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फड़ मुंशी की मनमानी से किसान परेशान, वापस लेकर जाना पड़ रहा धान

पखांजूर में किसानों की परेशानी कम होती नजर नहीं आ रही है, पहले किसानों को बेमौसम बारिश की मार झेलनी पड़ी तो अब धान की बिक्री को लेकर अन्नदाता परेशान है. वहीं फड़ संचालक की मनमानी के कारण किसान काफी परेशान हैं.

मुंशी की मनमानी पर लगाम कब
मुंशी की मनमानी पर लगाम कब
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Published : Dec 18, 2019, 3:56 PM IST

Updated : Dec 18, 2019, 4:17 PM IST

कांकेर: किसानों के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई जैसे हालत बन गए हैं. किसान इस समय अपने धान को लेकर भारी परेशानियों से गुजर रहे हैं. किसानों को पहले बेमौसम बारिश की मार झेलनी पड़ी, तो अब धान बिक्री की समस्या को झेल रहे हैं. किसानों के मुताबिक धान की गुणवत्ता को लेकर फड़ संचालक मनमानी कर रहे हैं. जिसकी वजह से किसान परेशान हैं.

मुंशी की मनमानी पर लगाम कब

किसानों ने बयां किया अपना दर्द
किसानों का कहना है कि 'उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर धान की फसल लगाई. वहीं अब जब धान बेचने के लिए जाते हैं, तो खराब क्वालिटी का धान कहकर फड़ मुंशी वापस कर देते हैं. ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीर साफ देखी जा सकती है, कि वो आखिर बैंक से लिया गया कर्ज और मजदूरों को कैसे भुगतान करेंगे.

किसानों को हो रहा नुकसान
निगरानी समिति और अधिकारियों की अनदेखी के कारण संचालक किसानों को परेशान कर रहे हैं. किसान किराए के वाहन से 5 से 6 किलोमीटर दूर धान लेकर आते हैं, लेकिन मुंशी की वजह से उन्हें धान को वापस ले जाना पड़ रहा है और इस वजह से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. बता दें कि खरीदी केंद्र में धान नहीं लिया जा रहा है, जिसके कारण किसानों को कोचियों के पास धान बेचना पड़ रहा है. जिससे किसानों को प्रति क्विंटल धान में 800 रुपए का नुकसान हो रहा है.

पढ़े: EXCLUSIVE: दीक्षांत समारोह स्थगित होने पर केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने छात्रों से मांगी माफी

बांदे सहकारी समिति के छोटे बेठिया धान खरीदी केंद्र में फड़ मुंशी पर किसानों ने मनमानी का आरोप लगाया है. तो वहीं अधिकारी आंख मूंदे हुए हैं, किसान धान बिक्री को लेकर रोजाना चक्कर लगा रहे हैं फिर भी सुनने वाला कोई नहीं है. किसानों के मुताबिक उनके पास कोई विकल्प नहीं है. वहीं इस मामले में फंड मुंशी का कहना है कि, किसानों का आरोप निराधार है, किसान सैंपल के लिए अच्छी गुणवत्ता वाला धान लेकर आते हैं और टोकन मिलने के बाद खराब गुणवत्ता का धान लाकर बेचने की कोशिश करते हैं, जिसकी वजह से उनके धान को रिजेक्ट कर दिया जाता है.

कांकेर: किसानों के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई जैसे हालत बन गए हैं. किसान इस समय अपने धान को लेकर भारी परेशानियों से गुजर रहे हैं. किसानों को पहले बेमौसम बारिश की मार झेलनी पड़ी, तो अब धान बिक्री की समस्या को झेल रहे हैं. किसानों के मुताबिक धान की गुणवत्ता को लेकर फड़ संचालक मनमानी कर रहे हैं. जिसकी वजह से किसान परेशान हैं.

मुंशी की मनमानी पर लगाम कब

किसानों ने बयां किया अपना दर्द
किसानों का कहना है कि 'उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर धान की फसल लगाई. वहीं अब जब धान बेचने के लिए जाते हैं, तो खराब क्वालिटी का धान कहकर फड़ मुंशी वापस कर देते हैं. ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीर साफ देखी जा सकती है, कि वो आखिर बैंक से लिया गया कर्ज और मजदूरों को कैसे भुगतान करेंगे.

