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EXCLUSIVE: जहां बादशाह अकबर और अंग्रेज भी हो गए थे फेल, वहां का सर्वे कराएंगे भूपेश बघेल

लगान वसूली के लिए मुगल बादशाह अकबर ने भी छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ का सर्वे कराने का आदेश दिया था, लेकिन यहां की दुर्गम परिस्थिति के चलते वे भी इलाके का सर्वे कराने में नाकाम रहे थे. इसके बाद अंग्रेजों ने भी कई बार कोशिश की थी, लेकिन सभी नाकाम रहे.

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Published : Sep 5, 2019, 3:27 PM IST

Updated : Sep 5, 2019, 5:56 PM IST

अबूझमाड़

रायपुर: आईआईटी रुड़की की मदद से छत्तीसगढ़ सरकार अबूझमाड़ के भौगोलिक सर्वे की तैयारी कर रही है. सर्वे में इलाके का मसाहती खसरा और नक्शा तैयार किया जाएगा. इस संबंध में राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग ने नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर कलेक्टर को निर्देश जारी कर दिया है.

अबूझमाड़ का होगा सर्वे

नक्सल प्रभावित अतिसंवेदनशील इलाकों के जिन गांवों का सर्वे नहीं हुआ है, उसे सरकार ने राजस्व अभिलेख के बजाय मसाहती खसरा तैयार करने का निर्देश दिया है.


अबूझमाड़ के लोगों को मिलेगा ये लाभ

  • सरकार का दावा है कि इस सर्वे होने के बाद ग्रामीणों को विधिवत पट्टा मिल सकेगा.
  • इसके साथ ही कृषि बीमा के अलावा किसानों को मिलने वाले अन्य लाभ भी इन्हें मिल सकेगा. ये अपनी जमीन का क्रय-विक्रय भी कर सकेंगे.
  • दरअसल, अबूझमाड़ के अंदरूनी इलाके में पेंदा खेती (सामूहिक खेती) की जाती है. सर्वे के बाद व्यक्तिगत किसानी को क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा.
  • हालांकि, अबूझमाड़ के लोग व्यक्तिगत किसानी का विरोध करते हैं और पहले भी वे सरकार के इस प्रस्ताव को नहीं माने हैं.

बादशाह अकबर भी रहे नाकाम
बताते हैं, लगान वसूली के लिए बादशाह अकबर ने भी अबूझमाड़ का सर्वे कराने का आदेश दिया था, लेकिन यहां की दुर्गम परिस्थिति के चलते वे भी इलाके का सर्वे कराने में नाकाम रहे थे. इसके बाद अंग्रेजों ने भी कई बार कोशिश की थी, लेकिन सभी नाकाम रहे. इसके बाद तत्कालीन रमन सरकार ने इसरो और आईआईटी रुड़की की मदद से हवाई सर्वे कराया था, लेकिन जमीनी सर्वे नहीं हो पाया था. हालांकि रमन सरकार ने अबूझमाड़ के बाहरी जोन में बसे कुछ गांवों का सर्वे कराने में जरूर कामयाबी हासिल की थी और कई किसानों को पट्टा वितरित भी किया था, लेकिन अबूझमाड़ का कोर एरिया अभी भी लोगों की पहुंच से दूर है. बताते हैं, नक्सली यहां से अपनी गतिविधि चलाते हैं. इस नक्सलियों का सुरक्षित गढ़ भी माना जाता है. ऐसे में जमीनी सर्वे इस सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती है.

क्या है अबूझमाड़ ?
बस्तर संभाग के नारायणपुर, बीजपुर, दंतेवाड़ा के साथ महाराष्ट्र की सीमा को छूते हुए करीब 4 हजार 400 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए क्षेत्र को अबूझमाड़ कहते हैं. अबूझमाड़ में करीब 237 गांव हैं, हालांकि इन गांवों का कभी सर्वे नहीं हो पाया है. ये पूरा इलाका घनघोर जंगल और पहाड़ों से घिरा है. इसके अंदर कई नदियां, नाले और घाटी है, लेकिन वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार के पास इलाके का कोई मानचित्र नहीं है.

रायपुर: आईआईटी रुड़की की मदद से छत्तीसगढ़ सरकार अबूझमाड़ के भौगोलिक सर्वे की तैयारी कर रही है. सर्वे में इलाके का मसाहती खसरा और नक्शा तैयार किया जाएगा. इस संबंध में राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग ने नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर कलेक्टर को निर्देश जारी कर दिया है.

अबूझमाड़ का होगा सर्वे

नक्सल प्रभावित अतिसंवेदनशील इलाकों के जिन गांवों का सर्वे नहीं हुआ है, उसे सरकार ने राजस्व अभिलेख के बजाय मसाहती खसरा तैयार करने का निर्देश दिया है.


अबूझमाड़ के लोगों को मिलेगा ये लाभ

  • सरकार का दावा है कि इस सर्वे होने के बाद ग्रामीणों को विधिवत पट्टा मिल सकेगा.
  • इसके साथ ही कृषि बीमा के अलावा किसानों को मिलने वाले अन्य लाभ भी इन्हें मिल सकेगा. ये अपनी जमीन का क्रय-विक्रय भी कर सकेंगे.
  • दरअसल, अबूझमाड़ के अंदरूनी इलाके में पेंदा खेती (सामूहिक खेती) की जाती है. सर्वे के बाद व्यक्तिगत किसानी को क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा.
  • हालांकि, अबूझमाड़ के लोग व्यक्तिगत किसानी का विरोध करते हैं और पहले भी वे सरकार के इस प्रस्ताव को नहीं माने हैं.

