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मुंगेली: अस्पताल प्रबंधन ने बुजुर्ग को तिल-तिल कर मरने के लिए छोड़ दिया

प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे तो किए जाते हैं, लेकिन सरकारी दावों की असल हकीकत क्या है यह लोरमी के सरकारी अस्पताल के इस कारनामें के बारे में जानकर आपको बखूबी लग जाएगा.

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Published : Jul 7, 2019, 3:45 PM IST

बुजुर्ग का शव

मुंगेली: लोरमी के सरकारी अस्पताल में एक बुजुर्ग की मौत सिर्फ इस वजह से हो गई कि उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था. अस्पताल प्रबंधन ने बुजुर्ग का इलाज करने के बजाए उसे बंद हो चुके अस्पताल में भगवान भरोसे छोड़ दिया.

अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही

लावारिश हालत में पड़ा रहा शव
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही यही नहीं रुकी. मृतक बुजुर्ग के शव को जमीन पर यूंही घंटों छोड़ दिया गया. इस दौरान शव अस्पताल लावारिश हालत में काफी देर तक लावारिश हालत में पड़ा रहा.

कांग्रेस के नेताओं ने कराया अंतिम संस्कार
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही जग जाहिर होने के बाद अधिकारी बचाव में बेतुके बयानों का सहारा ले रहे हैं. मीडिया के दखल के बाद शव का सामाजिक संगठनों और कांग्रेस के नेताओं की मदद से अंतिम संस्कार किया गया.

इलाज के लिए हुआ था भर्ती
लोरमी के लाखासार गांव में रहने वाले 62 साल के रमेश वैष्णव बीते कुछ दिनों से बीमार थे. परिवार छोड़कर अकेले रह रहे रमेश इलाज के लिए लोरमी के 50 बिस्तर वाले सरकारी अस्पताल में भर्ती हुए.

प्रबंधन ने शव को बरामदे में लाकर छोड़ दिया
4 दिनों तक इलाज करने के बाद रमेश को अस्पताल प्रबंधन की ओर से रमेश को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे मौजूद बरामदे में लाकर छोड़ दिया गया. यहां न तो समय पर उसका इलाज ही किया गया और न ही उसे खाने-पीने के लिए कुछ दिया गया. दो दिनों से भूखे प्यासे रमेश ने शनिवार को आखिरकार दम तोड़ दिया.

परिजन का होता रहा इंतजार
रमेश की लाश को अस्पताल प्रबंधन खुले बरामदे में जमीन पर छोड़ कर घंटो उसके परिजनों के आने का इंतेजार करता रहा. सामाजिक रुप से बहिष्कार का दंश झेल रहे इस बुजुर्ग को लेने न तो परिवार के लोग आए औऱ न ही अस्पताल प्रबंधन ने उसके अंतिम संस्कार की, कोई व्यवस्था की. इस लापरवाही को लेकर जब लोरमी के बीएमओ से बात की गई तो, उनका हैरान करने वाला बयान सामने आया.

BMO ने दिया ये तर्क
लोरमी BMO डॉ. जीएस दाउ के मुताबिक मरीज के नये अस्पताल में गंदगी करने की वजह से उसे बंद पड़े अस्पताल में लाया गया था. हालांकि बीएमओ खुद ही ये बात मान रहे हैं कि मरीज को किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं थी.

कांग्रेस नेताओं ने कराया अंतिम संस्कार
मामले की भनक मीडिया को लगने के बाद समाजसेवी संगठन और कांग्रेस नेता भी अस्पताल पहुंच गए. जिसके बाद पुलिस की मदद से मुक्तिधाम स्वच्छता समिति और कांग्रेस नेताओें नें शव का अंतिम संस्कार किया.

संवेदनहीन अस्पताल प्रबंधन
पुरे मामले ने लोरमी के सरकारी अस्पताल में डाक्टरों की लापरवाही को सामने लाकर रख दिया है. जिस प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री इतने संवेदनशील हैं कि अपने निजी खर्च से अस्पतालों में एसी लगवा देते हैं. महकमे के जिम्मेदार चिकित्सक सिर्फ इस वजह से एक बुजुर्ग को मरने के लिए छोड़ देते हैं क्यूंकि वो अस्पताल में गंदगी फैला रहा था और उसकी देख-रेख करने वाला कोई नहीं था.

कार्रवाई का इंतजार
अब देखने यह है कि मामले के खुलासे के बाद बुजुर्ग की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर किस तरह की कार्रवाई होती है.

