मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : मनेंद्रगढ़ विधानसभा कोरबा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. विधानसभा की सीमा मध्यप्रदेश से लगती है.इस क्षेत्र में ज्यादातर कोल माइंस हैं.जहां पर कोल श्रमिक काम करते हैं.लेकिन मनेंद्रगढ़ विधानसभा का आधा हिस्सा चिरमिरी क्षेत्र में आता है.इस विधानसभा की भौगोलिक तस्वीर की बात करें तो दो क्षेत्र एक दूसरे से 30 किलोमीटर दूर हैं.बावजूद इसके दोनों जगहों को मतदाता मनेंद्रगढ़ विधानसभा के लिए मतदान करते हैं.इस बार इस विधानसभा से बीजेपी ने पूर्व विधायक श्याम बिहारी जायसवाल को मैदान में उतारा है.वहीं कांग्रेस ने मौजूदा विधायक विनय जायसवाल का टिकट काटकर रमेश सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है.
क्या है मतदाताओं की स्थिति ? : मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट मे 1 लाख 34 हजार 752 मतदाता हैं. इमने 68 हजार 042 पुरुष मतदाता और 66 हजार 708 महिला मतदाता हैं. जिसमें एक हजार के करीब दिव्यांग मतदाता समेत दो थर्ड जेंडर भी शामिल हैं.
साल 2018 के नतीजे : मनेंद्रगढ़ विधानसभा का साल 2018 चुनाव कांग्रेस के पक्ष में रहा.जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी विनय जायसवाल ने बीजेपी के श्याम बिहारी जायसवाल को 4068 वोटों से मात दी. विनय जायसवाल को 35819 मत मिले थे. जबकि श्यामबिहारी को 31745 मत हासिल हुए थे. वहीं जोगी कांग्रेस के लखनलाल श्रीवास्तव 12 हजार मतों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे.
मनेंद्रगढ़ विधानसभा का इतिहास : 1951 से 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. जबकि 1977 में हुए चुनाव में इस सीट पर जयप्रकाश नारायण की पार्टी जेएनपी के राम सिंह ने पहली बार कांग्रेस को इस सीट पर हराया. अविभाजित मध्यप्रदेश में इस सीट पर बीजेपी ने पहली बार 1990 में जीत दर्ज की थी. उस समय बीजेपी के चंद्र प्रकाश सिंह ने करीब साढ़े उन्नीस हजार वोट से कांग्रेस के विजय सिंह को हराया था. लेकिन अगले ही चुनाव में बीजेपी यहां से चुनाव हार गई.1993 और 1998 के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा.
2008 और 2013 में बीजेपी के पक्ष में जनता : साल 2000 में जब मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ का गठन हुआ तो यहां के राजनीतिक समीकरण भी बदल गए. राज्य बनने के बाद चार चुनाव में दो बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस ने मनेन्द्रगढ़ सीट पर जीत दर्ज की. राज्य बनने के बाद 2003 में पहली बार इस सीट पर आम चुनाव हुए. पहली बार में कांग्रेस के गुलाब सिंह ने जीत दर्ज की. उसके बाद 2008 में जब पहली बार सीट सामान्य हुई तो इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया.2008 में दीपक पटेल तो 2013 में श्यामबिहारी जायसवाल ने जीत हासिल की.
2018 में नजदीकी मुकाबले में हारी बीजेपी : लेकिन 2018 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के डॉ विनय जायसवाल ने जीत दर्ज की और बीजेपी के सिटिंग एमएलए श्याम बिहारी जायसवाल को हार का सामना करना पड़ा. छत्तीसगढ़ बनने के बाद कांग्रेस के लिए सुरक्षित माने जाने वाली मनेन्द्रगढ़ सीट पर अब कांटे की टक्कर होती है.यही वजह है कि कांग्रेस की परंपरागत सीट में दो बार बीजेपी ने जीत हासिल की है.
