महासमुंद: कई राज्यों में आतंक मचाने वाला टिड्डी दल अब छत्तीसगढ़ में भी उत्पात मचाने लगा है. बागबाहरा ब्लॉक के जनपद कालोनी में लगभग 4 सौ टिड्डियों का दल तीन दिनों से डेरा जमाये हुए है. टिड्डी का समूह कालोनी के गुड़हल , बेल , और छोटे पौधों के पत्तियों को चट कर गए हैं. कॉलोनी के लोग इन टिड्डियों से परेशान हैं. इस परेशानी को खत्म करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए किसानों को सचेत किया गया है. फायर ब्रिगेड से कीटनाशक दवाई का छिड़काव किया जा रहा है.
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दवा का छिड़काव करेगा कृषि विभाग
अक्सर बरसात के शुरुआती दौर पर तरह-तरह के कीड़े मकोड़े देखने को मिलते हैं पर इस बार उनके अलावा टिड्डी भी देखने को मिल रहे हैं. ये टिड्डियां लगातार फसलों को नुक्सान पहुंचा रहे हैं. कृषि विभाग टिड्डियों के द्वारा पौधों को नष्ट करने की खबर से बेखबर हैं. मीडिया के पहुंचने के बाद अब कृषि विभाग दवा का छिड़काव कर इसे नष्ट करने की बात कर रहा है.
फसलों को पहुंचा रहा नुकसान
टिड्डी दल लगातार प्रदेश के जिलों में फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. कवर्धा के बाद टिड्डी दल बेमेतरा के साजा, थानखम्हरिया में पहुंचा हैं. यहां के फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. जिसके बाद से प्रशासन में हडकंप है. बता दें कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में फसलों पर टिड्डी दल के हमले के मद्देनजर छत्तीसगढ़ में कृषि विभाग ने किसानों को पहले ही सचेत कर दिया था. टिड्डी दल इससे पहले लाखों की संख्या में कवर्धा जिले के रेंगाखार पहुंच था. इसके बाद अपना स्थान बदलते हुए टिड्डी दल बेमेतरा पहुंचा है.
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ऐसे लगातार बढ़ रहा है टिड्डियों का आतंक
यह प्रवासी टिड्डे अंटार्कटिक को छोड़कर बाकी सभी महाद्वीप पर पाए जाते हैं. ये पश्चिमी अफ्रीका, ईजिप्ट से लेकर दक्षिण एशिया तक में पाए जाते हैं. ये टिड्डे अपने जन्म के शुरुआती कुछ दिन तक उड़ नहीं सकते. इस दौरान वह अपने आसपास की घास खाकर बड़े होते हैं. टिड्डी घास की महक का पीछा करते रहते हैं. आमतौर पर इन्हें बड़ा होने में एक माह तक का समय लगता है, लेकिन अनुकूल वातावरण में इनके बढ़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. जब एक जगह पर खाना खत्म हो जाता है, तो पंख वाले बड़े टिड्डे एक खास गंध छोड़ते हैं, जिसका मतलब होता है कि अब खाने के लिए आगे बढ़ने का समय आ गया है. ऐसे ही टिड्डियों के समूह के समूह जुड़ते जाते हैं और यह विनाशकारी विशालकाय झुंड बन जाते हैं