पटेलपाली, गढ़उमरिया के किसान बताते हैं कि परियोजना के सबसे नजदीक होने के बाद भी आज तक उनके खेतों तक पानी नहीं पहुंचा है. किसानों को इससे फायदा हो, इस उद्देश्य से लोगों ने इस परियोजना के लिए अपनी जमीन तक दे दी, लेकिन नहर का पानी खेतों के स्तर से इतना नीचे होता है कि बरसात के दिनों में भी किसान उसका पानी इस्तेमाल नहीं कर पाते.

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उद्योगपतियों को हो रहा फायदा: पर्यावरणविद्

Raigarh Kelo project
केलो परियोजना

समाजसेवी और पर्यावरणविद् राजेश त्रिपाठी बताते हैं कि ये परियोजना भले ही किसानों और उद्योगपतियों दोनों के लिए बनाई गई है, लेकिन इसका फायदा केवल उद्योगपतियों को हो रहा है. लगभग 500 करोड़ रुपए में शुरू हुई इस योजना में अब तक करीब 1400 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं.

10 प्रतिशत काम बाकी: पीके शुक्ला

केलो परियोजना के कार्यपालन अभियंता पीके शुक्ला बताते हैं कि इस योजना के तहत बने केलो डैम में 76 मिलियन क्यूबिक मीटर जल संग्रहण करने की सामान्य क्षमता है. जिसमें से 62 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी सिंचाई के लिए सुरक्षित रहता है. योजना के तहत किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए 28 किलोमीटर के मुख्य नहर का काम पूरा हो चुका है. इसके अलावा जो सिंचाई के लिए सहायक नहर है, उनमें लगभग 10 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. पीके शुक्ला बताते हैं कि वर्तमान में 42 गांवों में सिंचाई हो रही है. लगभग 891 करोड़ रुपए की लागत से पूरी योजना तैयार की गई है, जिसमें से 76 करोड़ रुपए का काम अभी बाकी है. इस योजना से रायगढ़ जिले के 167 गांव और जांजगीर जिले के 8 गांवों को सीधा फायदा मिलेगा.

Raigarh Kelo project
केलो बांध
Last Updated : Jun 13, 2020, 1:26 PM IST
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