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जल-जंगल-जमीन की लड़ाई: पारंपरिक हथियारों के साथ आंदोलन करने निकले हजारों आदिवासी - नारायणपुर की आमादई खदान

नारायणपुर में आदिवासियों ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. आदिवासी जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने आमादई खदान को निक्को कंपनी को लीज पर देने को लेकर मोर्चा खोल दिया है. साथ ही 6 आदिवासियों की जेल से रिहाई की मांग कर रहे हैं.

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पारंपरिक हथियार के साथ लड़ने निकले हजारों आदिवासी
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Published : Dec 3, 2020, 8:44 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 9:36 PM IST

नारायणपुर: बस्तर के आदिवासी एक बार फिर जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. नारायणपुर में हजारों की संख्या में ग्रामीण सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. आदिवासियों ने आंदोलन आगामी 17 दिसंबर तक जारी रखने का दावा किया है. आंदोलन में गुरूवार को लगभग 6 हजार से अधिक की संख्या में आदिवासी मौजूद रहे. आदिवासियों ने आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध शुरू किया है.

हथियारों के साथ आंदोलन करने निकले हजारों आदिवासी

नारायणपुर के धौड़ाई के पास हजारों की संख्या में आदिवासी मौजूद हैं. घने जंगलों के बीच पारंपरिक हथियारों के साथ महिला और पुरुष आदिवासी धरने पर बैठे हैं. आदिवासी जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए धौड़ाई के पास रोड बंद कर दिए हैं, जिसके कारण नारायणपुर से आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

दुपहिया और अन्य वाहनों का आवागमन बाधित

Bastar tribals are on strike against government in Amadai mine case in narayanpur
आदिवासी आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध शुरू किया

आदिवासियों का कहना कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे जंगल से नहीं हटेंगे. इतना ही नहीं 17 दिसंबर तक के लिए आदिवासी राशन-पानी भी अपने साथ लेकर आए हैं. आदिवासियों ने कहा कि जरूरी सेवाओं को छोड़कर किसी भी प्रकार के दोपहिया और अन्य वाहनों का आवागमन बर्दाश्त नहीं करेंगे. साथ ही सप्ताहिक छोटे डोंगर बाजार भी पूरी तरह बंद रहा. इस दौरान आदिवासियों ने बंद रोड़ के बीच एंबुलेंस को रास्ता दिया.

आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध प्रदर्शन

Bastar tribals are on strike against government in Amadai mine case in narayanpur
आदिवासियों ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोला

बस्तर संभाग के सातों जिले के आदिवासी हड़ताल पर मौजूद हैं. आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध शुरू किया है. इसके अलावा गांव के 6 लोगों को नक्सली मामले में फंसाने को लेकर भी आदिवासियों में नाराजगी देखी जा रही है. हालांकि प्रशासन ने इन्हें गांव में वापस लौटने की समझाइश दी, लेकिन ग्रामीण किसी से भी चर्चा करने को राजी नहीं हैं. लिहाजा राशन पानी लेकर बीच जंगल में आदिवासियों ने डेरा डाल दिया है.

आमादई खदान को लीज पर दी सरकार

दरअसल, नारायणपुर जिले के आमादई खदान को लीज पर सरकार ने दी है. निक्को कंपनी जल्द ही खदान शुरू करने की तैयारी कर रही है. ऐसे में आदिवासियों ने खदान शुरू होने से इलाके को नुकसान होने का अंदेशा जाहिर किया है. अब आदिवासियों ने खदान का विरोध शुरू कर दिया है. आंदोलनरत आदिवासियों का कहना है कि खदान के शुरू होने से उनके जल, जंगल और जमीन को भारी नुकसान होगा. वे अपनी धरती को भगवान की तरह मानते हैं. ऐसे में निजी कंपनी के दखल से उनका इलाका सुरक्षित नहीं रहेगा.

आदिवासी हजारों की संख्या में आंदोलन कर रहे

अबूझमाड़ इलाके के छोटे डोंगर से शुरू हुई ग्रामीणों की रैली मुख्य मार्ग से होते हुए धौड़ाई तक पहुंची है. सभी ग्रामीण दौड़ाई के जंगलों में धरने पर बैठ गए हैं. आंदोलन में महिला, बुजुर्ग, बच्चे आगामी 17 दिसंबर तक धरने पर बैठे हैं. आदिवासियों का कहना है कि हमारी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक हम हजारों की संख्या में धरना देंगे. रास्ता रोकेंगे. आगे बढ़ते जाएंगे.