बयानों की वजह से सुर्खियों में रहे कांग्रेस विधायक : मनेंद्रगढ़ विधानसभा के विधायक कभी खेत में उतरकर किसानों के साथ हल चलाते दिखते है. तो कभी एसईसीएल के कर्मचारी और सफाई ठेकेदार को उल्टा लटकाने की धमकी देते हैं. वहीं मौजूदा समय में समाजसेवी ने कांग्रेस विधायक पर फर्जी डिग्री हासिल करने का आरोप लगाया है.जिसका असर टिकट वितरण पर भी पड़ सकता है.
कांग्रेस की तरफ से कौन हो सकता है दावेदार : विनय जायसवाल के अलावा इस विधानसभा सीट से पूर्व महापौर डमरुधर रेड्डी, अशोक श्रीवास्तव, रमेश सिंह और बड़कू भैया का नाम सामने आ रहा है.चिरमिरी और मनेंद्रगढ़ दो अलग-अलग क्षेत्र होने के कारण दोनों ही जगहों के प्रत्याशी इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश करते हैं.इस बार कांग्रेस की सरकार है ऐसे में मौजूदा विधायक की दावेदारी को नकारकर नया प्रत्याशी चुनना आसान काम नहीं होगा.
बीजेपी में कौन दावेदार : वहीं बीजेपी की ओर से पूर्व विधायक श्यामबिहारी जायसवाल का नाम सबसे ऊपर है. इसके बाद गोमती त्रिवेदी और अभय जायसवाल ने भी अपनी दावेदारी पेश करने का मन बनाया है.लेकिन इस विधानसभा में बीजेपी ने हर बार आंतरिक सर्वे के बाद ही प्रत्याशी चुनती है.लिहाजा इस बार भी बीजेपी सर्वे में सबसे ऊपर रहने वाले प्रत्याशी को मौका देगी.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी दौड़ में : मनेंद्रगढ़ विधानसभा में जहां कांग्रेस बीजेपी में सीधी टक्कर होती है.वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी हर बार अपना प्रत्याशी चुनाव में उतारती है. हर बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का वोट परसेंटेज बढ़ा है. ऐसे में गोंगपा को कमतर नहीं आंका जा सकता.
मनेंद्रगढ़ विधानसभा का जातिगत समीकरण :मनेंद्रगढ़ विधानसभा में सभी जाति के लोग रहते हैं. जायसवाल,बनिया, उरांव केवट, कायस्थ,गुप्ता,आदिवासी, विश्वकर्मा,पंडित, राजपूत, हरिजन,गोड़, उरांव,सिख और मुस्लिम.लेकिन इस विधानसभा में सामान्य वर्ग के वोटर्स ज्यादा हैं.इसलिए राजनीतिक दल ऐसे प्रत्याशी को टिकट देती है जिसकी हर समाज में पूछ परख होती है.
मनेंद्रगढ़ विधानसभा के मुद्दे और समस्याएं : मनेंद्रगढ़ विधानसभा का आधा क्षेत्र चिरमिरी में आता हैं. जहां कभी 1 लाख से ज्यादा की आबादी हुआ करती थी.लेकिन बंद हो रही खदानों और रोजगार की कमी के कारण क्षेत्र की जनता पलायन करने लगी. आज इस क्षेत्र में रोजगार, स्वास्थ्य,सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है.वहीं मनेंद्रगढ़ की बात की जाए तो जिला बनने के बाद से क्षेत्र में कई प्रशासनिक कार्यालय आए हैं.लेकिन रोजगार को लेकर अभी तक इस क्षेत्र में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है.
मौजूदा समय में ये कह पाना मुश्किल है कि किस पार्टी की जीत होगी और किसकी हार.लेकिन जिस तरह से दोनों ही दलों नेतैयारी की है.उससे यहीं अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी भी दल के लिए आगामी चुनाव आसान नहीं होगा.