महासमुंदः आत्महत्या को रोकने के लिए जिले में नवजीवन जागरुकता अभियान के तहत कई जगहों पर केंद्र खोले गए हैं. कलेक्टर ने जिले में आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए इस अभियान की शुरुआत की है. यहां आत्महत्या की ओर प्रेरित लोगों को जीवन जीने का नया तरीका सिखाया जाता है. इस अभियान पर शोध करने के लिए शुक्रवार को जिले में WHO की ओर से आस्ट्रेलिया के 2 सदस्यीय टीम पहुंची है.
WHO की शोध टीम ने घोड़ारी और बेलसोंडा नवजीवन केंद्र में पदस्थ नवजीवन सखा और सखी से मुलाकात की और अभियान से संबंधित जानकारी ली. साथ ही इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए रूपरेखा पर चर्चा की.
जिलेभर में चल रहे केंद्र
इस अभियान के तहत पूरे जिले में 570 नवजीवन केंद्र संचालित किए जा रहे हैं. जिसमें 19 जीवन सखा और 19 जीवन सखी पदस्थ हैं. इसके अलावा सभी वर्गों के लोगों को अभियान से जोड़ा गया है. केंद्र में पदस्थ सखा और सखी ऐसे लोगों को चिन्हित करते हैं, जो आत्महत्या की ओर प्रेरित होते हैं. उन्हें केंद्र लाकर आत्महत्या के कारणों का पता लगाया जाता हैं और उन्हें आत्महत्या जैसे कदम उठाने से रोकने का प्रयास किया जाता है.
आत्महत्या के आंकडे में पहले नंबर पर है जिला
राष्ट्रीय स्तर पर 2005 में हुए एक सर्वे के मुताबिक प्रति एक लाख की संख्या पर 27.7 प्रतिशत व्यक्तियों ने आत्महत्या किया है. साथ ही आंकड़ों के आधार पर छत्तीसगढ़ देश में चौथे और प्रदेश में महासमुंद पहले स्थान पर है. 2017 से मई 2019 के बीच 692 आत्महत्याओं के मामले सामने आए हैं. इनमें 490 पुरुष और 202 महिलाएं हैं.
अभियान से जुड़ी बात जानने विदेश से आई टीम
अभियान से जुड़ी बातों को जानने के लिए ऑस्ट्रेलिया मेलबॉर्न यूनिवर्सिटी के डॉ ग्रेग्री आर्मस्ट्रांग केंद्रों में पहुंचे. जहां उनके साथ जिला अस्पताल के सिविल सर्जन भी मौजूद रहे. डॉ ग्रेग्री ने बताया कि वे यहां पहली बार आए है. यहां प्रशासन द्वारा किए जा रहे काम से वे बहुत प्रभावित है. उन्होंने कहा कि ये एक अच्छी पहल है. लोगों को ये बताना जरूरी है कि आत्महत्या ही एक उपाय नहीं है, दूसरे विकल्प हैं.