कांकेर: किसानों के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई जैसे हालत बन गए हैं. किसान इस समय अपने धान को लेकर भारी परेशानियों से गुजर रहे हैं. किसानों को पहले बेमौसम बारिश की मार झेलनी पड़ी, तो अब धान बिक्री की समस्या को झेल रहे हैं. किसानों के मुताबिक धान की गुणवत्ता को लेकर फड़ संचालक मनमानी कर रहे हैं. जिसकी वजह से किसान परेशान हैं.
किसानों ने बयां किया अपना दर्द
किसानों का कहना है कि 'उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर धान की फसल लगाई. वहीं अब जब धान बेचने के लिए जाते हैं, तो खराब क्वालिटी का धान कहकर फड़ मुंशी वापस कर देते हैं. ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीर साफ देखी जा सकती है, कि वो आखिर बैंक से लिया गया कर्ज और मजदूरों को कैसे भुगतान करेंगे.
किसानों को हो रहा नुकसान
निगरानी समिति और अधिकारियों की अनदेखी के कारण संचालक किसानों को परेशान कर रहे हैं. किसान किराए के वाहन से 5 से 6 किलोमीटर दूर धान लेकर आते हैं, लेकिन मुंशी की वजह से उन्हें धान को वापस ले जाना पड़ रहा है और इस वजह से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. बता दें कि खरीदी केंद्र में धान नहीं लिया जा रहा है, जिसके कारण किसानों को कोचियों के पास धान बेचना पड़ रहा है. जिससे किसानों को प्रति क्विंटल धान में 800 रुपए का नुकसान हो रहा है.
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बांदे सहकारी समिति के छोटे बेठिया धान खरीदी केंद्र में फड़ मुंशी पर किसानों ने मनमानी का आरोप लगाया है. तो वहीं अधिकारी आंख मूंदे हुए हैं, किसान धान बिक्री को लेकर रोजाना चक्कर लगा रहे हैं फिर भी सुनने वाला कोई नहीं है. किसानों के मुताबिक उनके पास कोई विकल्प नहीं है. वहीं इस मामले में फंड मुंशी का कहना है कि, किसानों का आरोप निराधार है, किसान सैंपल के लिए अच्छी गुणवत्ता वाला धान लेकर आते हैं और टोकन मिलने के बाद खराब गुणवत्ता का धान लाकर बेचने की कोशिश करते हैं, जिसकी वजह से उनके धान को रिजेक्ट कर दिया जाता है.