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इसके लिए जाना जाता है महासमुंद जिला, बदल गई हजारों लोगों की तकदीर

जिले में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंध कार्यक्रम सफल होता नजर आया. जहां इस कार्यक्रम के तहत लोगों को इंधन के साथ खाद भी मिल रहा है.

महासमुंद को कहा जाता है बायोगैस जिला
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Published : Aug 21, 2019, 4:20 PM IST

Updated : Aug 21, 2019, 6:01 PM IST

महासमुंद: शासन की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंध कार्यक्रम ने महासमुंद जिले के हजारों लोगों की तकदीर और तस्वीर दोनों ही बदल कर रख दी है. कभी भोजन पकाने के लिए जंगलों में भटकने वाले ग्रामीण और जैविक खाद के लिए दर-दर भटकने वाले किसान अब बायोगैस संयंत्र लगाकर दोगुना लाभ उठा रहे हैं.

जिले में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंध कार्यक्रम सफल होता नजर आया.

मवेशियों के गोबर से उन्हें खाना पकाने के लिए गैस के साथ खाद भी आसानी से उपलब्ध हो जा रही है, जिसके लिए हितग्राही अब शासन को धन्यवाद देते हुए औरों को बायोगैस संयंत्र लगाने की सलाह दे रहे हैं.

2001 में राष्ट्रीय बायोगैस कार्यक्रम की हुई थी शुरुआत
महासमुंद जिले में साल 2001 में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम की शुरुआत हुई तब से लेकर आज तक 19 सालों में नौ हजार हितग्राही इस योजना का लाभ उठाकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं.

mahasamund district is also called biogas district
इस कार्यक्रम के तहत लोगों को इंधन के साथ खाद भी मिल रहा है.

साल 2018-19 में जिले को शासन से 200 हितग्राहियों को बायोगैस संयंत्र का लाभ देने का लक्ष्य प्राप्त हुआ था और 146 हितग्राहियों को इसका लाभ दिया गया. ग्राम लोहारी और कोसरंगी के हितग्राहियों के पास मवेशी तो थे पर उनके गोबर का इस्तेमाल नहीं कर पाते थे.

कई हितग्राही ले रहे लाभ
उन्हीं में से एक हैं ग्राम लोहारडी के यादराम और ग्राम कोसरंगी के कोमल आचार्य यादराम जिनके पास आठ मवेशी थे और आचार्य के पास 230 मवेशी दोनों को जब राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद्य प्रबंधन कार्यक्रम की जानकारी हुई तो दोनों ने क्रेडा के कार्यालय जाकर आवेदन किया.

उसके बाद यादराम के यहां 3 घन मीटर का बायोगैस संयंत्र लगा दिया गया. यादराम को 30 हजार की लागत पर 12 हजार का अनुदान मिला और आचार्य को साढ़े आठ लाख की लागत पर 90 प्रतिशत का अनुदान मिला. यादराम को अब लकड़ी के लिए जंगल नहीं जाना पड़ता है और खेतों के लिए खाद भी मुफ्त में मिल जाया करती है.

mahasamund district is also called biogas district
बायोगैस की मदद से खाना बनाती गृहणी

नहीं पड़ती एलपीजी गैस और लकड़ी की जरुरत
वहीं आचार्य अपने आश्रम में हर महीने दस एलपीजी गैस और लकड़ी का इस्तेमाल करता था, लेकिन बायोगैस संयंत्र लगने के बाद आश्रम के लिए न तो एलपीजी गैस की और ना ही लकड़ी की जरूरत पड़ती है. और तो और हर महीने 15 हजार रुपए की बचत भी हो जाती है जिसे आश्रम के बच्चों के विकास के लिए खर्च किया जाता है.

पढ़ें- गौठान होने के बावजूद सड़कों पर घूम रहे मवेशी, बीजेपी ने योजना को बताया फेल

कहा जाता है बायोगैस जिला
महासमुंद जिले को बायोगैस जिला भी कहा जाता है. शासन के नियम के मुताबिक सामान्य और ओबीसी हितग्राहियों को संयंत्र की लागत के 12 हजार रुपए और अनुसूचित जाति-जनजाति को 13 हजार रुपए का अनुदान दिया जाता है. 2001 से अब तक यहां करीब 9 हजार बायोगैस संयंत्र लगाए जा चुके हैं.

