महासमुंद: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना उज्ज्वला योजना जिले में फ्लॉप साबित हो रही है. गैस सिलेंडरों के लगातार बढ़ते दाम के चलते ज्यादातर गरीब और ग्रामीण लकड़ी के चूल्हे पर ही आश्रित है.
चूल्हे में खाना बना रहे उज्ज्वला योजना के हितग्राही
गैस सिलेंडरों के लगातार बढ़ते दाम के चलते अधिकांश गरीब और ग्रामीण लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाकर ना सिर्फ खुद परेशान हो रहे हैं बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि गैस के दाम बढ़ गए है इस वजह से वे लकड़ी पर खाना बना रहे हैं. अधिकारी उज्ज्वला योजना के फ्लॉप होने के पीछे जंगली क्षेत्र और गैस के बढ़े दाम को कारण बता रहे हैं.
12 लाख आयुष्मान कार्ड का लक्ष्य लेकिन अब तक बने सिर्फ 3 लाख
सिर्फ 22 हजार हितग्राही करा रहे रिफिलिंग
ग्रामीण क्षेत्रों मे बसने वाले महासमुंद जिले की आबादी लगभग 12 लाख है. जिले में उज्ज्वला योजना के तहत भारत पेट्रोलियम के 27409, हिंदुस्तान पेट्रोलियम के 46770 और इंडियन ऑयल के 1 लाख 72 हजार 921 कनेक्शन धारी है. जिले में कुल 1 लाख 77 हजार 900 कनेक्शन धारियों को उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर का वितरण किया गया है. जिले में पौने दो लाख से ज्यादा उज्ज्वला हितग्राही होने के बावजूद सिर्फ 22 हजार हितग्राही ही रिफिलिंग करा रहे हैं. बाकी के लोग लकड़ी के चूल्हे पर निर्भर है. गैस सिलेंडरों की बढ़ती कीमतों और प्रशासनिक लापरवाही के चलते गैस सिलेंडरों की रिफिलिंग बेहद कम हो गई है. गैस सिलेंडर के दाम पिछले तीन माह में 263 रुपये बढ़ गए हैं. मार्च महीने में गैस के दाम 51 रुपये बढ़े हैं.
लगातार गैस के बढ़ रहे दाम
1 दिसंबर 20 को जिस घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 684 रुपये थी उसकी कीमत अब 911 रुपये हो गई है. तीन महीने में गैस की कीमत में 7 बार वृद्धि और उदासीन प्रशासनिक रवैये ने जिले में उज्ज्वला योजना की कमर तोड़ दी है.