निक्को कंपनी को खदान देने को लेकर आंदोलन

आंदोलनरत आदिवासियों को तहसीलदार और टीआई लेवल के अधिकारी समझाने पहुंचे थे. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि उनसे बात करने नहीं आएगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. आदिवासियों की मांग है कि निक्को कंपनी को खदान न दिया जाए. साथ ही जिन 6 लोगों को नक्सली बताकर जेल में डाला गया है, उन्हें तत्काल रिहा किया जाए. मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन जारी रहेगा.

नारायणपुर: बस्तर के आदिवासी एक बार फिर जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. नारायणपुर में हजारों की संख्या में ग्रामीण सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. आदिवासियों ने आंदोलन आगामी 17 दिसंबर तक जारी रखने का दावा किया है. आंदोलन में गुरूवार को लगभग 6 हजार से अधिक की संख्या में आदिवासी मौजूद रहे. आदिवासियों ने आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध शुरू किया है.

हथियारों के साथ आंदोलन करने निकले हजारों आदिवासी

नारायणपुर के धौड़ाई के पास हजारों की संख्या में आदिवासी मौजूद हैं. घने जंगलों के बीच पारंपरिक हथियारों के साथ महिला और पुरुष आदिवासी धरने पर बैठे हैं. आदिवासी जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए धौड़ाई के पास रोड बंद कर दिए हैं, जिसके कारण नारायणपुर से आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

दुपहिया और अन्य वाहनों का आवागमन बाधित

Bastar tribals are on strike against government in Amadai mine case in narayanpur
आदिवासी आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध शुरू किया

आदिवासियों का कहना कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे जंगल से नहीं हटेंगे. इतना ही नहीं 17 दिसंबर तक के लिए आदिवासी राशन-पानी भी अपने साथ लेकर आए हैं. आदिवासियों ने कहा कि जरूरी सेवाओं को छोड़कर किसी भी प्रकार के दोपहिया और अन्य वाहनों का आवागमन बर्दाश्त नहीं करेंगे. साथ ही सप्ताहिक छोटे डोंगर बाजार भी पूरी तरह बंद रहा. इस दौरान आदिवासियों ने बंद रोड़ के बीच एंबुलेंस को रास्ता दिया.

आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध प्रदर्शन

Bastar tribals are on strike against government in Amadai mine case in narayanpur
आदिवासियों ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोला

बस्तर संभाग के सातों जिले के आदिवासी हड़ताल पर मौजूद हैं. आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध शुरू किया है. इसके अलावा गांव के 6 लोगों को नक्सली मामले में फंसाने को लेकर भी आदिवासियों में नाराजगी देखी जा रही है. हालांकि प्रशासन ने इन्हें गांव में वापस लौटने की समझाइश दी, लेकिन ग्रामीण किसी से भी चर्चा करने को राजी नहीं हैं. लिहाजा राशन पानी लेकर बीच जंगल में आदिवासियों ने डेरा डाल दिया है.

आमादई खदान को लीज पर दी सरकार

दरअसल, नारायणपुर जिले के आमादई खदान को लीज पर सरकार ने दी है. निक्को कंपनी जल्द ही खदान शुरू करने की तैयारी कर रही है. ऐसे में आदिवासियों ने खदान शुरू होने से इलाके को नुकसान होने का अंदेशा जाहिर किया है. अब आदिवासियों ने खदान का विरोध शुरू कर दिया है. आंदोलनरत आदिवासियों का कहना है कि खदान के शुरू होने से उनके जल, जंगल और जमीन को भारी नुकसान होगा. वे अपनी धरती को भगवान की तरह मानते हैं. ऐसे में निजी कंपनी के दखल से उनका इलाका सुरक्षित नहीं रहेगा.

आदिवासी हजारों की संख्या में आंदोलन कर रहे

अबूझमाड़ इलाके के छोटे डोंगर से शुरू हुई ग्रामीणों की रैली मुख्य मार्ग से होते हुए धौड़ाई तक पहुंची है. सभी ग्रामीण दौड़ाई के जंगलों में धरने पर बैठ गए हैं. आंदोलन में महिला, बुजुर्ग, बच्चे आगामी 17 दिसंबर तक धरने पर बैठे हैं. आदिवासियों का कहना है कि हमारी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक हम हजारों की संख्या में धरना देंगे. रास्ता रोकेंगे. आगे बढ़ते जाएंगे.

निक्को कंपनी को खदान देने को लेकर आंदोलन

आंदोलनरत आदिवासियों को तहसीलदार और टीआई लेवल के अधिकारी समझाने पहुंचे थे. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि उनसे बात करने नहीं आएगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. आदिवासियों की मांग है कि निक्को कंपनी को खदान न दिया जाए. साथ ही जिन 6 लोगों को नक्सली बताकर जेल में डाला गया है, उन्हें तत्काल रिहा किया जाए. मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन जारी रहेगा.

Last Updated : Dec 3, 2020, 9:36 PM IST
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