महासमुंद/सिरपुर: पुरातत्त्व विभाग में काम करने वाले मजदूरों को काम से निकाल दिया गया. जिसके विरोध में मजदूर दस दिनों से हड़ताल पर थे. लेकिन इन दस दिनों के बीच शासन-प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. सोमवार को प्रदेश मजदूर कांग्रेस (इंटक) के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह बैस ने मजदूरों से मुलाकात की और आला अधिकारियों को मौके पर बुलाया. मजदूरों और अधिकारियों के बीच चर्चा हुई, मजदूरों ने तीन दिन के अंदर काम पर बुलाए जाने की मांग की. फिलहाल, पुरातत्व विभाग के आश्वासन पर मजदूरों ने हड़ताल खत्म कर दी है.
राकेश सिंह बैस ने कहा कि ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से मजदूर पिछले 1 महीने से घर पर बैठे हुए हैं. जिसके कारण वे हड़ताल करने पर मजबूर हो गए हैं. मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा है. बिना काम के मजदूर कैसे रहेंगे, कैसे अपने परिवार का पेट भरेंगे? उन्होंने कहा कि तीन दिन के अंदर मजदूरों की मांग पूरी नहीं की जाती है तो वे रायपुर में पुरातत्व विभाग के मुख्यालय के सामने उग्र आंदोलन करेंगे.
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इंजीनियर ने किया आरोपों का खंडन
पुरातत्त्व विभाग के इंजीनियर ने कहा कि मजदूरों का हड़ताल पर बैठना अवैध है. इसकी टेंडर प्रक्रिया केंद्र से होती है. जैसा आदेश आता है, हम पालन करते हैं. हमारी किसी के साथ मिलीभगत नहीं है. वहीं मामले को गंभीरता से लेते हुए विभाग के अधिकारियों ने मजदूरों को 3 दिन के अंदर काम पर बुलाया जाने का आश्वासन दिया है.
'ठेकेदार काम से निकाल देते हैं'
मजदूरों ने बताया कि फरवरी 2020 से उन्हें ठेका पद्धति पर काम कराया जा रहा है. ठेकेदार उन्हें एक महीने काम कराने के बाद निकाल देते हैं. इस कोराना संकट में वैसे ही बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, कहां जाए. उन्होंने शासन-प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि उन्हें पहले जैसे काम पर रखा जाए और भुगतान किया जाए.