मुंगेली: लोरमी के सरकारी अस्पताल में एक बुजुर्ग की मौत सिर्फ इस वजह से हो गई कि उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था. अस्पताल प्रबंधन ने बुजुर्ग का इलाज करने के बजाए उसे बंद हो चुके अस्पताल में भगवान भरोसे छोड़ दिया.

अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही

लावारिश हालत में पड़ा रहा शव
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही यही नहीं रुकी. मृतक बुजुर्ग के शव को जमीन पर यूंही घंटों छोड़ दिया गया. इस दौरान शव अस्पताल लावारिश हालत में काफी देर तक लावारिश हालत में पड़ा रहा.

कांग्रेस के नेताओं ने कराया अंतिम संस्कार
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही जग जाहिर होने के बाद अधिकारी बचाव में बेतुके बयानों का सहारा ले रहे हैं. मीडिया के दखल के बाद शव का सामाजिक संगठनों और कांग्रेस के नेताओं की मदद से अंतिम संस्कार किया गया.

इलाज के लिए हुआ था भर्ती
लोरमी के लाखासार गांव में रहने वाले 62 साल के रमेश वैष्णव बीते कुछ दिनों से बीमार थे. परिवार छोड़कर अकेले रह रहे रमेश इलाज के लिए लोरमी के 50 बिस्तर वाले सरकारी अस्पताल में भर्ती हुए.

प्रबंधन ने शव को बरामदे में लाकर छोड़ दिया
4 दिनों तक इलाज करने के बाद रमेश को अस्पताल प्रबंधन की ओर से रमेश को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे मौजूद बरामदे में लाकर छोड़ दिया गया. यहां न तो समय पर उसका इलाज ही किया गया और न ही उसे खाने-पीने के लिए कुछ दिया गया. दो दिनों से भूखे प्यासे रमेश ने शनिवार को आखिरकार दम तोड़ दिया.

परिजन का होता रहा इंतजार
रमेश की लाश को अस्पताल प्रबंधन खुले बरामदे में जमीन पर छोड़ कर घंटो उसके परिजनों के आने का इंतेजार करता रहा. सामाजिक रुप से बहिष्कार का दंश झेल रहे इस बुजुर्ग को लेने न तो परिवार के लोग आए औऱ न ही अस्पताल प्रबंधन ने उसके अंतिम संस्कार की, कोई व्यवस्था की. इस लापरवाही को लेकर जब लोरमी के बीएमओ से बात की गई तो, उनका हैरान करने वाला बयान सामने आया.

BMO ने दिया ये तर्क
लोरमी BMO डॉ. जीएस दाउ के मुताबिक मरीज के नये अस्पताल में गंदगी करने की वजह से उसे बंद पड़े अस्पताल में लाया गया था. हालांकि बीएमओ खुद ही ये बात मान रहे हैं कि मरीज को किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं थी.

कांग्रेस नेताओं ने कराया अंतिम संस्कार
मामले की भनक मीडिया को लगने के बाद समाजसेवी संगठन और कांग्रेस नेता भी अस्पताल पहुंच गए. जिसके बाद पुलिस की मदद से मुक्तिधाम स्वच्छता समिति और कांग्रेस नेताओें नें शव का अंतिम संस्कार किया.

संवेदनहीन अस्पताल प्रबंधन
पुरे मामले ने लोरमी के सरकारी अस्पताल में डाक्टरों की लापरवाही को सामने लाकर रख दिया है. जिस प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री इतने संवेदनशील हैं कि अपने निजी खर्च से अस्पतालों में एसी लगवा देते हैं. महकमे के जिम्मेदार चिकित्सक सिर्फ इस वजह से एक बुजुर्ग को मरने के लिए छोड़ देते हैं क्यूंकि वो अस्पताल में गंदगी फैला रहा था और उसकी देख-रेख करने वाला कोई नहीं था.

कार्रवाई का इंतजार
अब देखने यह है कि मामले के खुलासे के बाद बुजुर्ग की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर किस तरह की कार्रवाई होती है.