किसानों को हो रहा नुकसान
निगरानी समिति और अधिकारियों की अनदेखी के कारण संचालक किसानों को परेशान कर रहे हैं. किसान किराए के वाहन से 5 से 6 किलोमीटर दूर धान लेकर आते हैं, लेकिन मुंशी की वजह से उन्हें धान को वापस ले जाना पड़ रहा है और इस वजह से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. बता दें कि खरीदी केंद्र में धान नहीं लिया जा रहा है, जिसके कारण किसानों को कोचियों के पास धान बेचना पड़ रहा है. जिससे किसानों को प्रति क्विंटल धान में 800 रुपए का नुकसान हो रहा है.

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बांदे सहकारी समिति के छोटे बेठिया धान खरीदी केंद्र में फड़ मुंशी पर किसानों ने मनमानी का आरोप लगाया है. तो वहीं अधिकारी आंख मूंदे हुए हैं, किसान धान बिक्री को लेकर रोजाना चक्कर लगा रहे हैं फिर भी सुनने वाला कोई नहीं है. किसानों के मुताबिक उनके पास कोई विकल्प नहीं है. वहीं इस मामले में फंड मुंशी का कहना है कि, किसानों का आरोप निराधार है, किसान सैंपल के लिए अच्छी गुणवत्ता वाला धान लेकर आते हैं और टोकन मिलने के बाद खराब गुणवत्ता का धान लाकर बेचने की कोशिश करते हैं, जिसकी वजह से उनके धान को रिजेक्ट कर दिया जाता है.

Intro:एंकर - किसानों के लिए परिस्थिति एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ कुआ, किसान इस समय अपने धान को लेकर भारी परेशानी से गुजर रहे है,पहले बेमौसम बारिश की मार झेलनी पड़ी तो अब धान बिक्री को झेल रहे है,धान की क्वालिटी को लेकर फड़ संचालक कर रहे है मनमानी,फड़ संचालक की मनमानी के चलते किसान परेशान,किसान बैंक से कर्ज लेकर धान की फसल लगाया अब जब धान बिक्री के लिए जाते है तो क्वलिटी खराब बोलकर फड़ मुंशी बापस कर दिया जाता है, ऐसे में किसानों के माथे में चिंता की लकीर की आखिर कैसे बैंक से लिया गया कर्ज तथा मजदूरों को कैसे भुगतान करे, संचालक द्वारा जिस प्रकार व्यवहार कर रहे है मानो इस बार धान बेचना काफी मुश्किल है, साल भर की मेहनत पर पानी फेर रहे है संचालक जबकि क्वलिटी खराब बोलकर बापस किया गया धान की क्वालिटी खराब नही है फिर भी बापस कर रहे है,निगरानी समिति या अधिकारी की अनदेखी के चलते संचालक द्वारा किसानों को परेशान किया जा रहा है, किसान 5-6 km दूर से किराया की गाड़ी में खर्च कर धान लेकर आते है फिर बापस ले जाना होता है तो भारी नुकसान भी हो रहा है।Body:खरीदी केंद्र में अगर धान नहीं बेच सका तो कोचिओ के पास बेचने पर किसानों को प्रति क्विंटल धान में 800 रुपए नुकसान हो रहा है अगर किसान मेहनत की फसल को शासन की दर एव फसल उगाने के खर्च की तुलना में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है इस बात का फायदा कोचिओ को मिल रहा है।Conclusion:बांदे सहकारी समिति के छोटेबेठिया धान खरीदी केंद्र में फड़ मुंशी की मनमानी चरम पर तो वही अधिकारी आंख मूंदे हुए है, किसान धान बिक्री को लेकर रोजाना चक्कर लगा रहे हैं फिर भी सुनने वाला कोई नही,अब किसानों के पास कोई विकल्प नही।

01.बाइट-सपन सरकार-किसान
02.बाइट-प्रशांत मंडल-किसान
03.बाइट-सविता बाकला-फड़ प्रभारी

रिपोर्टर - देबाशीष बिस्वास पखांजूर 7587849010,6266609661
Last Updated : Dec 18, 2019, 4:17 PM IST
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