नारायणपुर: अपने खेतों में महिलाएं जब यूं गुनगुनाते हुए फसलों से प्यार करती हैं, तो इनकी धरती झूम उठती है. खास बात ये है कि इन खेतों में ये फसल जैविक खाद से लहालहा रही है. एक तरफ जहां किसान रसायनिक खादों का इस्तेमाल कर मुनाफा कमाने पर जोर दे रहे हैं. वहीं नारायणपुर ऐसा जिला है, जहां के 80 फीसदी किसान जैविक खेती कर रहे हैं.
आपको ये जानकर और हैरानी होगी कि नारायणपुर के अबूझमाड़ में सौ फीसदी जैविक खेती पर निर्भर है. यहां किसान बिल्कुल भी रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं.
कैमिकल का नहीं करते हैं उपयोग
अबूझमाड़ के किसान चुनिंदा फसल ही लगाते हैं. अबूझमाड़ के जंगल, पहाड़ी और मैदानी इलाकों में धान, मक्का, कोटो, कुटकी, कोसरा, हिरवा, उड़द और जोदरी जैसी फसल किसान लगाते हैं. वहीं तुमा (देसी लौकी) झुंड़गा, देसी बरबट्टी, सेम जैसी सब्जियां भी यहां के किसान उगाते हैं. किसान अपने खेतों में बिल्कुल भी कैमिकल का उपयोग नहीं करते हैं.
जैविक खाद का सिर्फ होता है उपयोग
कृषि विभाग का कहना है कि सरकार नरवा, गरुवा, घुरुवा और बारी के तहत किसानों को कंपोस्ट खाद के इस्तेमाल की सलाह दे रही है. उन्होंने बताया कि जैविक खाद से पैदा हुई फसल और सब्जी फायदेमंद होती है. इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जा रही है. कलेक्टर ने बताया कि अबूझमाड़ में रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होता सिर्फ जैविक खाद का उपयोग होता है.
किसान घर में ही तैयार करते हैं जैविक खाद
कलेक्टर का कहना है कि 2960 किसानों का फसल बीमा हुआ था, जो पिछले साल की तुलना में ज्यादा है. नारायणपुर जिला पूरी तरह से जैविक जिला घोषित है. कृषि विभाग का कहना है कि किसान घर में ही जैविक खाद तैयार करते हैं और भरपूर उत्पादन कर रहे हैं.