Intro:मुंगेली- प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे तो किये जाते हैं।लेकिन सरकारी दावों के असल हकीकत क्या है ये दिखाई दिया लोरमी के सरकारी अस्पताल में। जी हां लोरमी के सरकारी अस्पताल में एक बुजुर्ग की मौत सिर्फ इस वजह से हो गई कि क्यूंकि देखभाल करनें वाला कोई नही था। अस्पताल प्रबंधन नें बुजुर्ग का इलाज करनें के बजाये उसे बंद हो चुके अस्पताल में भगवान भरोसे छोड़ दिया गया। लापरवाही यहीं नही रुकी मृतक बुजुर्ग के शव को जमीन पर यूंही घंटों बाहर छोड़ दिया। इस दौरान शव अस्पताल के बाहर बरामदे में लावारिस पड़ा रहा। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर होनें के बाद अब अधिकारी अपनें बचाव में बेतुके बयानों का सहारा ले रहे हैं। वहीं मीडिया के दखल के बाद शव का सामाजिक संगठनों और कांग्रेसी नेताओं के सहयोग से अंतिम संस्कार किया गया। Body:वीओ-1- धऱती के भगवान की शर्मनाक करतूत,,,फिर शर्मसार हुई मानवता,,,इलाज की जगह दे दी मौत,,,घूट-घूट के दम तोड़ा बुजुर्ग नें,,,,मामला लोरमी इलाके का है। यहां के सरकारी अस्पताल में शनिवार को जो देखनें को मिला। उसे प्रदेश के स्वास्थ्य महकमें को कटघरे में खड़ा कर दिया है। मामला एक बुजुर्ग की मौत से जुड़ा है। दरअसल लोरमी के लाखासार गांव में रहने वाला 62 वर्षीय रमेश वैष्णव बीते कुछ दिनों से बीमार था। ऐसे में परिवार छोड़कर अकेले रह रहा रमेश इलाज के लिए लोरमी के 50 बिस्तर सरकारी अस्पताल में दाखिल हुआ। 4 दिनों तक इलाज चलनें के बाद रमेश को अस्पताल प्रबंधन के द्वारा पुरानें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे स्थित बरामदे में लाकर छोड़ दिया गया। यहां तो ना तो समय पर उसका इलाज ही किया गया और नही उसे खानें-पीनें के लिए कुछ उपलब्ध कराया गया। दो दिनों से भूखे प्यासे रमेश नें शनिवार को दम तोड़ दिया। रमेश की लाश को अस्पताल प्रबंधन नें खुले बरामदे पर जमीन पर छोड़ कर घंटो उसके परिजनों के आनें का इंतेजार करते रहे। सामाजिक रुप से बहिष्कार का दंश झेल रहे इस बुजुर्ग को लेनें ना तो परिवार के लोग आये औऱ ना ही अस्पताल प्रबंधन नें ही कोई व्यवस्था की। इस पूरे लापरवाही को लेकर जब लोरमी के बीएमओ से बात की गई तो हैरान करनें वाला बयान सामनें आया। लोरमी बीएमओ डा जीएस दाउ के मुताबिक मरीज के द्वारा नये अस्पताल में गंदगी करनें के चलते उसे इस बंद पड़े अस्पताल में लाया गया। हालांकि बीएमओ खुद ही ये बात मान रहे हैं कि मरीज को किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नही थी।
बाइट-1-डा.जीएस दाउ (बीएमओ,लोरमी)...(कुर्सी में बैठे हुए)

वीओ-2- वहीं मानवता को शर्मसार करनें वाली ये घटना पुरे लोरमी नगर में आग की तरह फैल गई। जिसके बाद मीडिया के पहुंचते ही समाजसेवी संगठन औऱ कांग्रेसी नेता भी अस्पताल पहुंच गये। जिसके बाद पुलिस की मदद से मुक्तिधाम स्वच्छता समिति औऱ कांग्रेसी नेताओें नें शव का अंतिम संस्कार किया।

बाइट-2-शैलेंद्र जायसवाल (समाजसेवी)

Conclusion: वीओ-3- पुरे मामले में लोरमी के सरकारी अस्पताल में डाक्टरों की लापरवाही की पोल खोलकर रख दी है। जिस प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री इतनें संवेदनशील है कि जो अपनें निजी पैसों से अस्पतालों में एसी तक लगा रहे हैं। उस महकमें के जिम्मेदार चिकित्सक सिर्फ इस वजह से एक बुजुर्ग को मरनें के लिए छोड़ देते हैं क्यूंकि वो अस्पताल में गंदगी फैला रहा था और उसकी देखरेख करनें वाला कोई नही था। देखना है पुरे मामले के खुलासे के बाद जिम्मेदार लोगों पर किस तरह की कार्रवाई होती है।
रिपोर्ट-शशांक दुबे,ईटीवी भारत मुंगेली
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