रायगढ़ : लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाली बस आज सड़कों पर अकेली दौड़ रही है. कोरोना के डर से लोग बसों में यात्रा करने से बच रहे हैं. सरकार ने परिवहन सेवा के तहत सशर्त नियमों के साथ बस चलाने की अनुमति तो दे दी हैं लेकिन लोगों के जेहन में कोरोना का डर बना हुआ है. लिहाजा लोग सार्वजनिक बसों में यात्रा करने से बच रहे हैं. यही कारण है कि आम दिनों की तुलना लगभग 10% ही बसें चल रही हैं जिनमें भी यात्री नहीं मिल रहे. बसों के न चलने से बस मालिकों को काफी नुकसान का सामना करन पड़ा क्योंकि पिछले ढाई महीने से बसें खड़ी थी, अब सवारी नहीं मिलने से मुश्किलें और बढ़ गई है.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट कोरोना काल में पूरी तरह से बंद कर दिए गए थे, अब सार्वजनिक परिवहन में राहत दी गई है जिसमें यात्री बसों के परिवहन की छूट मिली है. यात्री बसों की परिवहन करने की सशर्त अनुमति मिली है जिसके अंतर्गत सोशल डिस्टेंसिंग रखने, यात्रियों को फेस मास्क और सैनिटाइजर लगवाने और उनकी यात्रा की जानकारी दर्ज करने का नियम शामिल है.
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बस संचालक शासन के सभी गाइडलाइन का पालन करते हुए बीते 2 दिनों से बस चला रहे हैं, लेकिन यात्री बसों तक नहीं पहुंच रहे हैं. लिहाजा राहत के बाद भी खाली बसें चल रही है और बस मालिकों, ड्राइवर, कंडक्टर को आर्थिक नुकसान हो रहा है. परिवहन की स्थिति का जायजा लेने ETV भारत की टीम ने ड्राइवर और बस मालिकों से बात की उनका कहना है कि परिवहन तो शुरू हो गया लेकिन डीजल का किराया भी नहीं निकल रहा है.
नियमों का हो रहा पालन
वही कंडक्टर का कहना है कि शासन के सभी नियमों को पालन कराते हुए बस चला रहे हैं, यात्रियों को पहले सैनिटाइजर लगवा रहे हैं, उनको मास्क पहनने के लिए कह रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठने की व्यवस्था की गई हैं. लेकिन लोगों के बीच कोरोना का डर बसा हुआ है इसीलिए वे यात्रा करने से बच रहे हैं.
सिर्फ 10 फीसदी बसें चल रही
बस संचालक बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान बसों की फिटनेस, इंश्योरेंस और अन्य खर्चे जारी है लेकिन आमदनी नहीं हुई. लिहाजा बस मालिक नुकसान में चल रहे हैं. पहले कभी 60-70 बस एक रूट पर चला करती थी वह केवल 10% ही चल रही हैं, जिसमें भी यात्री नहीं मिल रहे हैं. कभी-कभी बसें तो खाली चलती हैं. यात्रा करने पहुंचे एक यात्री ने बताया कि अभी पूरी बस खाली चल रही है और वे पूरी सेफ्टी के साथ यात्रा कर रहे हैं.