नारायणपुर: पिछड़े क्षेत्र में शामिल अबूझमाड़ का नाम अब देश में शान से लिया जा रहा है. यहां के बच्चे अब दूसरे राज्यों में जाकर मलखंब का बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं. मलखंब एकेडमी से प्रदर्शन लेकर जिले के 8 बच्चे बच्चे नेशनल लेवल पर 8 स्वर्ण पदक ला चुके हैं. निजी टेलीविजन चैनल पर भी अबूझमाड़ के खिलाड़ी पहली बार मलखंब का प्रदर्शन करेंगे जिसका प्रसारण 27 मार्च को होगा.
जिले में मलखंब के कोच मनोज प्रसाद जो पुलिस के जवान है. 2017 से दूरस्थ अंचल अबूझमाड़ के बच्चों को मलखंब का विशेष अभ्यास करा रहे हैं. मनोज प्रसाद ने बताया कि अबूझमाड़ के 6 से 14 साल की उम्र तक के यहां के बच्चों में गजब की प्रतिभा है. साल 2017 से रामकृष्ण मिशन आश्रम से बच्चों का प्रशिक्षण शुरू करवाया. महज 2 साल में इन बच्चों ने लकड़ी के खंभे पर बैलैंस बनाकर इस खेल में महारत हासिल कर ली. जिले के हाईस्कूल मैदान में मलखंब एकेडमी खोली गई है, जहां बच्चे लड़के, लड़कियां प्रशिक्षण ले रहे हैं.
3 तरह के होते हैं मलखंब
मनोज प्रसाद ने बताया कि मलखंब तीन प्रकार के होते हैं. पोल मलखंब, हैंगिंग मलखंब और रस्सी मलखंब. प्रशिक्षक मनोज प्रसाद ने कहा कि मजबूत शरीर के इन आदिवासी बच्चों को तराशने के लिए ओरछा पोटा केबिन, नारायणपुर पोटा केबिन, रामकृष्ण मिशन आश्रम में ट्रेनिंग दी जा रही है. लॉकडाउन के दौरान छात्रों की ट्रेनिंग नहीं हो सकी. लेकिन उन्होंने 15 बच्चों को अपने घर पर रखकर उन्हें मलखंब की ट्रेनिंग दी. हाईस्कूल मैदान में 150 बच्चों की प्रैक्टिस कराई जा रही है.
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सुबह-शाम करते हैं कठिन प्रैक्टिस
ETV भारत से बात करते हुए बच्चों ने बताया कि वे सुबह और शाम प्रैक्टिस करते हैं. कई बच्चे स्टेट खेल चुके हैं. वहीं कई बच्चों ने नेशनल में जिले और राज्य का परचम लहराया है. छात्रों ने बताया कि वे मलखंब में ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं.
कॉन्सटेबल मनोज प्रसाद दे रहे प्रशिक्षण
मलखंब के खिलाड़ी धुर नक्सल प्रभावित इलाके से आते हैं. खेल प्रशिक्षक मनोज प्रसाद ने यहां के छात्रों के हुनर और कौशल को देखते हुए उनमें मलखंब के प्रति रुचि जगाई और अब उन्हें प्रशिक्षण दे रहे हैं. मनोज प्रसाद पुलिस विभाग में कॉन्सटेबल के पद पर पदस्थ है. STF में पदस्थापना के दौरान ड्यूटी के बाद उन्हें प्रशिक्षण दिया करते थे. वर्तमान में इन्हें जिला प्रशासन और पुलिस विभाग से विशेष संरक्षण और सहयोग भी मिल रहा है.
2017 से मलखंब की प्रैक्टिस कर रहे खिलाड़ी
अबूझमाड़ के छात्र-छात्राएं नवम्बर 2017 से मलखंब की प्रैक्टिस कर रहे हैं. पोटाकेबिन देवगांव के छात्रों की टीम को पहली बार 26 जनवरी 2018 के गणतंत्र दिवस में प्रदर्शन करने का मौका मिला. उसके बाद विल्लुपुरम तमिलनाडु में आयोजित राष्ट्रीय खेल में शामिल होने का भी अवसर मिला. देवगांव के बच्चों को राष्ट्रीय ओपन मलखंब प्रतियोगिता सतारा(महाराष्ट्र), राष्ट्रीय मलखंब फेडरेशन ऑफ इंडिया नई दिल्ली, राष्ट्रीय ओपन मलखंब प्रतियोगिता गोवा, इंटर स्टेट मलखंब प्रतियोगिता अहमदाबाद और छत्तीसगढ़ में हाफ मैराथन दौड़ रायपुर में भी प्रदर्शन करने का मौका मिल चुका है.
निजी चैनल में करेंगे प्रदर्शन
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में मलखंब का स्तर राष्ट्रीय स्तर की तुलना में पहले स्थान पर है. जिले के मलखंब के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं. निजी टेलीविजन चैनल पर भी अबूझमाड़ के खिलाड़ी पहली बार मलखंब का प्रदर्शन करेंगे जिसका प्रसारण 27 मार्च को होगा. इससे पहले भी रियलिटी शो स्टार जलसा में बीते दिनों छात्रों ने प्रदर्शन दिखाया है जो कि अबूझमाड़ के लिए गर्व की बात है.
'अबूझमाड़ के लिए गर्व की बात'
कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू ने कहा कि नारायणपुर में मलखंब खेल में बच्चे बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ बच्चे मलखंब को लेकर रियाल्टी शो के माध्यम से टीवी में भी आ रहे हैं. जो कि बहुत अच्छा प्रोग्रेस हैं. इसके पीछे मलखंब कोच मनोज प्रसाद का सहयोग मिल रहा है. जिला प्रशासन की ओर से शासन को खिलाड़ियों की प्रैक्टिस के लिए एकेडमी का प्रस्ताव भेजा गया है. शासन ने इस पर मंजूरी मिलने के बाद मलखंब के क्षेत्र में नारायणपुर का नाम रोशन होगा.
भारत का पारंपरिक खेल मलखंब
मलखंब भारत के सबसे पारंपरिक खेलों में से एक है.जिसे केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है. मलखंब खेल पूरे शरीर के व्यायाम को सुनिश्चित करता है. यह एक कला के साथ-साथ एक खेल के रूप में भी माना जाता है. मलखंब का प्रदर्शन काफी कठिन है. इसके लिए काफी एकाग्रता की जरूरत है. पोल पर संतुलन बनाने के अलावा उस पर घूमना, मुड़ना जैसे काम किए जाते हैं.