क्रेडा के आला अधिकारी का कहना है कि, किसानों को इंधन के साथ खाद मुहैया कराना ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है.

महासमुंद: शासन की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंध कार्यक्रम ने महासमुंद जिले के हजारों लोगों की तकदीर और तस्वीर दोनों ही बदल कर रख दी है. कभी भोजन पकाने के लिए जंगलों में भटकने वाले ग्रामीण और जैविक खाद के लिए दर-दर भटकने वाले किसान अब बायोगैस संयंत्र लगाकर दोगुना लाभ उठा रहे हैं.

जिले में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंध कार्यक्रम सफल होता नजर आया.

मवेशियों के गोबर से उन्हें खाना पकाने के लिए गैस के साथ खाद भी आसानी से उपलब्ध हो जा रही है, जिसके लिए हितग्राही अब शासन को धन्यवाद देते हुए औरों को बायोगैस संयंत्र लगाने की सलाह दे रहे हैं.

2001 में राष्ट्रीय बायोगैस कार्यक्रम की हुई थी शुरुआत
महासमुंद जिले में साल 2001 में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम की शुरुआत हुई तब से लेकर आज तक 19 सालों में नौ हजार हितग्राही इस योजना का लाभ उठाकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं.

mahasamund district is also called biogas district
इस कार्यक्रम के तहत लोगों को इंधन के साथ खाद भी मिल रहा है.

साल 2018-19 में जिले को शासन से 200 हितग्राहियों को बायोगैस संयंत्र का लाभ देने का लक्ष्य प्राप्त हुआ था और 146 हितग्राहियों को इसका लाभ दिया गया. ग्राम लोहारी और कोसरंगी के हितग्राहियों के पास मवेशी तो थे पर उनके गोबर का इस्तेमाल नहीं कर पाते थे.

कई हितग्राही ले रहे लाभ
उन्हीं में से एक हैं ग्राम लोहारडी के यादराम और ग्राम कोसरंगी के कोमल आचार्य यादराम जिनके पास आठ मवेशी थे और आचार्य के पास 230 मवेशी दोनों को जब राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद्य प्रबंधन कार्यक्रम की जानकारी हुई तो दोनों ने क्रेडा के कार्यालय जाकर आवेदन किया.

उसके बाद यादराम के यहां 3 घन मीटर का बायोगैस संयंत्र लगा दिया गया. यादराम को 30 हजार की लागत पर 12 हजार का अनुदान मिला और आचार्य को साढ़े आठ लाख की लागत पर 90 प्रतिशत का अनुदान मिला. यादराम को अब लकड़ी के लिए जंगल नहीं जाना पड़ता है और खेतों के लिए खाद भी मुफ्त में मिल जाया करती है.

mahasamund district is also called biogas district
बायोगैस की मदद से खाना बनाती गृहणी

नहीं पड़ती एलपीजी गैस और लकड़ी की जरुरत
वहीं आचार्य अपने आश्रम में हर महीने दस एलपीजी गैस और लकड़ी का इस्तेमाल करता था, लेकिन बायोगैस संयंत्र लगने के बाद आश्रम के लिए न तो एलपीजी गैस की और ना ही लकड़ी की जरूरत पड़ती है. और तो और हर महीने 15 हजार रुपए की बचत भी हो जाती है जिसे आश्रम के बच्चों के विकास के लिए खर्च किया जाता है.

पढ़ें- गौठान होने के बावजूद सड़कों पर घूम रहे मवेशी, बीजेपी ने योजना को बताया फेल

कहा जाता है बायोगैस जिला
महासमुंद जिले को बायोगैस जिला भी कहा जाता है. शासन के नियम के मुताबिक सामान्य और ओबीसी हितग्राहियों को संयंत्र की लागत के 12 हजार रुपए और अनुसूचित जाति-जनजाति को 13 हजार रुपए का अनुदान दिया जाता है. 2001 से अब तक यहां करीब 9 हजार बायोगैस संयंत्र लगाए जा चुके हैं.

क्रेडा के आला अधिकारी का कहना है कि, किसानों को इंधन के साथ खाद मुहैया कराना ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है.