बादशाह अकबर भी रहे नाकाम
बताते हैं, लगान वसूली के लिए बादशाह अकबर ने भी अबूझमाड़ का सर्वे कराने का आदेश दिया था, लेकिन यहां की दुर्गम परिस्थिति के चलते वे भी इलाके का सर्वे कराने में नाकाम रहे थे. इसके बाद अंग्रेजों ने भी कई बार कोशिश की थी, लेकिन सभी नाकाम रहे. इसके बाद तत्कालीन रमन सरकार ने इसरो और आईआईटी रुड़की की मदद से हवाई सर्वे कराया था, लेकिन जमीनी सर्वे नहीं हो पाया था. हालांकि रमन सरकार ने अबूझमाड़ के बाहरी जोन में बसे कुछ गांवों का सर्वे कराने में जरूर कामयाबी हासिल की थी और कई किसानों को पट्टा वितरित भी किया था, लेकिन अबूझमाड़ का कोर एरिया अभी भी लोगों की पहुंच से दूर है. बताते हैं, नक्सली यहां से अपनी गतिविधि चलाते हैं. इस नक्सलियों का सुरक्षित गढ़ भी माना जाता है. ऐसे में जमीनी सर्वे इस सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती है.

क्या है अबूझमाड़ ?
बस्तर संभाग के नारायणपुर, बीजपुर, दंतेवाड़ा के साथ महाराष्ट्र की सीमा को छूते हुए करीब 4 हजार 400 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए क्षेत्र को अबूझमाड़ कहते हैं. अबूझमाड़ में करीब 237 गांव हैं, हालांकि इन गांवों का कभी सर्वे नहीं हो पाया है. ये पूरा इलाका घनघोर जंगल और पहाड़ों से घिरा है. इसके अंदर कई नदियां, नाले और घाटी है, लेकिन वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार के पास इलाके का कोई मानचित्र नहीं है.

Intro:रायपुर. आईआईटी रुढ़की की मदद से छत्तीसगढ़ सरकार ने अबूझमाढ़ के सर्वे की तैयारी की है और मसाहती खसरा नक्शा तैयार करने जा रही है. इस संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार के राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग ने नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर कलेक्टर को इस संबंध में निर्देश जारी किया है. इस नक्सल प्रभावित अति संवेदनशील इलाके का जिन गांवों का सर्वे नहीं हुआ है उन्हें सरकार ने राजस्व अभिलेख के बजाए मसाहती खसरा तैयार करने का निर्देश दिया है. अबूझमाढ़ की पूरी भूमि को राजस्व भूमि मानते हुए ये सर्वे करने के लिए कहा गया है.
Body:अबूझमाढ़ियों को क्या लाभ-
सरकार का दावा है कि इस सर्वे के होने के बाद ग्रामीणों को विधिवत पट्टा मिल सकेगा इसके साथ ही कृषि बीमा के अलावा किसानों को मिलने वाले अन्य लाभ भी इन्हें मिल सकेगा. ये अपनी जमीन का क्रय-विक्रय भी कर सकेंगे. अबूझमाढ़ में के अंदरूनी इलाके में पेंदा खेती यानि सामूहिक खेत की जाती है. जबकि ये सर्वे व्यक्तिगत किसानी को बढ़ावा दे सकता है, इसका अबूझमाढ़ के लोग विरोध कर सकते हैं. क्योंकि पहले भी वे सरकार के इस तरह के प्रस्ताव को नहीं माना था
बादशाह अकबर भी रहे थे नाकाम-
लगान वसूली के लिए बादशाह अकबर ने अबूझमाढ़ का सर्वे कराने का आदेश दिया था लेकिन यहां की दुर्गम परिस्थिति के चलते वे भी नाकाम रहे थे. इसके बाद अंग्रेजों ने भी नाकाम कोशिश की। रमन सरकार ने भी इसरो और आईआईटी रुढ़की की मदद से हवाई सर्वे कराया था, लेकिन जमीनी सर्वे नहीं हो पाया था. रमन सरकार ने अबूझमाढ़ के बाहरी जोन में बसे कुछ गांवों का सर्वे कराने में जरूर कामयाबी हासिल की थी और कई किसानों को पट्टा वितरित भी किया था. लेकिन अबूढमाढ़ का कोर एरिया अब अछूता है. माना जाता है कि नक्सली यहां से अपनी गतिविधि चलाते हैं मावोवादियों का ये सुरक्षित गढ़ माना जाता है ऐसे में भी जमीनी सर्वे कराना एक बड़ी चुनौती है.

Conclusion:क्या है अबूझमाढ़-
बस्तर संभाग के नारायणपुर, बीजपुर, दंतेवाड़ा के सथा ही महाराष्ट्र की सीमा को छूता हुआ करीब 4400 वर्ग किमी में फैला हुआ क्षेत्र है, यहां करीब 237 गांव हैं लेकिन इन गांव का सर्वे नहीं हो पाया है. ये घनघोर जंगली और पहाड़ी इलाका है. इसके अंदर कई नदियां, नाले घाटी हैं, लेकिन इनका कोई मानचित्र शासन के पास नहीं है. अब देखने वाली बात होगी कि भूपेश सरकार को इस काम में कितनी कामयाबी हासिल होती है.

बाइट- पीएस एलमा, कलेक्टर, नारायणपुर
पीटीसी- आशीष तिवारी
इस खबर से जुड़ी विजुअल और बाइट की फाइल नारायणपुर से बिंदेश पात्रा ने भेजी है।
Last Updated : Sep 5, 2019, 5:56 PM IST
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