महासमुंद: बागबाहरा ब्लॉक के दरबेकेरा गांव में सिंचाई विभाग एनीकट से 18 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण करा रहा है. नहर निर्माण में कई गांवों के किसानों की जमीन आ रही है. सिंचाई विभाग 3 साल से पाइप लाइन बिछाने का काम कर रहा है, लेकिन ये काम आज तक पूरा नहीं हो पाया है. पाइप लाइन के लिए किए गए गड्ढे आज किसानों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है. इससे किसानों की फसल पानी की कमी के कारण सूख जा रही है. इतना ही नहीं किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा भी नहीं मिला है. किसान खेतों में पानी तो दे रहा है, लेकिन खेतों से पानी नहर के लिए खोदे गए गड्ढे में चला जाता है, जिससे खेतों की नमी गायब हो जा रही है.
नहर निर्माण में करीब 15 गांव के 429 किसानों की 130 हेक्टेयर कृषि जमीन प्रभावित हो रही है, लेकिन इस योजना का किसानों को फायदा नहीं मिल रहा है. न ही किसानों को अबतक किसी तरह का मुआवजा मिला है. नहर निर्माण का काम पिछले 3 सालों से चल रहा है. नहर के लिए ठेकेदार ने जो 40 बाई 20 फुट का गड्ढा खोद रखा है, उन गड्ढों से सटे खेतों का पानी खेत में रुकने की बजाय गड्ढे में चला जाता है. जिससे खेतों में दरारें पड़ रही है. पानी के अभाव में किसानों की फसल बर्बाद हो रही है.
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15 गांव के किसान हो रहे प्रभावित
नहर का निर्माण कोचरी, बड़ीदादर, बांसकांटा, मातगुंडा, कोमाखान, कुलिया, मंकी, खुर्सीपार, देवरी, टेमरी, करहडीह, खट्टीडीह जैसे करीब 15 गांव से होते हुए किया जा रहा है. इसमें कई किसानों के खेत आ रहे हैं. किसान जमीन के मुआवजे और गड्ढा पाटने की मांग 3 सालों से कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. किसान लगातार संबंधित विभाग और नेताओं के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन किसी को उनकी आवाज नहीं सुनाई दे रही है. किसानों का कहना है कि मौसम की मार तो वे झेल लेंगे, लेकिन शासन की मार को झेलने की क्षमता उनमें अब नहीं बची है.
80% राजस्व का हो चुका भुगतान: जीके चंद्राकर
इधर, सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता जी के चंद्राकर का कहना है कि फसलों की बर्बाद नहीं हो रही है. रहा सवाल भू-अर्जन का तो, 2018 में सिंचाई विभाग 80% राशि राजस्व विभाग को जमा कर चुका है. जैसे ही प्रकरण पूरा होता है किसानों को मुआवजा मिल जाएगा.