Intro:एंकर - शासन की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंध कार्यक्रम ने महासमुंद जिले के हजारों लोगों की तकदीर व तस्वीर दोनों ही बदल कर रख दी है महासमुंद जिले को बायोगैस जिला भी कहा जाता है कभी भोजन पकाने के लिए जंगलों में भटकने वाले ग्रामीण व जैविक खाद के लिए दर-दर भटकने वाले किसान अब बायोगैस संयंत्र लगाकर दोहरा लाभ उठा रहे हैं मवेशी के गोबर से जहां उन्हें खाना पकाने के लिए गैस के साथ खाद भी आसानी से उपलब्ध हो जा रहा है वहीं हितग्राही अब शासन को धन्यवाद देते हुए औरों को बायोगैस संयंत्र लगाने की सलाह दे रहे हैं। देखिए खास रिपोर्ट....


Body:वीओ 1 - महासमुंद जिले में वर्ष 2001 में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम की शुरुआत हुई तब से लेकर आज तक 19 वर्षों में 9000 हितग्राही इस योजना का लाभ उठाकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं वर्ष दो हजार अट्ठारह उन्नीस में जिले को शासन से 200 हितग्राहियों को बायोगैस संयंत्र का लाभ देने का लक्ष्य प्राप्त हुआ था और एक सौ 46 हितग्राहियों को इसका लाभ दिया गया ग्राम लोहारी व कोसरंगी के हितग्राहियों के पास मवेशी तो थे पर उनके गोबर का इस्तेमाल यह लोग नहीं कर पाते थे उन्हीं में से एक हैं ग्राम लोहार डीके यादराम व ग्राम कोसरंगी के कोमल आचार्य यादराम के पास 8 मवेशी थे और अचार्य के पास 230 मवेशी दोनों को जब राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद्य प्रबंधन कार्यक्रम की जानकारी हुई तो यह लोग क्रेडा के कार्यालय जाकर आवेदन किए उसके बाद याद राम के यहां 3 घन मीटर का बायोगैस संयंत्र लगा यादराम को 30 हजार की लागत पर 12000 का अनुदान मिला तो आचार्य को साढे आठ लाख की लागत पर 90 प्रतीशत का अनुदान मिला यादराम को जहां अब लकड़ी के लिए जंगल नहीं जाना पड़ता है और खेतों के लिए खाद भी मुफ्त में मिल जा रहा है वहीं आचार्य अपने आश्रम में प्रतिमा 10 एलपीजी गैस व लकड़ी का इस्तेमाल करते थे पर बायोगैस संयंत्र लगने के बाद आश्रम के लिए ना तो एलपीजी गैस की और ना ही लकड़ी की आवश्यकता पढ़ रही है बल्कि प्रतिमाह ₹15000 की बचत हो रही है जो आश्रम के बच्चों के विकास के लिए खर्च कर किए जा रहे हैं और खाद सब्जी में इस्तेमाल हो रहा है।


Conclusion:वीओ 2 - क्रेडा के आला अधिकारी का कहना है कि किसानों को इंधन के साथ खाद मुहैया कराना है ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है गौरतलब है कि महासमुंद जिले को बायोगैस जिला भी कहा जाता है शासन के नियम के अनुसार सामान्य व ओबीसी हितग्राहियों को लागत का 12 हजार एवं अनुसूचित जाति जनजाति को 13 हजार का अनुदान दिया जाता है। बाइट 1 - रुक्मणी बाई, हितग्राही, ग्राम लोहारडी, पहचान गुलाबी ब्लाउज और साड़ी थोड़ी बुजुर्ग महिला। बाइट 2 - पद्मनी निषाद हितग्राही ग्राम लोहारडी, पहचान नीला साड़ी। बाइट 3 - कोमल आचार्य हितग्राही ग्राम कोसंगीत पहचान संतरे कलर का गमछा लपेटा हुआ। बाइट 4- यादराम निषाद, हितग्राही ग्राम लोहारडी, पहचान संतरा की सेट। बाइट 5 - नंद कुमार गायकवाड, सहायक अभियंता क्रेडा विभाग महासमुंद, पहचान - नीले कलर का फुल शर्ट हकीमुद्दीन नासिर रिपोर्टर ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ मो. 9826555052
Last Updated : Aug 21, 2019, 6:01 PM IST
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