रायगढ़: कोरोना संकट का काला साया जहां पूरी दुनिया पर पड़ा है, तो वहीं धार्मिक स्थल भी इससे अछूते नहीं रहे. कोरोना काल ने मंदिरों के रीति-रिवाजों और नियमों में भी बदलाव ला दिए. शासन-प्रशासन ने मंदिरों के पट तो खोल दिए, लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं में कोरोना का खौफ अब भी बरकरार है. रायगढ़ और जांजगीर-चांपा के बीच बसे चंद्रपुर में स्थित मां चंद्रहासिनी के मंदिर में कभी रोजाना हजारों श्रद्धालु अपनी मन्नतें लेकर मंदिर पहुंचते थे. लेकिन मां का दरबार सूना पड़ा है और खाली पड़ी है यहां दुकान लगाकर गुजर-बसर करने वाले लोगों की जेब.
इस मंदिर में सिर्फ छत्तीसगढ़ से ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग दर्शन को आते हैं. मां चंद्रहासिनी को संतानदायिनी के नाम से भी जाना जाता है. दूर-दूर से लोग अपनी सूनी गोद लेकर मां के पास अपनी अर्जी लगाने जाते हैं, लेकिन कोरोना काल ने लोगों के आने-जाने पर भी पाबंदी लगा दी.
मंदिर परिसर के पास लगने वाली दुकानें प्रभावित
कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन में सभी धार्मिक स्थल करीब तीन महीने तक बंद रहे. इस बंद ने कई लोगों का रोजगार छीन लिया, तो वहीं कई लोग दो वक्त की रोटी के लिए भी तरस गए. चंद्रहासिनी मंदिर परिसर के आस-पास करीब 100 से 200 दुकानें लगती थीं, जो अब वापस खुल तो गई हैं. लेकिन मंदिरों में लोगों के नहीं पहुंचने से बिक्री नहीं हो रही है. पहले ही लॉकडाउन की वजह से उनकी कमाई पर विराम लग गया था. अब जैसे-तैसे सब अनलॉक हुआ फिर भी उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पाया.
दुकानदारों की कमाई ठप
मंदिर के पास कई दुकाने हैं. जिसमें खिलौने, पूजा साम्रगी, प्रसाद, कपड़े, जड़ी-बूटी सहित कई फैंसी दुकान शामिल हैं. इन सैकड़ों दुकानदारों के पीछे उनका परिवार भी है, जिनके भरण-पोषण के लिए वे दुकान की कमाई पर ही निर्भर हैं. लेकिन संक्रमण काल के इस दौर में वे भी मजबूर हैं कि आखिर किससे मदद मांगे. कई दुकानदारों ने बताया कि शासन-प्रशासन से उनको कोई मदद नहीं मिली है. अनलॉक होने के बाद भी मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या सामान्य दिनों के मुकाबले आधी से भी आधी है.
कोरोना ने छीनी फोटोग्राफर्स की मुस्कान
मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की फोटो खींचने वाले फोटोग्राफर्स भी मिले, जिन्होंने बताया कि पहले तो रोजाना 300-400 रुपये मिल जाया करते थे. लेकिन अब 20 रुपए मिल जाए तो बड़ी बात है. मंदिर में लोग नहीं आ रहे हैं, जिससे उनकी कमाई नहीं हो पा रही है. फोटोग्राफर्स ने दुख जाहिर करते हुए बताया कि घर के हालात भी बिगड़ते जा रहे हैं और अब जीवनयापन करने में मुश्किल हो रही है.
मंदिर में किया जा रहा है नियमों का पालन
मंदिर के पुजारी ने बताया कि परिसर में शासन-प्रशासन के जारी गाइडलाइन के मुताबिक सारी सावधानियां बरती जा रही हैं. लोगों को मास्क के बिना मंदिर के अंदर नहीं आने दिया जा रहा है. वहीं सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है. मंदिर गेट के बाहर एक सिक्योरिटी गार्ड है, जो अंदर आने वाले श्रद्धालुओं की थर्मल स्क्रीनिंग करता है.
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कोरोना संकट का ये दौर कब तक ठीक होगा और जन जीवन कब तक सामान्य हो पाएगा इस बारे में तो शायद कोई न बता पाए. लेकिन वर्तमान स्थिति लोगों के लिए दुखदायक है. छोटे दुकानदारों की आर्थिक स्थिति ठीक होने में कितना वक्त लगेगा ये उन्हें भी नहीं पता. सभी ने अपनी परेशानी अब भगवान भरोसे छोड़ दी है.