नारायणपुरः जिले में जल, जंगल और जमीन (water, forest and land) को लेकर अबूझमाड़ के ग्रामीण फिर से लामबंद होते दिख रहे हैं. इस बार नेशनल हाईवे के सड़क को लेकर अबूझमाड़ में आग सुलग रही है. नेशनल हाईवे के सर्वे (national highway survey) में 12 पीढ़ी से चली आ रही ग्रामीणों का देव स्थल प्रभावित हो रहा है.
अबूझमाड़ के ताडोनार में बांस के घने जंगलों को यहां के ग्रामीण अपना देव स्थल मानते हैं. देव कार्यों के लिए यहां के बांस का उपयोग किया जाता है. यहां के बांस से जात्रा में देव ध्वज लगाया जाता है. जिसे देव डांग कहा जाता है. रविवार को इस ग्राम सभा मे तीन परगना के दर्जनों गांवों के हजारों ग्रामीण पारम्परिक हथियार के साथ मौजूद थे.
देव डांग को गायता की अनुमति के बगैर काटने से देव प्रकोप होता है. जंगल को लेकर ग्रामीणों की आस्था कई पीढ़ियों से चली आ रही है. जिसे संरक्षण किया गया है. केवल देव की अनुमति पर ही काटा जाता है. बांस को लेकर इन ग्रामीणों की मान्यता है कि बांस के पेड़ों की कटाई होने से इनके 14 कुल के देवता नाराज़ हो जाएंगे. जिसके प्रकोप से गांव में संकट के बादल मंडराने लगेंगे. इससे गांवों के कई ग्रामीणों की मौते भी हो सकती है.
देव स्थल को सुरक्षित रखने के लिए ग्रामीणों के द्वारा पेशा कानून की दुहाई दी जा रही है. वहीं, ग्रामीणों के द्वारा अबूझमाड़ में मूलभूत सुविधाओं की कमी होने की बात कहते हुए सड़क से पहले डॉक्टर और टीचरों की पदस्थापना करने की मांग की जा रही है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार पहले गांव में डॉक्टर और टीचरों को भेजें उसके बाद सड़कों के बारे में सोचे.
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किया ग्राम सभा का आयोजन
नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके के कुतुल, कलमानार, नेलनार, नेडनार, मुरनार, मोहंदी, हिकपाड़, धुरबेड़ा, इरकभट्टी, पोकानार समेत दर्जनों गांव के ग्रामीणों के द्वारा सर्व समाज के बैनर तले ताडोनार में अपनी व्यवस्था के तहत ग्राम सभा का आयोजन किया गया. जिममें निर्णय लिया गया कि गांव के गायता, पुजारी, मांझी, मुखिया, पंच और सरपंच की अनुमति के बगैर देव स्थल में कदम तक रखने नहीं देंगे. नारायणपुर पांचवीं अनुसूची क्षेत्र अंतर्गत आता है जिसका पालन होना चाहिए. ग्रामीणों ने देव स्थल को बचाने का संकल्प लेते हुए कहा कि सरकार को सड़क निर्माण करने से पहले ग्रामीणों की इच्छाओं को ध्यान में रखना चाहिए.